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श्रावण विशेष: मोक्ष प्राप्ति के लिए करें भगवान के ओंकारेश्वर के दर्शन

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। मध्य प्रदेश में इन 12 ज्योतिर्लिंग में से दो प्रमुख ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। जिनमें एक ज्योतिर्लिंग बाबा महाकालेश्वर के रुप में उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर विराजमान है।



तथा दूसरा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर-ममलेश्वर के रूप में मोक्षदायिनी नर्मदा नदी के तट पर खंडवा जिले में मौजूद हैं। आज हम आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहें यहां प्रतिदिन कोई न कोई चमत्कार होता रहता है।

यहां भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों की अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तथा भक्तों पर भगवान शिव का आशीर्वाद बना रहता है। कहा जाता है कि ओंकारेश्वर धाम किसी मोक्षधाम से कम नहीं हैं। ॐ के आकार में बने इस धाम की परिक्रमा करने से भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता हैं।

राजा मान्धाता के तप से प्रसन्न हुए थे भगवान शिव

ओंकारेश्वर पवित्र धाम को लेकर कई प्रकार की कथाएं हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि ओंकारेश्वर धाम मन्धाता द्वीप पर स्थित है। मन्धाता द्वीप के राजा मान्धाता ने यहां इस पर्वत पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महान तप किया था। जिसके बाद भगवान शिव से राजा ने वरदान स्वरूप यही निवास करने का वरदान मांग लिया। इसके बाद भगवान शिव राजा मान्धाता को दिए वचन अनुसार यहां पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव विराजमान हो गए। और राजा मान्धाता के राज्य में जनता की सुरक्षा भगवान शिव स्वयं करते रहे। प्रचलित कथाओं के अनुसार ओंकारेश्वर को तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के नाम से भी प्राचीन समय में जाना जाता था।

शिवपुर नामक द्वीप पर विराजमान हैं ओंकारेश्वर

ओंकारेश्वर धाम मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी के तट पर बसा है। भगवान शिव के इस परम पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए नर्मदा पर बने पुल से दूसरी पार जाना पड़ता हैं। नर्मदा नदी के बीच मन्धाता व शिवपुर नामक द्वीप पर ओंकारेश्वर पवित्र धाम बना हुआ हैं।

स्वयं  प्रकट हुई नर्मदा

ऐसा बताया जाता हैं कि जब भगवान शिव का यह ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग यहां विराजमान हुआ था तब नर्मदा नदी यहां खुद  ही प्रकट हुई थी। ऐसी आस्था है कि भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु पहले नर्मदा में स्नान कर पवित्र डूबकी लगाना पड़ती है। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की कामना पूरी करते हैं।

कैसे  पड़ा ओंकारेश्वर नाम

राजा मान्धाता ने अपनी प्रजा के हित तथा मोक्ष के लिए तप कर भगवान शिव से यही विराजमान होने का वरदान मांगा। जिसके बाद से यहां पहाड़ी पर ओंकारेश्वर तीर्थ ‘ॐ’ के आकार में बना हुआ है। ‘ॐ’ शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ तथा वेद का पाठ उच्चारण किए बिना नहीं होता हैं। इसलिए इस तीर्थ का नाम ओंकारेश्वर हैं। आस्था हैं कि ॐ आकार से बने तीर्थ की परिक्रमा करने पर प्राणी सुखी और निर्भय हो जाता है। और प्राण त्यागने के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।



मिलता है मनचाहा वरदान

यहां पर नर्मदा नदी में लगातार सात दिन तक सूर्य उदय से पूर्व स्नान कर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से रोग, कष्ट दूर होकर मन मांगी मुराद पूरी होती हैं। और प्राणी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां विराजमान हैं सभी देवी-देवता ओंकारेश्वर तीर्थ को लेकर कई मान्यता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि यहां पर सभी देवी-देवताओं का वास है तथा नर्मदा नदी मोक्ष दायनी है। 12 ज्योतिर्लिंग में ओंकारेश्वर का पवित्र ज्योतिर्लिंग भी शामिल हैं। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि जब तक भक्त ओंकारेश्वर के दर्शन कर यहां नर्मदा सहित अन्य नदी का जल नहीं चढ़ाते तब तक उनकी भक्ति पूर्ण नहीं होती।

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Post By Shweta