राम जी कब लौटे अयोध्या – विजयादशमी के तुरंत बाद या दीपावली पर?
रामायण की कथा में सबसे महत्वपूर्ण प्रसंगों में से एक है भगवान श्रीराम का 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटना। रावण का वध करने और धर्म की विजय के पश्चात यह प्रश्न अक्सर उठता है कि राम जी अयोध्या विजयादशमी के तुरंत बाद लौटे थे या दीपावली के दिन?
विजयादशमी और रावण वध
वाल्मीकि रामायण तथा तुलसीदास के रामचरितमानस में यह वर्णन मिलता है कि दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की पुनर्स्थापना की। विजयादशमी को ही “सत्य की असत्य पर जीत” का प्रतीक माना जाता है। परंतु रावण वध के बाद भी राम तुरंत अयोध्या नहीं लौटे। लंका में विभीषण का राज्याभिषेक हुआ, सीता जी की अग्निपरीक्षा हुई और कुछ दिनों तक वहाँ आवश्यक कार्य सम्पन्न किए गए।
यात्रा और समयांतराल
अयोध्या की ओर वापसी कोई एक-दो दिन का काम नहीं था। राम, सीता और लक्ष्मण को पूरी सेना और वानरों के साथ समुद्र पार कर, लंका से अयोध्या तक की लंबी यात्रा करनी थी। इस यात्रा में समय स्वाभाविक रूप से कई दिन लगा। साथ ही विभीषण का राज्य व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी भी राम पर थी। इस कारण दशहरे के तुरंत बाद राम का अयोध्या पहुँचना संभव नहीं था।
दीपावली से जुड़ा प्रसंग
लोककथाओं और परंपराओं में यही माना जाता है कि जब राम जी अंततः अयोध्या पहुँचे, उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में घर-घर दीप जलाए और पूरी नगरी को रोशनी से भर दिया। यही परंपरा आगे चलकर दीपावली का स्वरूप बन गई। इसीलिए दीपावली को आज भी राम की अयोध्या वापसी का पर्व माना जाता है।
विजयादशमी और दीपावली का संबंध
दशहरा और दीपावली, दोनों पर्व वास्तव में एक ही महान गाथा के दो चरण हैं। दशहरे पर रावण के वध से अन्याय और अधर्म का अंत होता है, जबकि दीपावली पर राम की अयोध्या वापसी से धर्म और मर्यादा का राज्य स्थापित होता है। यही कारण है कि भारत की सांस्कृतिक स्मृति में ये दोनों पर्व एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
आज के समय में सीख
राम की अयोध्या वापसी केवल एक ऐतिहासिक या धार्मिक प्रसंग भर नहीं है, बल्कि इसका गहरा संदेश भी है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि सत्य और धर्म की जीत के बाद भी तभी वास्तविक शांति आती है जब धर्मपरायण शासक समाज में लौटकर न्याय और मर्यादा का पालन करे। दीपावली इसी संदेश का उत्सव है — जहाँ अंधकार पर प्रकाश, दुःख पर आनंद और अन्याय पर न्याय की विजय का स्मरण किया जाता है।
राम जी अयोध्या विजयादशमी के तुरंत बाद नहीं लौटे, बल्कि लोक परंपरा और मान्यता के अनुसार उनकी वापसी दीपावली के दिन हुई। दशहरा उनके रावण-विजय का प्रतीक है और दीपावली उनकी अयोध्या-वापसी व रामराज्य की शुरुआत का। यही कारण है कि भारतवासी आज भी इन दोनों पर्वों को अत्यंत श्रद्धा और उल्लास से मनाते हैं।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो