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महेश नवमी : जानें-इसकी व्रत कथा और लाभ

हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी मनाई जाती है। इस साल महेश नवमी 31 मई यानी आज है। इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा-आराधना की जाती है।



इन्हें महेश, शंकर, बाबा बर्फानी, केदारनाथ बाबा वैद्यनाथ, भोलेनाथ आदि नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव जी की कृपा से माहेश्वरी समाज की वंशोत्पत्ति हुई है। अतः इस दिन माहेश्वरी समाज के लोग बड़े धूमधाम से महेश नवमी का पर्व मनाते हैं।

महेश नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त

नवमी 30 मई को शाम में 7 बजकर 57 मिनट को शुरू होकर 31 मई की शाम में 5 बजकर 36 मिनट को समाप्त हो रही है। इस दौरान भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

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महेश नवमी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में माहेश्वरी समाज के वंशज वन में आखेट कर रहे थे। उस वन में कुछ ऋषिगण भी यज्ञ कर रहे थे। माहेश्वरी समाज के वंशजों के आखेट से ऋषियों की यज्ञ-तपस्या भंग हो गई थी।

तब ऋषियों ने शाप दिया था कि तुम्हारे कुल का सर्वनाश हो जाएगा। कालांतर में माहेश्वरी समाज का पतन हो गया, लेकिन कुल के वंशजों ने शिव जी की कठिन तपस्या की।



तदोपरांत, शिव जी की कृपा से उन्हें शाप से मुक्ति मिल गई। भगवान शिव जी ने माहेश्वरी समाज को अपना नाम दिया। कालांतर से महेश नवमी मनाई जाती है।

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Post By Shweta