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हरिद्वार कुंभ 2021: तीन मार्च को निकलेगी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई

हरिद्वार, 25 फरवरी; हरिद्वार के महाकुंभ में तीन मार्च को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई निकाली जाएगी. अखाड़ा प्रबंधन की ओर से पेशवाई की तैयारियां शुरू हो गयी है.



पेशवाई में 50 महामंडलेश्वर और हजारों की संख्या में संत शामिल होंगे.

होगी गुलाबों की बारिश

तीन मार्च को निकलेगी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई

हेलीकॉप्टर से पांच क्विंटल गुलाब के फूलों की बारिश की जाएगी. मंगलौर, दिल्ली, बिजनौर और नजीबाबाद से 10 क्विंटल गुलाब के फूल आएंगे. दो ड्रोन पेशवाई की पल-पल की रिकार्डिंग करेंगे. रामपुर के ऊंट और हाथी पेशवाई की शान बनेंगे. अखाड़े की धर्म ध्वजा 27 फरवरी को स्थापित हो जाएगी.

बैंड बाजों के साथ निकलेगी पेशवाई

तीन मार्च को निकलेगी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव एवं मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष रविंद्र पुरी के अनुसार 3 मार्च को एसएमजेएन पीजी कॉलेज के मैदान से सुबह 11 बजे बैंड बाजों के साथ पेशवाई निकलेगी. पेशवाई कॉलेज के मैदान से शुरू होकर शंकर आश्रम, सिंहद्वार, देशरक्षक तिराहा, कनखल चौक, शंकराचार्य चौक, शिवमूर्ति चौक, वाल्मीकि चौक, गुजरावाला भवन, भाटिया भवन होकर शाम छह निरंजनी अखाड़ा पहुंचेगी.

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50 महामंडलेश्वर होंगे शामिल

पेशवाई में 50 महामंडलेश्वर शामिल होंगे. हजारों नागा मौजूद रहेंगे. सबसे आगे भगवान कार्तिकेय का रथ चलेगा. इसके बाद आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशनंद गिरि का रथ होगा. उनके पीछे संतों की जमात चलेगी.

ऊँट, हाथी, घोड़े होंगे शामिल

तीन मार्च को निकलेगी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाई

पेशवाई में रामपुर के छह हाथी, दो ऊंट और मंगलौर के 50 घोड़े शामिल होंगे.  पेशवाई के लिए प्रयागराज से चांदी के सिंहासन और अहोदे सहित अन्य सामान निरंजनी अखाड़ा पहुंच गया है.

चांदी के सिंहासन पर बैठेंगे महामंडलेश्वर

तीन मार्च को निकलेगी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की पेशवाईपेशवाई में महामंडलेश्वर चांदी के सिंहासन पर सवार होंगे. सिंहासन राजशाही ठाट-बाट का प्रतीक होता है. महामंडलेश्वर अखाड़ा के राजा के रूप होते हैं. उन्हें सिंहासन पर बैठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है.

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भगवा रंग के तंबू

अखाड़े की छावनी के सभी तंबू भगवा और पीले रंग में रंगे के होंगे. इससे छावनी की भव्यता और निखर कर आएगी. अखाड़े की प्राचीन से परंपरा चली आ रही है कि कुंभ मेले के दौरान श्रीमहंत और उप महंत छावनी में बने तंबू में ही रुकते हैं.



अखाड़े की अणियां

एक अखाड़े की पहले 52 अणियां होती थीं, जो विलुप्त होते हुए अब केवल 18 ही बची हैं. अखाड़े के लाखों नागा संन्यासी होते हैं, जिन्हें अणि नियंत्रित करती हैं.

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Post By Shweta