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परमार्थ गंगातट पर सात दिनों से प्रवाहित हो रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन

परमार्थ गंगातट पर सात दिनों से प्रवाहित हो रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन


ऋषिकेश, 3 मई; परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर समाज में सुख शांति एवं सभी प्राणिमात्र के कल्याण की कामना के लिये आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आज समापन हुआ इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने महाराष्ट्र राज्य के विभिन्न शहरों से आये भक्तों को जल की एक-एक बूँद बचाने का संकल्प कराया.
श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन जागृति आश्रम, खामगांव, महाराष्ट्र के तत्वाधान में किया गया. आज कथा का समापन पावन गंगा तट पर यज्ञ, विशाल भण्डारा और कथा की याद में तथा अपने पूवजों की स्मृति एवं सम्मान में कम से कम ग्यारह पौधे का रोपण एवं जल की एक-एक बूँद को बचाने के संकल्प के साथ हुआ. श्रीमद्भागवत कथा के विधिवत समापन के पश्चात भक्तों का दल चार धाम यात्रा के लिये परमार्थ निकेतन से विदा हुआ.

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पूना, महाराष्ट्र एवं अन्य आस-पास के क्षेत्रों से आये भक्तों ने बताया की वहां का पूरा क्षेत्र जल की कमी से जूझ रहा है. वहां पर माताओं-बहनों को कई जगह तो काफी दूर से पानी ढोना पड़ता है. उन्होने कहा कि इस स्वर्गाश्रम क्षेत्र में अपार और अथाह स्वच्छ और निर्मल जल है मानों गंगा जी के साथ स्वयं जल का सागर यहां पर विद्यमान हो. इस दिव्य क्षेत्र में बिताये सात दिन स्वर्ग जैसे प्रतीत हुये. हम नहीं जानते की स्वर्ग कहां पर है परन्तु हमारे लिये तो स्वर्गाश्रम ही स्वर्ग है; यहां पर चारों ओर आध्यात्मिकता, शान्ति, स्वच्छता, सकारात्मक चिंतन, सत्संग, शंख व आरती की मधुर ध्वनि, प्रतिदिन पूज्य संतों का दर्शन वास्तव में दिव्यता का अनुभव कराता है.

श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने स्वच्छता का महत्व समझाते हुये कहा कि ’’स्वच्छ भारत होगा तो स्वस्थ और समृद्ध भारत होगा. श्रेष्ठ भारत के निर्माण हेतु हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा; सबका साथ होगा तभी सबका विकास होगा. भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी, सबको जोड़ने और सबसे जुड़ने का प्रयास कर रहे है तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम अपने देश को गंदगी से मुक्त एंव पेड़ों से युक्त करेंगे. पेड़ होगें तो प्राण बचेंगे; पीढ़ियाँ बचंेगी और पृथ्वी बचेंगी. धरती बचेंगी तो ही हम भविष्य को बचा सकते है. स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारत के कई क्षेत्रों में पानी की अत्यंत कमी है और धीरे-धीरे जल की कमी बढ़ती ही जा रही है. लातुर, औरंगाबाद सहित महाराष्ट्र के अन्य शहरों में जल की समस्याओं का सामना विगत कई वर्षो से किया जा रहा है इस सब को देखते हुये लगता है कि आगे आने वाला समय और भी कठीन हो सकता है इसलिये आईयें मिलकर सकारात्मक संकल्प लें स्वच्छ और सुरक्षित सृष्टि के निर्माण का.’’

परमार्थ गंगा तट पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा व्यास श्री शंकरजी महाराज ने कहा कि ’’ईश्वर के गुणानुवाद को श्रेष्ठ और दिव्य स्थान पर श्रवण करने का अद्भुत आनन्द है. उन्होने कहा कि परमार्थ निकेतन की शुद्धता और सात्विकता से भक्तों का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को साधुवाद देते हुये कहा कि श्रीमद्भागवत कथा को पर्यावरण संरक्षण के विविध आयामों से जोड़कर एक प्रेरक संदेश दिया है इसे हम आगे भी कथाओं के माध्यम से प्रसारित करते रहेंगे.’

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पूज्य स्वामी जी ने कथा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि कथा की याद में कम से कम ग्यारह फलदार पौधे का रोपण अवश्य करें. तत्पश्चात स्वामी जी महाराज के पावन सान्निध्य में सभी श्रद्धालुओं, कथा व्यास श्री शंकर जी महाराज और कथा आयोजक यजमान परिवार ने विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति एवं जल की एक-एक बूँद बचाने के संकल्प के साथ वाटर ब्लेंसिग सेेरेमनी सम्पन्न की.

Post By Shweta