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दादी जानकी को नोबल अवार्ड-2018 सम्मान

दादी जानकी को नोबल अवार्ड-2018 सम्मान

  • द नोबल फाउण्डेशन नाम संस्था ने दिया अवार्ड, कहा नारी शक्ति की मिशाल दादी जानकी

आबू रोड, 31 दिसम्बर, निसं। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी को 103 वर्ष पूर्ण करने पर जयपुर की द नोबल फाउण्डेशन नामक संस्था ने नारी शक्ति तथा आध्यात्मिकता के प्रचार प्रसार एवं बेहतर समाज की स्थापना, दुनिया भर में किये गये कार्य के लिए नोबल अवार्ड-2018 से नवाजा। हालांकि स्वास्थ्य कारणों से दादी जानकी कार्यक्रम में शरीक नहीं हो सकी जिससे उनका अवार्ड संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ग्रहण किया।

ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन स्थित डायमंड हॉल में उपस्थित हजारों लोगों की उपस्थिति में यह अवार्ड द नोबल फाउण्डेशन के चेयरमैन डॉ0 एचसी गणेशिया, संरक्षक पंडित सुरेश मिश्रा, नोबल फाउण्डेशन की सचिव डॉ प्रियंका ने मोमेंटों तथा सर्टिफिकेट भेंट किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए गणेशिया ने कहा कि यह इस फाउण्डेशन का यह पहला अवार्ड है जो दादी जैसी महान हस्ती को दिया जा रहा है। दादी ने देश दुनिया में नारी शक्ति के लिए महान कार्य किया है। यह एक ऐसी संस्था है जिसने पूरे विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाया है।

समारोह में संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने अपने आशिवर्चन देते हुए कहा कि हम सब एक परमात्मा की संतान है। इसलिए हमें पूरे विश्व में एकता का संदेश देना चाहिए। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्था के महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि दादी ने पूरे विश्व में एक मॉं की तरह लोगों के जीवन में मूल्यों का संचार कर श्रेष्ठ बनाया है। ऐसी महान दादी को धन्यवाद देते है जिनका लगातार हमे सान्निध्य मिल रहा है।

समारोह में संरक्षक पं सुरेश मिश्रा, सचिव डॉ प्रियंका ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किये। समारोह में द नोबल फाउण्डेशन की ओर से द टेबल बुक का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली की वरिष्ठ राजयोगिनी चक्रधारी, मीडिया प्रभाग के उपाध्यक्ष बीके आत्म प्रकाश, बीके भरत, बीके बनारसी, डॉ सतीष गुप्ता समेत कई लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में द नोबल फाउण्डेशन के सभी सदस्य उपस्थित थे।
पहनाई बड़ी माला: इस अवसर पर दादी जानकी अनुपस्थिति में दादी रतनमोहिनी को विशाल माला पहनाकर स्वागत किया गया। डायमंड हॉल में विशाल लोगों का जनसमूह दादी की इस उपलब्धि से गौरवान्वित हो उठा।

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