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वास्तु के अनुसार किस दिशा में होना चाहिए आपका बेडरूम या शयन कक्ष ?

बेडरूम किस दिशा में होना चाहिए

भवन में बेड रूम व शयन कक्ष का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं । शयन कक्ष बनाते समय वास्तु के नियमों का पालन करने से उस शयन कक्ष में शयन करने वाले के साथ साथ गृह-स्वामी और  परिवार के सभी सदस्य सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं।

वास्तु अनुरूप शयन कक्ष होने पर जातक को नींद अच्छी आती है इस कारण व्यक्ति मन से स्वस्थ्य अनुभव करता है परिणामस्वरूप घर में रहने वाले सभी सदस्य सुखी अनुभव करते हैं। इसी कारण शयन कक्ष के लिए दिशा का चुनाव वास्तु नियमों के आधार पर अवश्य ही करना चाहिए।

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आइये जानते हैं आपका शयन कक्ष ( Bed Room) जिस दिशा में है उसका क्या फल होगा। यह भी जान पायेंगें की किस दिशा में शयन कक्ष बनाना श्रेष्ठ और सर्वफलप्रदायी होगा।

बेड रूम व शयन कक्ष

बेड रूम और उत्तर दिशा | North Direction

यह स्थान कुबेर का माना जाता है और कुबेर धन के देवता हैं, अतः वास्तु के अनुरूप इस स्थान का प्रयोग नहीं करने पर धन हानि होती है। इस दिशा में गृह स्वामी के लिए शयन कक्ष बनाना उपयुक्त नहीं है।

क्या करें ?

घर के अन्य सदस्यों के लिए शयन कक्ष के लिए यह श्रेष्ठ स्थान है।

क्या न करें ?

इस स्थान पर गृहस्वामी  बेडरूम न बनाये तो ज्यादा अच्छा। इस दिशा में कोई भी मृत व्यक्ति की प्रतिमा न लगाए।

उत्तर पूर्व (ईशान) | North East Direction ( Ishan kon)

वास्तु शास्त्रानुसार  ईश्वर का  निवास  स्थान उत्तर पूर्व वा ईशान कोण में होता है। वास्तु पुरुष का सिर  इस स्थान में होता है अतः इस स्थान में वास्तु अनुसार प्रयोग नहीं करने पर व्यक्ति को अपमानित होना पड़ता है। ग्रहों में बृहस्पति (Jupiter) की दिशा मानी जाती हैं। गुरु धन का कारक है। वास्तु नियमानुसार इस दिशा में शयन कक्ष बनाना निषिद्ध है  ऐसा करने से धन की हानि तथा अपमान का सामना करना पड़ता है। दम्पत्ति के शयन करने पर कन्या संतान अधिक होने की सम्भावना बनी रहती हैं ।

क्या करें ?

इस दिशा में पूजा कक्ष बनाना  चाहिए। बच्चों के लिए अध्ययन/शयन कक्ष के लिए प्रयोग कर सकते हेै।

क्या न करें ?

विवाहित जोड़ो को इस कक्ष में शयन नहीं करना चाहिए। वृद्ध लोगो के लिए यह स्थान वर्जित हैं ।

बेड रूम और पूर्व दिशा | East Direction

पूर्व दिशा में शयन कक्ष का होना बहुत शुभ नहीं होता हैं । इसका मुख्य कारण है कि यह दिशा देवताओं में इन्द्र  की होती है और ग्रहों में सूर्य-ग्रह की होती हैं इस कारण यह स्थान पवित्र मानी जाती है । इस स्थान में पति पत्नी के शयन करने तथा सम्भोग करने से देवता नाराज होते है और अशुभ फल देते हैं।

क्या करें ?

इस दिशा में शयन कक्ष बुजुर्गो एवं अविवाहित बच्चों के लिए कर सकते हैं ।

क्या न करें  ?

इस कक्ष में नवविवाहित/विवाहित दम्पत्ति को नहीं सोना चाहिए।

पूर्व दक्षिण(आग्नेय कोण) | East-South Direction

इस दिशा को आग्नेय कोण भी कहा जाता है।  इस स्थान में शयन कक्ष बनाना अच्छा नहीं माना गया हैं । इस दिशा में शयन करने से व्यक्ति को ठीक  से नींद नहीं आती हैं।  ऐसा व्यक्ति क्रोधी हो जाता है। वह मन से हमेशा परेशान रहेगा।  उसके द्वारा लिए गए निर्णय से हानि होती है।

क्या करें ?

स्वस्थ्य और उत्तम निर्णय लेने के लिए प्राणायाम करें।

क्या न करें ?

यदि इस स्थान पर शयन कक्ष बनाया है तो गुस्सा न करें। जल्दीबाजी में कोई निर्णय न लें। मन को अशांत न  करें।

बेड रूम और दक्षिण दिशा | South Direction

इस दिशा में शयन कक्ष गृहस्वामी के लिए अच्छा  माना गया हैं । इस स्थान में स्थित शयन कक्ष का प्रयोग गृहस्वामी के अलावा पुत्र वधु के लिए भी शुभ माना गया हैं । इस स्थान में चुम्बकीय शक्ति अनुकूल होने के कारण इस दिशा में शयन कक्ष बनाने से तन और मन दोनों से व्यक्ति स्वस्थ होता है।

क्या करें ?

शयन के लिए पलंग इस तरह से कक्ष में रखे कि सिर दक्षिण दिशा की ओर हो तथा पैर उत्तर दिशा की ओर रहें। ऐसा करने से व्यक्ति स्वस्थ्य रहता हैं और नींद भी अच्छी आती हैं ।

क्या न करें ?

उत्तर दिशा की ओर सर करके न सोएं।

दक्षिण-पश्चिम दिशा | South-West Direction

इस दिशा को नैऋत्य कोण भी कहा जाता है। नैऋत्य कोण पृथ्वी तत्व हैं और पृथ्वी स्थायित्व प्रदान करता है इसलिए गृह स्वामी के शयन कक्ष के लिए सबसे उत्तम और शुभ स्थान माना गया है।

क्या करें ?

इस स्थान में गृहस्वामी का बेड रूम  होने पर जातक स्वस्थ रहता है।  ऐसा व्यक्ति उस घर में लम्बे काल तक निवास करता हैं ।

क्या न करें ?

घर के बच्चें को कभी भी इस स्थान में शयन कक्ष बनाने नहीं दें। उत्तर दिशा की ओर सर करके न सोएं।

पश्चिम दिशा में शयन कक्ष| West Direction

इस दिशा में शयन कक्ष बनाया जा सकता हैं । इस दिशा में घर के कनिष्ठ  सदस्यों के शयन कक्ष बनाना शुभदायक होगा। बच्चों के लिए भी शयन कक्ष श्रेष्ठ फल देने वाला होगा।

क्या करें ?

स्टूडेंट अपना शयन कक्ष बना सकता है।

क्या न करें ?

घर का मुखिया अपना शयन कक्ष न बनाएं।

उत्तर पश्चिम | North-West Direction

इस दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है। इस दिशा में शयन कक्ष को बनाया जा सकता हैं। नव विवाहिता स्त्री पुरुष के लिए यह स्थान उत्तम है। यदि घर के स्वामी का वैसा कार्य है जिसके कारण हमेशा घर से दूर रहना पड़ता है तो उनके लिए वायव्य कोण में शयन कक्ष बनाना उत्तम होगा।

क्या करें ?

यह कक्ष मेहमानों के लिए ठहरने सबसे अच्छा होता हैं। यदि आप के घर में कन्या है और उसका विवाह में देर हो रहा है तो  उन्हें इस दिशा के कक्ष में शयन करने से जल्दी विवाह हो जाती हैं ।

क्या न करें ?

घर का मुख्य गृह स्वामी इस स्थान में अपना शयन कक्ष न बनाएं।

वास्तुशास्त्री – पं. दयानंद शास्री, ज्योतिषाचार्य

संपर्क –  +91 90393 90067

Post By Religion World