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नवरात्रि में किए जाने वाले 10 अनिवार्य कार्य

नवरात्रि में किए जाने वाले 10 अनिवार्य कार्य

नवरात्रि, शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा पर्व है। पूरे नौ दिन तक मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों में नवरात्रि के दौरान कुछ कार्य ऐसे बताए गए हैं जिन्हें करना अत्यंत शुभ और अनिवार्य माना गया है। ये कार्य न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि में किए जाने वाले 10 अनिवार्य कार्य।

1. घटस्थापना (कलश स्थापना)

नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है। इसे कलश स्थापना या जौ बोना भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार कलश में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। कलश पर रखा नारियल समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है, जबकि जौ बोना भविष्य की खुशहाली का सूचक माना जाता है।

2. मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा

नवरात्रि में प्रतिदिन मां दुर्गा के एक रूप की पूजा की जाती है — शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक। प्रत्येक रूप का अलग महत्व है। उदाहरण के लिए, मां शैलपुत्री स्थिरता देती हैं, मां ब्रह्मचारिणी तप का बल, जबकि मां कात्यायनी विवाह और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।

3. उपवास और सात्त्विक आहार

नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अंग है उपवास। यह केवल भोजन न करने का नियम नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम और शुद्धि का प्रतीक है। व्रत में फल, दूध और सात्त्विक आहार लेने से शरीर डिटॉक्स होता है और मन एकाग्र होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

4. अखंड ज्योति प्रज्ज्वलन

मां दुर्गा के सामने नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दीपक घर में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शांति लाता है। अग्नि तत्व के कारण वातावरण की शुद्धि भी होती है।

5. दुर्गा सप्तशती और धार्मिक ग्रंथों का पाठ

नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी है। इसमें मां दुर्गा की शक्ति और उनके असुरों पर विजय का वर्णन है। इसके साथ ही देवी भागवत, चंडी पाठ और देवी के स्तोत्रों का पाठ भी किया जाता है।

6. भजन-कीर्तन और साधना

भक्ति भाव से मां के भजन-कीर्तन करना, धूप-दीप जलाना और साधना करना नवरात्रि का विशेष हिस्सा है। माना जाता है कि इस दौरान वातावरण में ऊर्जा बढ़ जाती है और साधना शीघ्र फल देती है।

7. कन्या पूजन (कुमारी पूजन)

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। छोटी कन्याओं में मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है। उन्हें भोजन, वस्त्र और उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त करना नवरात्रि का अनिवार्य कार्य है।

8. दान-पुण्य और सेवा

नवरात्रि में गरीबों, जरूरतमंदों, पशु-पक्षियों की सेवा और दान करने का बहुत महत्व है। शास्त्र कहते हैं कि इस समय किया गया दान कई गुना फल देता है और पापों का नाश करता है।

9. गरबा और डांडिया

विशेषकर गुजरात और पश्चिम भारत में नवरात्रि का सबसे बड़ा आकर्षण है गरबा और डांडिया। यह केवल नृत्य नहीं बल्कि मां की आराधना का अनोखा तरीका है। यह भक्तों को सामूहिक भक्ति और आनंद की अनुभूति कराता है।

10. व्रत का समापन और हवन

नवमी या दशमी को व्रत का समापन हवन और प्रसाद वितरण के साथ किया जाता है। हवन से वातावरण की शुद्धि होती है और साधना पूर्ण होती है। इसके बाद भक्त मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।

नवरात्रि केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, संयम, भक्ति और सेवा का पर्व है। इन 10 अनिवार्य कार्यों को करने से भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि आती है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World