योग और ध्यान करने वाले लोग ज़्यादा शांत क्यों होते हैं?

योग और ध्यान करने वाले लोग ज़्यादा शांत क्यों होते हैं?

योग और ध्यान करने वाले लोग ज़्यादा शांत क्यों होते हैं?

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में तनाव, चिंता और मानसिक अशांति आम हो गई है। ऐसे समय में हम अक्सर देखते हैं कि जो लोग नियमित रूप से योग और ध्यान करते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक शांत, संतुलित और सकारात्मक रहते हैं। सवाल यह है कि आख़िर योग और ध्यान मनुष्य को इतना शांत क्यों बना देते हैं? क्या यह केवल विश्वास है, या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक और मानसिक कारण भी है? इस लेख में हम इसी विषय को सरल और गहराई से समझेंगे।

योग और ध्यान क्या हैं?

योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन की एक संपूर्ण जीवन पद्धति है। ध्यान (Meditation) योग का ही एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका उद्देश्य मन को वर्तमान क्षण में स्थिर करना है।

योग शरीर को लचीला और स्वस्थ बनाता है, जबकि ध्यान मन को शांत और स्पष्ट करता है। जब दोनों साथ मिलकर किए जाते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में गहरा सकारात्मक परिवर्तन आता है।

मन की चंचलता और अशांति का कारण

मानव मन स्वभाव से ही चंचल होता है। बीती बातों की चिंता और भविष्य की आशंकाएँ मन को लगातार अशांत बनाए रखती हैं। अधिक सोच, नकारात्मक भावनाएँ और अनियंत्रित इच्छाएँ मानसिक तनाव को जन्म देती हैं।

योग और ध्यान इस चक्र को तोड़ते हैं। ये मन को वर्तमान में लाकर अनावश्यक विचारों से मुक्त करते हैं, जिससे मानसिक शांति का अनुभव होता है।

योग का शरीर और मन पर प्रभाव

योगासन शरीर की मांसपेशियों को ही नहीं, बल्कि नर्वस सिस्टम को भी संतुलित करते हैं। जब शरीर शांत होता है, तो मन भी अपने आप शांत होने लगता है।

नियमित योग से:

  • शरीर में तनाव कम होता है

  • श्वास गहरी और नियंत्रित होती है

  • हार्मोन संतुलित रहते हैं

इन सभी का सीधा प्रभाव मन की शांति पर पड़ता है।

ध्यान कैसे मन को शांत करता है?

ध्यान के दौरान व्यक्ति अपनी साँस, मंत्र या किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करता है। इससे मन भटकने के बजाय स्थिर होता है।

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि ध्यान करने से:

  • मस्तिष्क की तरंगें शांत होती हैं

  • तनाव से जुड़े हार्मोन कम होते हैं

  • सकारात्मक भावनाएँ बढ़ती हैं

यही कारण है कि ध्यान करने वाले लोग कठिन परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखते हैं।

भावनात्मक संतुलन और आत्म-नियंत्रण

योग और ध्यान व्यक्ति को अपने भावों को समझने की शक्ति देते हैं। क्रोध, भय, ईर्ष्या और चिंता जैसी भावनाएँ पूरी तरह समाप्त नहीं होतीं, लेकिन उन पर नियंत्रण संभव हो जाता है।

जब व्यक्ति अपनी भावनाओं को बिना प्रतिक्रिया के देख पाता है, तब वही आंतरिक शांति का वास्तविक अनुभव होता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से शांति

भारतीय दर्शन के अनुसार, शांति बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि भीतर से आती है। योग और ध्यान व्यक्ति को स्वयं से जोड़ते हैं। यह आत्म-सम्बंध ही स्थायी शांति का स्रोत है।

ध्यान के अभ्यास से व्यक्ति यह समझने लगता है कि सुख-दुःख अस्थायी हैं, लेकिन चेतना स्थायी है। यही समझ जीवन को हल्का और शांत बनाती है।

आज के जीवन में योग और ध्यान का महत्व

आधुनिक जीवन में प्रतिस्पर्धा, भागदौड़ और डिजिटल थकान बढ़ती जा रही है। ऐसे में योग और ध्यान मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान बन गए हैं।

नियमित अभ्यास से:

  • निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है

  • रिश्तों में संतुलन आता है

  • आत्मविश्वास और धैर्य विकसित होता है

योग और ध्यान करने वाले लोग इसलिए अधिक शांत होते हैं, क्योंकि वे अपने मन और शरीर दोनों को समझने लगते हैं। यह शांति कोई बाहरी उपलब्धि नहीं, बल्कि भीतर जाग्रत होने वाली अवस्था है। नियमित योग और ध्यान से व्यक्ति जीवन की चुनौतियों को सहजता और संतुलन के साथ स्वीकार करना सीख जाता है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

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