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स्वर्गीय श्रीमती श्रीदेवी कपूर की जन्म कुंडली का विश्लेषण

स्वर्गीय श्रीमती श्रीदेवी कपूर की जन्म कुंडली का विश्लेषण

श्रीदेवी का जन्म 13-8-1963 को मंगलवार के दिन हुआ था। विक्रम सम्वत 2020 के भाद्र पद माह की कृष्ण पक्षीय नवमी को जन्म समय प्रातः 5.30 पर जन्म स्थान चेन्नई में कर्क लग्न के अंतर्गत हुआ था। लग्न में ही सूर्य और शुक्र स्थित हैं ।

रोग भाव में केतु स्थित हैं, धनु राशि में। लक्ष्मी योग (मंगल -चंद्र युति) के साथ साथ विष योग (शनि-चंद्र) भी बन रहा हैं। भाग्य स्थान देवगुरु वृहस्पति स्थित हैं मीन राशि में।

इनकी जन्म राशि वृषभ तथा नक्षत्र कृतिका 6-00-00 अंश तथा तृतीय चरण में था । इस समय चौघड़िया रोग का, लग्न चक्र में कर्क का लग्न तथा होरा गुरु का था।

इस जन्म कुंडली में शनि मारकेश होकर सप्तम स्थान में बैठा हैं।

तथा इनकी कुण्डली में वर्तमान में शनि/शनि/सूर्य/ की दशान्तर्द्शा 12 -1-2018 से चालू है लेकिन 23 जनवरी 2018 से बुध का सूक्ष्म 22 बजकर 43 से से शुरू हुआ.

योगनी में पिंगला की दशा है.जो सूर्य ( बुध के नक्षत्र में ) के विभाग को देखता है ।

वर्तमान में शनि की अष्टम ढैय्या है.

लग्नेश चन्द्र स्थिर में तथा अष्टमेश चर में है.

होरा चर है तो होरा से अष्टम स्थिर है.

इनकी आयु मध्यायु दर्शाती है.

गोचर में राहू भी कर्क लग्न में ही तथा मारकेश शनि के नक्षत्र में है।

भिन्नाष्टक में शनि 2 पॉइंट दिया है.

त्रिशांश मीन है.

द्वादशांश कुम्भ है।

नवमांश धनु का है ।

औसत आयु में जो आयु होती है उस आयु खंड में मारकेश की दशा मृत्यु की दशा साबित होती है लेकिन अगर शनि है फिर तो राम ही मालिक है। श्रीदेवी की मृत्यु समय सूर्य भी मारकेश है शनि तो है ही.,शनि की अष्टम ढैय्या भी वर्तमान में है ।

यदि ध्यान से देखा जाए तो ज्योतिषीय सिद्धांत यहाँ पूरी तरह से फिट बैठता है । 

यहां ध्यान देने वाली बात यह हैं कि श्रीदेवी को अस्थमा/सास लेने में तकलीफ होने बावजूद भी उन्होंने 34 हैं स्थान पर अपने जीवन के 54 वर्ष पूर्ण किये। उन्हें पति और संतान सुख भी मिला।कला के क्षेत्र से उनका सम्बन्ध रहा।

ऐसी ही कर्क लग्न कुण्डली में सप्तम में शनि स्थिति श्रीमती इंदिरा गाँधी की थी जिनकी मृत्य शनि की दशा में ही हुई थी ।

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