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पांच वक़्त के नमाज़ी की योग साधना

पीलीभीत, १७ जून; पांच वक्त का नमाज़ी, मुकम्मल रोजेदार होने के साथ सिद्धस्त योगी भी. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित मुहल्ला भूरे खां निवासी मोहम्मद यूसुफ खां की, जिन्होंने पहले योग-प्राणायाम के बारे में खुद के जीवन में तजुर्बा लिया, फिर उसी पथ के सच्चे राही हो गए. भोर में सहरी के तुरंत बाद प्रज्ञा पीठ परिसर में उन्हें वक्रासन, मंडूक, अर्द्धमत्स्येन्द्र, हल, सर्वांग जैसे आसन करता देख हर कोई हैरत में पड़ जाता है. कपालभाति, अनुलोम-विलोम की क्रियाओं को वह सिद्धहस्त योगी की तरह समझाते हैं. उन्हें पतंजलि योग समिति, पीलीभीत की ओर से विश्व योग दिवस कार्यक्रम का मुख्य ट्रेनर बनाया गया है.
कैसे आया योग इनके जीवन में
2008 में रुहेलखंड विश्वविद्यालय से एम. कॉम की पढ़ाई के दौरान वह अग्नाशय (यकृत) से संबंधी बीमारी से ग्रसित हो गए. शरीर में सीरम अमलोज, सीरम प्यूरियम व एसजीपीटी लगातार बढ़ने से दो सालों तक उनका जिला अस्पताल और निजी अस्पताल में इलाज चला. 15-15 दिन अस्पताल में ड्रिप पर ही रहना पड़ता था. 2010 में डॉक्टरों ने जवाब देते हुए लखनऊ रेफर कर दिया. वहां भी इलाज के बाद ओरल डाइट पर ही रहने की सलाह दी गई.
योग ने बनाया निरोगी
बीमारी के चलते कामकाज छूट गया और पाई-पाई को मोहताज हो गए. 2015 में योग से जुड़े डॉ. एमपी सिंह व नरेन्द्र पाल सिंह के संपर्क में आए तो उन्होंने योग की शरण में आने का सुझाव दिया. मजहबी कारणों से पहले झिझक हुई, लेकिन आखिर में योग कक्षा जाना शुरू कर दिया.
वक्रासन, मंडूक व अर्द्धमत्स्येन्द्र जैसे आसन और कपालभाति, अनुलोम-विलोम आदि प्राणायाम शुरू किए. कुछ माह बाद धीरे-धीरे बीमारी दूर होती चली गई.
योग के प्रभाव होकर लिया योग डिप्लोमा
इस चौंकाने वाले परिणाम से यूसुफ इस कदर प्रभावित हुए कि कुमायूं विश्वविद्यालय से योग में डिप्लोमा लेना शुरू कर दिया. इसके अलावा पतंजलि योग पीठ, हरिद्वार, गांधी स्मृति स्थल दिल्ली व मोरारजी देसाई प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र दिल्ली जैसे संस्थानों में योग प्रशिक्षण प्राप्त किया.
संस्कृत में लिखी ये बातें भी कंठस्थ
इतना ही नहीं यूसुफ को संस्कृत में लिखे पतंजलि योग दर्शन के सभी 195 सूत्र कंठस्थ हैं. खेरण्ड संहिता, हठ प्रदीपिका जैसे योग से जुड़े ग्रंथों का उन्होंने पूरा अध्ययन किया. यूसुफ का मानना है कि योग को मजहबी संकीर्णता से कतई नहीं जोड़ा जाना चाहिए. योग तो निरोग रहने का एकमात्र साधन है.
पतंजलि योग समिति, पीलीभीत के नरेन्द्र सिंह बताते हैं कि विश्व योग दिवस पर अन्य कई संस्थाओं के साथ मिलकर योगाभ्यास का कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें मोहम्मद युसूफ को मुख्य ट्रेनर बनाया गया है. योगिक क्रियाओं की उन्हें बारीक से बारीक जानकारी है.

Post By Religion World