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वास्तु में पॉजिटिव एनर्जी (Cosmic Energy) का महत्व और प्रभाव

वास्तु में पॉजिटिव एनर्जी (Cosmic Energy) का महत्व और प्रभाव

जानिए क्या है कॉस्मिक एनर्जी ?

आसमान और धरती के बीच ब्रह्मांडीय ऊर्जा रहती हैं। अंग्रेज़ी में इसे कॉस्मिक एनर्जी कहते हैं। भूमि के जिस हिस्से में एनर्जी लेवल ज्यादा मिल रहा है, वहां वर्क प्लेस सेट की जाती है। ब्रह्माण्ड में करोड़ों गैलेक्सिया है तथा एक गैलेक्सी में खरबों सितारे होते है उनमे सूर्य भी एक है, ग्रहों का सम्बन्ध सूर्य से है और कॉस्मिक से भी होता है। यह सब के सब ग्रह आदि एनर्जिक फील्ड पैदा करते है। और इन सबकी पृथ्वी में प्रवेश करने की अलग अलग दिशायें निर्धारित है कोस्मिक पावर व सेटेलाइट पावर रेडिएशन पृथ्वी पर उत्तर-पूर्व कोण अर्थात ईशान्य कोण से प्रवेश करती है सूर्य की अल्ट्रावायलेट रेंज जब पानी में घुलती है तो पानी अमृत सा बन जाता है।

सूर्य में थर्मों न्यूक्लियर रिएक्शन से थर्मल एनर्जी पैदा होती है जो अग्नि बनती है तथा इसका प्रवेश पृथ्वी पर पूर्व-दक्षिण दिशा अर्थात अग्नि कोण से होता है. जब हम इस धरती पर अपने रहने के लिए मकान दूकान फैक्ट्री आदि का निर्माण करते है तो उसमे कॉस्मिक पावर से कॉस्मिक एनर्जी फील्ड बनता है जिसे हमारा शास्त्र वास्तु के नाम से प्रतिष्ठित करता है और वह वास्तु एनर्जी भी कहलायीं जाती है।

पृथ्वी की चुम्बकीय शक्ति इलेक्ट्रिक मेग्नेटिकरेंज – कॉस्मिक रेडिएशन – स्टेलर स्पेस के रेडिएशन ये सब मिल कर कास्मिक एनर्जी के रूप में भूखण्ड में उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवेश कर दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ निरन्तर चलते रहते है इन दिशाओं से टकरा कर पुनःबाओ एनर्जी के रूप में उत्तर पूर्व की तरफ लोटते है और यही बाओ एनर्जी मध्य ब्रह्म स्थान पर एकत्रित हो जाती है।

अगर भूमि का आकार टेड़े मेडे या कोई विकृति हो तो यह एनर्जी कमजोर अवस्था में यंहा इस मध्य भाग पर इकट्ठी हो जाती है जिससे घर में अशांति का वातावरण बनने लगता है अब यदि यह बायो एनर्जी सामान अनुपात में रहती है तो निरोगता,खुशहाली तथा एश्वर्य को देने वाली होती है..यही वास्तु शास्त्र की वैज्ञानिकता है।

आजकल मोबाइल फोन टावर्स, हाई टेंशन इलेक्ट्रिकल लाइंस से निकलती हानिकारक तरंगें और एयरकंडीशनर जैसी डिवाइसेस से निकलने वाली गैसेस पर दुनियाभर में काफी स्टडीज़ हुई हैं। इन शोधों में सेहत पर इनके विपरीत प्रभाव सिद्ध भी हो चुके हैं। इनकी संख्या कम करना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन घर में वास्तु और कॉस्मिक एनर्जी का सही बैलेंस क्रिएट करते हुए इनके प्रभाव को कम करना संभव है। नए कंस्ट्रक्शंस में वास्तु और कॉस्मिक एनर्जी के कॉन्सेप्ट को शुरुआत से ही शामिल किया जा रहा है।

ज्योतिष – वास्तु वह विज्ञान है जिसका उद्देश्य मानव जीवन को सुन्दर सुखद और समृद्ध बनाना है.इस मे मनुष्य के जन्मकालीन गृह नक्षत्रों के आधार पर उसके पूर्व जन्मों के संचित प्रारब्ध का अध्ययन कर के भविष्य हेतु शुभ-अशुभ का दिग्दर्शन कराया जाता है.शुभ समय और लक्षण बताने का उद्देश्य उसका अधिकतम लाभ उठाने हेतु प्रेरित करना है और अशुभ काल व लक्षण बता कर उन से बच ने का अवसर प्रदान किया जाता है.दुर्भाग्य से आज हमारे समाज मे दो विपरीत विचारधराएँ प्रचलित है,जो दोनो ही लोगों को दिग्भ्रमित करने का कार्य करती है.

मनुष्य के जीवन को दो चीजें प्रभावित करती है एक भाग्य, दूसरा वास्तु। 50 प्रतिशत भाग्य तथा 50 प्रतिशत वास्तु अगर आपके ग्रह अच्छे है और वास्तु ठीक नहीं हो तो आपकी मेहनत का फल आधा ही मिलेगा। अर्थात यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार निवास किया जाए तो सभी के भाग्य की स्थिति बदल सकती है वास्तु का तात्पर्य है की हमारें जीवन का ऐसा घर या मकान जिसमें रहने से सुख की अनुभूति हो अमेरिका तथा यूरोप आदि देश भी आज वास्तु के मार्ग दर्शन पर चल रहे है हांगकांग तथा बैंकॉक का निर्माण वास्तु के द्वारा होने से वो आज विश्व के बाज़ार में अग्रणी है ये है वास्तु का चमत्कार।

यह प्रकृति का नियम है कि जब एक क्रिया होती है तो उसकी प्रतिक्रिया भी होती है.बहुत समय तक ये दोनो परस्पर विचार धराएँ चलती रहती है,फिर उन्हें मिलाकर समन्वय का प्रयास किया जाता है.इस प्रकार थीसिस,एन्टी थीसिस और फिर सिन्थिसिस का उद्भव होता है.कुछ समय बाद सिन्थीसिस,थीसिस मे परिवर्तित हो जाती है फिर उसकी एन्टी थीसिस सामने आती है और पुनः दोनों के समन्वय से सिन्थीसिस का उदय होता है.यह क्रम सृष्टि के आरम्भ से प्रलय तक चलता रहता है।

यह मनुष्य का स्वभाव है कि वह सदा ही भविष्य के गर्भ मे क्या छिपा है यह रहस्य जानना चाहता है और अपने कष्टों का समाधान चाहता है.ऋग्वेद के मंडल 7 सूक्त 35वें मन्त्र का यह अनुवाद है जिससे स्पष्ट होता है कि वेदों में वैज्ञानिकों का दायित्व प्रकृति के रहस्यों को खोज कर जनता तक पहुंचाना बताया गया है। सम्पूर्ण वेद विज्ञान सम्मत हैं..

”भू नभ अंतर्गत पदार्थ मंगलदायक हो जावें। विज्ञानी प्रकृति के सारे गूढ़ रहस्य बतावें॥

वेदों में सारे आधुनिक वैज्ञानिक तथ्य मौजूद हैं.”प्रो.स्टीफन होकिंग की प्रकाशित होने वाली पुस्तक के आधार पर उन सम्पादक महोदय ने वेदों को अ-वैज्ञानिक ठहरा दिया है। मैक्समूलर भारत में 30 वर्ष रह कर संस्कृत का गहन अध्ययन करके जो मूल पांडुलिपियाँ ले गए उनकी मदद से वैज्ञानिक आज भी खोजबीन में लगे हैं; जैसा कि प्रो. यशपाल ने कहा है -”वैसे ब्रह्मांड संरचना के बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं जाना जा सका है, खोज अभी जारी है. “सितम्बर 2007 में Amsterdam में संपन्न भौतिकविदों के सम्मलेन में 1940 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले जेम्स वाटसन क्रोनिन ने कहा था -”हमें गलतफहमी है कि हम ब्रह्मांड के बारे में बहुत जानते हैं, लेकिन सच तो यह है कि हम इसके सिर्फ 4% हिस्से से वाकिफ हैं.”कॉस्मिक ऊर्जा” का 73% हिस्सा डार्क एनर्जी और 23% ”डार्क मैटर ” के रूप में है जिसे न तो देखा जा सकता है और न ही उपकरणों से ही पकड़ा जा सकता है। 4% में ”सामान्य पदार्थ” आता है जिस के परमाणुओं व् अणुओं से हमारा दिखाई पड़ने वाला ब्रह्मांड बना हुआ है.फ़्रांस के न्यूक्लीयर एंड पार्टिकल फिजिक्स वेत्ता स्टारवोस कैटसेनवस् ने कहा था -”हमें डार्कमैटर के मानकों का हल्का फुल्का अंदाजा भर है.”होकिंग द्वारा भगवान् को न मानना तथा उस पर बनारस के विद्वानों द्वारा हल्ला बोलना दोनों बातें इसलिए हैं कि भगवान् को चर्च,मस्जिद ,मंदिर या ऐसे ही स्थानों पर पोंगापंथियों ने बता रखा है.पिछली पोस्ट्स देखें तो कई बार स्पष्ट किया है कि भगवान् -भूमि,गगन,वायु,अग्नि और नीर इन पञ्च तत्वों का मेल है जो सृष्टि, पालन और संहार करने के कारण GOD कहलाते हैं, और स्वयं ही बने होने के कारन खुदा हैं। कोई भेद नहीं है। धर्म और विज्ञान में भेद बताना या देखना अज्ञान का सूचक है। विज्ञान किसी भी विषय का नियमबद्ध और क्रमबद्ध अध्ययन है जबकि जो धारण करता है वो ही धर्म है। धर्म या भगवान् को किसी भी शास्त्र या स्थान में कैद नहीं किया जा सकता है.अभी तक की खोजों में विज्ञान में एनर्जी को सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है। कहा जाता है..विज्ञान क्या? और कैसे? का जवाब देने में समर्थ है परन्तु क्यों? का जवाब आज का विज्ञान अभी तक नहीं खोज पाया है जब कि वैदिक विज्ञान में क्यों का जवाब है-जरूरत है। वैदिक विज्ञान के गूढ़ रहस्यों को समझने की, लेकिन पश्चिम के विज्ञानी तो वेदों पर हमला करते ही हैं हमारे पौराणिकविद भी वेदों को तोड़ मरोड़ देते हैं। पुराण, कुरआन की तर्ज़ पर तब लिखे गए जब भारत में विदेशियों ने आकर सत्ता जमा ली थी। ये उन शासकों को खुश करने के लिए रचे गए जिनका धर्म या विज्ञान से कोई सम्बन्ध नहीं था.धर्म और विज्ञान को समझने हेतु वेदों की ही शरण लेनी पड़ेगी…

जैसा की सर्वविदित हैं ईशान कोण दिशा के स्वामी भगवान शंकर हैं। (शंकर इत्यमरः) इस दिशा के अधिष्ठाता देवगुरु बृहस्पति है। शिव और बृहस्पति दोनों ही पूज्य और कल्याणकारी हैं। इसलिए ईशान कोण को धार्मिक दृष्टि से पवित्र और शुभ माना गया है। धार्मिक पूजा-अनुष्ठान में कलश रखने/ स्थापन के लिये ईशान आरक्षित है। कुंआ, नलकूप, पानी टैंक एवं पूजा ग्रह के लिये भी ईशान प्रशस्त है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रत्येक भवन/भूखंड में उलटे लेटे हुए कल्पित वास्तु-पुरूष का शिर ईशान कोण में रहता है, इस कारण भी ईशान दिशा शुभ है। वैज्ञानिक दृष्टि से इस दिशा की शुभता का कारण यह है कि ब्रह्मांड की उत्तर दिशा में चुंबकीय ऊर्जा का प्रवाह पृथ्वी की तरफ निरंतर होता रहता है क्योंकि पृथ्वी और मनुष्य दोनों में लौह तत्व विद्यमान है।

ब्रह्मांड के उत्तरी क्षितिज का केंद्र बिंदु (कोस्मिक नार्थ सेंटर) पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के केंद्र बिंदु से भिन्न है। इसके दो कारण हैं। पहला कारण पृथ्वी की आकृति अंडाकार है जबकि अंतरिक्ष की आकृति गोलाकार है। दूसरा कारण पृथ्वी अपनी धुरी (दक्षिणी ध्रुव के शून्य अक्षांश एवं शून्य देशांतर जिसे 90 दक्षिणी अक्षांश एवं 90 पूर्वी-पश्चिमी देशांतर भी कह सकते हैं, क्योंकि 90 और शून्य अक्षांश-देशांतर एक ही बिंदु से शुरू होते हैं) पर 23) अंश पूर्व की ओर झुकी हुई है। इस कारण पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव केंद्र बिंदु अंतरिक्ष के उत्तरी ध्रुव केंद्र बिंदु से 23.5 अंश पूर्व की तरफ हट कर 66.5 पूर्वी देशांतर से यह ऊर्जा पृथ्वी में प्रविष्ट होती है जो ईशान कोण क्षेत्र में पड़ता है। ईशान कोण क्षेत्र की सीमा मोटे अनुमान से 65 से 50 पूर्वी देशांतर एवं इतने ही उत्तरी अक्षांश मानी जा सकती है। इस ओर से आने वाली और प्राकृतिक चुंबकीय ऊर्जा हमेशा सकारात्मक प्रभाव रखती है।

वास्तु शास्त्र में ईशान कोण नीची ओर खाली रखने के पीछे यही उद्ेश्य है कि अंतरिक्ष से प्राप्त दैवीय ऊर्जा निर्बाध गति से भवन में प्रविष्ट हो सके। यह ऊर्जा भवन में प्रविष्ट होने के बाद क्राॅस -वेंटिलेशन सिद्धांत से र्नैत्य दिशा से निकल न जावे, अतः इसे रोकने के लिये र्नैत्य कोण भारी और ऊंचा होना आवश्यक माना गया है। भवन में निवास करने वाले व्यक्ति प्राकृतिक ऊर्जा से वंचित रहेंगे तो कई प्रकार की शारीरिक-मानसिक व्याधियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसी कारण भवन के ईशान और र्नैत्य में दोष होना अशुभता का परिचायक है। नैत्य दिशा ईशान के ठीक सामने 90 अंश की दूरी पर है।

किसी भी मनुष्य की दक्षता उसके घर, आफिस में उसके बैठन की जगह से कम या ज्यादा होती है। अगर आफिस का चेंबर कोस्मिक एनर्जी से कनेक्ट नहीं है तो इंटेलीजेंस प्रभावित होती है। कोस्मिक एनर्जी डिस्टर्ब होने से वो जो भी डिसीजन लेगा, उसके गलत होने की आशंका ज्यादा होगी।

अगर आफिस में अपने बैठने की जगह को आप ठीक नहीं कर सकते तो अपने घर को अपने खानपान व एक्सरसाइज के जरिए कोस्मिक एनर्जी से कनेक्ट कर सकते हैं जिसका अच्छा असर आपके आफिस के काम पर पड़ेगा। साथ क्वांटम फिजिक्स के सिद्धांत पर बनी जर्मनी की एक मशीन के जरिए हम लोग किसी भी शख्स के घर व आफिस की एनर्जीज के बारे में पता लगाकर उसे ठीक करा देते हैं।

वास्तु को बिल्डिंग बायोलाजी बताने वाली इस विधा पर भारत से ज्यादा रिसर्च फ्रांस व जर्मनी में किया गया है। कुछ लोगों के लिए उनके लिए टेल्यूरिक एनर्जी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। टेल्यूरिक एनर्जी फाइनेंस व इस्टेबिलिटी से रिलेटेड होती है। अगर टेल्यूरिक एनर्जी वीक है तो कंपनी का डूबना तय है। जो पैसा लगाता है, वह ज्यादा पैसा चाहता है। इस लिजाह से टेल्यूरिक एनर्जी का रोल काफी इंपार्टेंट होता है। इसके बाद नंबर आता है ग्लोबल एनर्जी का।

ज्यादा लोगों तक अपने ब्रांड को पहुंचाने व लोकप्रिय कराने में ग्लोबल एनर्जी का रोल बहुत महत्वपूर्ण होता है। लोग उस ब्रांड के बारे में कैसा फील करते हैं, यह ग्लोबल एनर्जी का असर तय करता है। आखिरी फैक्टर है कोस्मिक एनर्जी का। इंटेलीजेंस और विजन का काम कोस्मिक एनर्जी का होता है। इसलिए कोई काम शुरू करने से पहले वास्तु पर थोड़ा सा ध्यान जरूर देना चाहिए।

आजकल वास्तु पर जो किताबें मार्केट में हैं वे दरअसल पुराने जमाने के राजाओं व दूसरे देशों में बने वास्तु के परंपरागत नियमों पर आधारित हैं जो आज के समय की समस्याओं से निपटने में सक्षम नहीं है। इस कारण कई बार लोग इन किताबों के प्रयोगों को आजमाते हैं और रिजल्ट सकारात्मक न होने पर वास्तु से मोहभंग का ऐलान कर देते हैं। इसमें गलती लोगों की नहीं बल्कि उन अधकचरी किताबों का है जो नियमों को जनरलाइज तरीके से पेश करती हैं।

जिस तरह आदमी का शरीर बीमार और स्वस्थ होता है, उसी तरह बिल्डिंग भी बीमार और स्वस्थ होती हैं। आदमी में एनर्जी का फ्लो उसके काम को प्रभावित करता है तो बिल्डिंग में भी एनर्जी फ्लो काफी कुछ तय करता है। बिल्डिंग का एनर्जी फ्लो उसमें रहने वाले लोगों का दशा-दिशा तय करता है। इस आधुनिक दौर में वास्तु के विज्ञान को संपूर्णता में समझने के लिए काफी रिसर्च की जरूरत होती है। आज के जमाने में वास्तु को खान-पान, पहनावा व कसरत आदि के जरिए भी नियंत्रित किया जा सकता है

यदि वास्‍तु के निश्चित मापदंडों को अपनाया जाये तो निश्चित तौर पर और प्रगति संभव होगी। वास्तु के नतीजे बेहद सार्थक और दूरगामी परिणाम देने वाले हैं।जिस प्रकार किसी भवन में रंग, स्‍थान साज-सज्‍जा आदि का महत्‍व होता है, ठीक वैसा ही महत्‍व किसी भी अन्य स्थान जेसे स्कुल,ऑफिस,फेक्ट्री पर लागू होता है।

आप विटामिन्स को मानें या न मानें, आक्सीजन को माने या न मानें, गेविटी को मानें या न मानें, क्योंकि ये दृश्यमान नहीं हैं लेकिन इनका वजूद है। इसी तरह वास्तु दिखता नहीं है लेकिन यह गहरा असर करता है। आपका काम क्या है, उस काम में किस तरह की एनर्जी की यूज है, वर्क से रिलेटेड प्लानेटरी इफेक्ट्स क्या हैं…. इन कई बातों के आधार पर वास्तु से संबंधित विश्लेषण शुरू होते हैं।

क्या आप जानते है कि आपके घर में पड़ी चीजें आपको बीमार कर सकती है? आपके घर के भीतर पड़ी बेकार की चीजे आपको मानसिक रूप से अस्वस्थ बनती है और आपके स्वास्थ्य को नुकसान पंहुचा सकती है। घर से कबाड़ को दूर करने की इस प्रक्रिया को डिक्लटर कहते है और यह तनाव कम करने की एक कारगर प्रक्रिया है।

आईये जानते है कि कैसे आप अपने घर के कबाड़े यानि क्लटर से बच सकते है…

“फेंगशुई में अस्वस्थ और अव्यवस्थित मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक जीवन का मुख्य कारण घर में जमा फालतू की चीजे होती है। ”
“जब कबाड़ या बेकार की चीजे नियंत्रण से बाहर हो जाती है तब लोग होर्डिंग सिंड्रोम का शिकार हो जाते है। इस सिंड्रोम में लोग उन चीजो को भी संभाल कर रखने लगते है जोकि अन्य सामान्य लोगो की दृष्टि में बेकार की होती है। इस डिसआर्डर से बचने के लिए आपको साईकोलोगिस्ट की मदद लेनी पास सकती हें ।”

वास्तु शास्त्र आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा स्थापित करने में सक्रिय रूप से आपकी सहायता कर सकती है और नकारात्मक तत्वों को कम करते हुए अपने जीवन के भीतर आभा को बढ़ाता है। वास्तु शास्त्र की शैली का प्रयोग करने से घर के आंतरिक योजना में सुधार लाने के साथ साथ संबंधपरक सद्भाव भी पैदा करने का रास्ता तय हो जाता है।

ध्यान दें कि…

आपके घर में कों से कमरे में सभी लोग जयादा रहना पसंद करते है। उन कमरों में सुधार करने का प्रयास करें। रंग, संगीत, लाईट, पानी, आदि में स्ट्रोंग एनर्जी होती है जोकि हर कमरे में होनी चाहिए। यदि आपे घर में कोई ऐसा कमरा है जिसमे कोई जाना पसंद नही करता है तो अपने कमरे को नये रंग से रंगे और फिर देखें कि क्या आपको अपनी शारीरिक उर्जा में कोई फर्क देखने को मिलता है।

  • पौधे जीवन का प्रतीक कराते है और कमरे में जान व रंग डाल देते है।
  • घर के सभी गंदे कपड़ों को एक बैग में रखे। साफ़ और गंदे कपड़ों को मिलकर न रखे।
  • अपने बेड /बिस्तर के नीचे, पीछे की तरफ कबाड़ इकट्ठा न होने दे।
  • खिडकियों के आसपास भीडभाड कर उसे ब्लाक न करें। खिडकियों को खुला रखे और शुद्ध हवा को भीतर आने दे।

घर मे टूटे फिक्स्चर, पुराने गद्दे और बेकार पड़े बर्तन जो इस्तेमाल के लायक न हो वे नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं। ये बेकार वस्तुवे घर के अंदर का कालचक्र और माहौल को दूषित कर वातावरण को पेचीदा बना देते हैं। अगर आपके घर में कुछ मुख्य उद्देश्यों की पूर्णता नहीं हो रही है तो जैसे के असुविधाजनक फर्नीचर, या एक ताला जो हमेशा अटक जाता है, तो यही उसकी मरम्मत या बदलने की समय है।

अपने घर को साफ रखें एक साफ घर तनाव मुक्त माहौल और वातावरण को बढ़ावा देगा इसीलिए साफ सफाई की व्यवस्था करके नकारात्मक ऊर्जा से निपटने के बारे में जाने और यह सुनिश्चित करें कि आप हमेशा रसायनों से मुक्त प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करें ।

खिड़कियों और दरवाजों को नियमित रूप से खोले रखने से ताज़ी हवा और सूर्य का प्रकाश घर के सभी कोनों और नुकों में सकारात्मक ऊर्जा का सञ्चालन करेंगे ताकि घर का वातावरण स्वच्छ और निर्मल रहे।

नमक जब लोहा और पत्थर को भी गला सकता है तो आप सोच सकते है की बुरी ऊर्जा का क्या कर सकता है ? अपने घर के हर कमरे में नमक को कांच के छोटे मर्तबानो में डाल ऐसे जगह रखे जहाँ कोई उसे देख या छू न सके । इस प्रयोजन से घर में बाहर से आने वाले किसी भी नकारात्मक शक्ति या ऊर्जा को साफ रख सकते हैं ।

दैनिक गतिविधियों जैसे घर की सफाई, खाना पकाना, कपडे और बर्तनो की धुलाई और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग से घर में रासायनिक गंध और अदृश्य गैसे उत्पन्न होते हैं जिनका हानिकारक प्रभाव अंदर के वातावरण को दूषित करता है । इससे बचने के लिए सुगन्धित फूलों और वृक्षों को घर के अंदर लगाने के सात साथ सुगंधित धूप या सुगन्धित तेलों से आपके घर को शुद्ध करें ।

ताजा हवा और सूरज की रोशनी घर पर सकारात्मक ऊर्जा सहायक है। तो, सुनिश्चित करें कि आप घर की खिड़कियां खुली रखें,सुबह में कुछ समय के लिए।

एक्वैरियम पानी चलने के समान हैं और यह उत्तर-पूर्व की तरफ रखे जाने पर शुभ है।

मुख्य दरवाजे का सामना करने वाला पेड़, ध्रुव या खंभा होने से बचें। इसे एक बौद्ध वेद (दरवाजा बाधा) कहा जाता है। इसी तरह, दरवाजे के पास मृत पौधे होने से बचें।

बाथरूम के दरवाजे को बंद रखें। उपयोग में नहीं होने पर हमेशा शौचालय ढक्कन रखें। सुनिश्चित करें कि घर पर कोई लीकिंग नलियां नहीं हैं। सुखद फ्रेस का प्रयोग करें ।

  • रसोई में दवाएं न रखें।
  • आराम करते समय सभी इलेक्ट्रॉनिक और वाई-फाई सिस्टम बंद करें।
  • सुबह में कुछ समय के लिए घर पर सुखदायक दिव्य संगीत या मंत्रों का जप करना।
  • सुनिश्चित करें कि फर्नीचर किनारों तेज नहीं हैं। घर के सजावट में लाल, काले और भूरे रंग के अत्यधिक उपयोग से बचें।
    बहुमंजिला इमारत में विभाजित स्तर होने से बचें ।
  • किचन साउथ ईस्ट में रखने से खाने पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। इससे खाने और किचन में बैक्टीरियल एक्टिविटी कम होगी।
  • घर में डिज़ाइनिंग के लिए लोग लकड़ी के बीम्स यानी रॉस्टर बनवा रहे हैं। ये वास्तु के हिसाब से स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं।
  • घर में पानी का स्थान उत्तर पूर्व में रहे
  • परिवार में हर किसी के मुताबिक वास्तु रखना मुमकिन नहीं। ऐसे में मुखिया की राशि के मुताबिक प्लानिंग करना सही है।

घर पर चित्र हमेशा सकारात्मक होना चाहिए। युद्ध, अकेलापन, गरीबी इत्यादि चित्रित तस्वीरों से बचें। सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए, प्रकृति की तस्वीरें प्रदर्शित करें।

घर पर एक शांत प्रभाव के लिए, एक दीया, कपूर को हल्का करें या चंदन की तरह सुगंधित सुगंध जोड़ें।

घर के कोरिडोर से एनर्जी एक कमरे से दूसरे कमरे में जाती है। सीढियाँ हमेशा खुली रखे और कबाड़ से परे होनी चाहिए। इससे न केवल सुरक्षा बढती है बल्कि फेंगशुई की कोस्मिक एनर्जी “ची” का बहाव भी बढाती है।

यह बहुत जरुरी है कि आप टेबल की सफाई नियमित रूप से करें।

उस कमरे से शुरुआत करें जो आपको सबसे जयादा परेशान करता है। वह कमरा जिसमे कबाड़ भरा हो या जिसमे आपका जाने का मन बिलकुल भी न करता हो उस कमरे को सबसे पहले साफ़ करें। ऐसे कमरे आपको मानसिक और शारीरिक तनाव का शिकार बना सकते है।

बेकार की चीजे घर से बहार करने से घर में स्पेस बढती है साथ ही आपका तनाव भी कम होता है। आप चाहे तो आप बहुत सी बेकार चीजो को डोनेट भी कर सकते है। हो सकता है की आपके द्वारा डोनेट किया गया बेकार सामान, किसी और की जरुरत को पूरा कर पाए…

जो लोग गहरी नींद में सोते हैं, उठने के बाद उनकी ऊर्जा उतनी ही अधिक होती है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति गहरी नींद में होता है, तो वह ध्यान के गामा लेवल पर पहुंच जाता है। इस दौरान व्यक्ति को कॉस्मिक एनर्जी अधिक मिलती है। वहीं, जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है या रात को बार-बार नींद टूटती है, उन्हें अगले दिन ऊर्जा में कमी लगती है

वास्तु अनुसार सकारात्मक ऊर्जा (पॉजिटिव एनर्जी) के लिए घर की बनावट/ सजावट कैसी हो ??

घर की ऊर्जा और निवासियों के स्वास्थ्य के बीच एक मजबूत संबंध बनाए रखता है।

“प्राचीन वास्तुकला अनुपात के बारे में था और इस तरह की संरचना की योजना बना रही थी कि यह हमेशा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और रंगों के सद्भाव के साथ समन्वयित हो। सही क्षण (मुहूर्त) में निर्माण शुरू करना और गैर-आक्रामक भवन सामग्री का उपयोग करना सबसे महत्वपूर्ण है।

हर निर्मित space में तीन प्रकार की ऊर्जा होती है…

ब्रह्मांडीय, पृथ्वी और संरचनात्मक। अंतरिक्ष को सकारात्मक बनाने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी तीन एक दूसरे के साथ मिलकर हैं, अंतरिक्ष के केंद्र को रखें, जिसे ब्राह्मणथन कहा जाता है, किसी भी तरह के संरचनात्मक उल्लंघन से मुक्त है। यह सुनिश्चित करेगा कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रवाह संतुलित है। उत्तर-पूर्व कोने को जीवंत रखने के द्वारा पृथ्वी ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है।
“अंतरिक्ष में कोई अव्यवस्था नहीं है, यह सुनिश्चित करके संरचनात्मक ऊर्जा को सुसंगत बनाया जा सकता है।

सार – यदि आप अपने जीवन को सुखद एवं समृद्ध बनाना चाहते हैं और अपेक्षा करते हैं कि जीवन के सुंदर स्वप्न को साकार कर सकें। इसके लिए पूर्ण निष्ठा एवं श्रद्धा से वास्तु के उपायों को अपनाकर अपने जीवन में खुशहाली लाएं।

वास्तुशास्त्री पं. दयानंद शास्त्रीजी, उज्जैन.

Post By Religion World