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परमार्थ निकेतन में हुई जीवन सम्मेलन की शुरूआत

परमार्थ निकेतन में हुई जीवन सम्मेलन की शुरूआत

  • 21 से अधिक देशों के युवाओं ने किया सहभाग
  • टी गल्फ, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में हुआ जीवन सम्मेलन का आगाज
  • अमेरिका, जापान, कोरिया, दक्षिण अफ्रिका, केन्या, चीन, न्युजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया, नेपाल, रूस, सिंगापुर, हांगकांग, उज्बेकिस्तान, भारत आदि देशों के लोगों ने किया सहभाग
  • जीवन, जवानी और जल का उपयोग समाज के लिये हो पर आयोजित किया गया सम्मेलन

ऋषिकेश, 10 अगस्त। परमार्थ निकेतन में विश्व के 21 देशों के अनके युवा प्रतिनिधियों ने जीवन सम्मेलन में सहभाग किया। इस सम्मेलन का आयोजन टीगल्फ, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।

जीवन सम्मेलन में टी गल्फ संस्था के संस्थापक शिव खेमका एवं उर्वशी खेमका और देश के जाने माने उद्योगपति उनके सेवा भावी बच्चे यहां परमार्थ निकेतन गंगा के तट पर उपस्थित है। इस सम्मेलन में विश्व के जानी-मानी कम्पनियों में काम करने वाले प्रतिष्ठत पदों पर सुशोभित होने वाले युवा उपस्थित है। जो जीवन को वास्तविक मूल्यों के साथ जीने की कला सीखने हेतु भारत आये हुये है।

जीवन सम्मेलन में डीआरडीओं के वैज्ञानिक भी शामिल है जो जीवन को और अधिक मूल्यपरक बनाने के लिये शोध कर रहे है वे अपने विचार साझा करेंगे तथा तीन दिनों तक इस सम्मेलन में देश और विदेश ही प्रसिद्ध हस्तियां युवाओं को सम्बोधित करेंगी।

आज जीवन सम्मेलन के प्रथम दिन दादा वासवानी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। 2 अगस्त को दादा जेपी वासवानी जी का 100 वाँ जन्मदिन था।

तत्पश्चात विभिन्न देशों के युवा प्रतिनिधि, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, स्वामी जी महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती जी, शिव खेमका, उर्वशी खेमका, डीआरडीओ के वैज्ञानिक एवं अन्य जीवन मूल्यों को जानने वाले विशेषज्ञों ने स्वच्छता रैली में सहभाग किया। सभी ने हाथों में स्वच्छता के झण्डे लेकर स्वच्छता नारे लगाते हुये माँ गंगा के तट पर पंहुचे। वहां पर सभी ने माँ गंगा की तरह निर्मल, शांत और सरल जीवन जीने की प्रार्थना की,  जिस प्रकार गंगा सब के लिये बहती है, सदा के लिये बहती है और सदैव बहती है इस प्रकार जीवन जीने का का रहस्य जानने की प्रार्थना सभी ने की और गंगा घाट पर बने विशाल मंच से जीवन सम्मेलन का आगाज हुआ।

कल सांयकाल की बेला में इस सम्मेलन में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पधारेंगे जो 21 देशों से आये युवाओं को जीवन मूल्यों के साथ गंगा, हिमालय और उत्तराखण्ड की संस्कृति का महत्वपूर्ण संदेश देंगे। माननीय मुख्यमंत्री जी कल परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में भी सहभाग करेंगे।

इस सम्मेलन के माध्यम से युवाओं को यह संदेश दिया जायेंगा की किस प्रकार अपने जीवन और अपनी जवानी को समाज, के लिये समष्टि के लिये समर्पित किया जाये यह सिखाया जायेगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महराज ने कहा कि अगर नदी मंे पानी न हो तो नदी किस काम की, ऐसे जीवन में संस्कार न हो; संस्कृति न हो; मुल्य न हो तो किस काम का। उन्होनेे कहा कि बोलो जीवन कैसा है जैसा बना लो वैसा है, चाहे इसको स्वर्ग बना लो, चाहे इसको नर्क बना लो, बोलो जीवन कैसा है जैसा बना लो वैसा है। स्वामी जी ने जीवन में सेवा, समर्पण और सबको महत्व देने का संदेश दिया।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि जब 22 वर्ष पूर्व मैं भारत आयी उसके पश्चात भारत की संस्कृति, संस्कारों को पाकर मैं भारत की ही होकर रह गयी। मेरे जीवन का अन्तिम डेस्टीनेशन ऋषिकेश उत्तराखण्ड बन गया। भारत की  धरती में भारत की माटी में वह ताकत है जो अपनी ओर आकर्षित करती है। साध्वी जी ने कहा कि जब तक आप सभी भारत की धरती पर माँ गंगा के तट पर है तब तक आप इस माटी के जादू को आत्मसात करे, यहां की हवाओं में, यहां के जल में जो आकर्षण है जो अध्यात्म है उसे जीवन में सहज ही उतरने दे। यहां रहकर जागे और उस अनुरूप जीने का प्रयास करे।

जीवन सम्मेलन में आये 200 से अधिक युवाओं ने यहां आकर जाना की जीवन क्या है किस प्रकार जिया जाता है। उन्होने कहा कि हम भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में गये परन्तु इतना शान्त, सुरम्य और अध्यात्म से युक्त वातावरण है परमार्थ निकेतन का। सभी युवाओं ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया और साध्वी भगवती सरस्वती जी दिव्य सत्संग में सहभाग किया।

Post By Religion World