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विशु पर्व: क्या है विषुक्काणी का अर्थ, जानिए रावण से इस पर्व का सम्बन्ध

केरल में  ‘विषुक्काणी’ त्योहार खूब धूम-धाम से मनाया जाता है. केरल के लोग विषुक्काणी त्योहार को नए साल के तौर पर मनाते हैं. आमतौर पर यह हर साल 14 अप्रैल को मनाया जाता है. इस दिन केरल में आतिशबाजी होती है और ‘विशु कानी’ सजाई जाती है.



क्या है विषुक्काणी का अर्थ

विशु पर्व: क्या है विषुक्काणी का अर्थ, जानिए रावण से इस पर्व का सम्बन्धविशु के दिन की प्रमुख विशेषता है विषुक्काणी. विषुक्काणी उस झांकी दर्शन को कहते हैं जिसका दर्शन विशु पर्व के दिन प्रातः काल किया जाता है.विषु के एक दिन पहले कणी दर्शन की सामग्री एकत्रित की जाती है और उसे सजाया जाता है.

एक कांसे के बर्तन में चावल, नया कपड़ा, ककड़ी, कच्चा आम, पान का पत्ता .सुपारी, कटहल, आइना, अमलतास के फूल आदि सजा कर रख दिये जाते हैं.

इस बर्तन के पास एक दीपक भी जला दिया जाता है. प्रातः काल परिवार का एक बुज़ुर्ग व्यक्ति एक-एक परिवार के सदस्यों की आँखें बंद करवाकर विषुक्काणी तक ले जाता है और सुबह सर्वप्रथम दर्शन के लिए उस सदस्य की आँखे खुलवाता है.

कणी का दर्शन कराने के बाद घर के सदस्य बुज़ुर्ग परिवार के सभी सदस्यों को भेंट में कुछ रुपये भी देते हैं. इस अवसर पर दावत भी दी जाती है . विशु कानी के भोज में नमकीन, मीठे, खट्टे तथा कडवे व्यंजनों की समान मात्रा शामिल की जाती है.

इस पर्व के दो विशेष प्रकार के व्यंजन पहला वेप्पम्पुरासम (नीम से बना कड़वा व्यंजन) और दूसरा मांगा पचड़ी (कच्चे आम की चटनी) प्रमुख है.

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विशु  पर्व का इतिहास

कहा जाता है कि जब सूर्य अपनी राशि पर‍िवर्तन करता है। तब सूर्य का सीधा प्रकाश भगवान श्रीहरि पर पड़ता है।इसी खगोलीय पर‍िवर्तन के चलते केरल राज्‍य में लोग इस दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं।

वहीं एक अन्‍य कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्‍ण ने नरकासुर का वध भी इसी द‍िन किया था।इसलिए भगवान विष्‍णु के साथ ही उनके अवतार कन्‍हैया की भी की जाती है।

क्या है रावण से सम्बन्ध

विशु पर्व: क्या है विषुक्काणी का अर्थ, जानिए रावण से इस पर्व का सम्बन्धएक अन्‍य कथा के अनुसार व‍िषु पर्व सूर्य देवता की वापसी का भी भी पर्व है। एक बार लंकाध‍िपति रावण ने सूर्य भगवान को पूर्व से निकलने पर रोक लगा दी थी।



इसके बाद जब रावण की मृत्‍यु हुई उसी दिन से सूर्य देवता पूर्व द‍िशा में न‍िकलने लगे।कहा जाता है कि तब से ही व‍िषु पर्व को मनाने की प्र‍था आरंभ हुयी।
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Post By Shweta