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Kumbh 2019 में ऐतिहासिक कीवा फेस्टिवल का अद्भुत महोत्सव : उपराष्ट्रपति वैंकेय्या नायडू पधारे परमार्थ निकेतन शिविर

Kumbh 2019 में ऐतिहासिक कीवा फेस्टिवल का अद्भुत महोत्सव : उपराष्ट्रपति वैंकेय्या नायडू पधारे परमार्थ निकेतन शिविर

  • ऐतिहासिक कीवा फेस्टिवल का अद्भुत महोत्सव
  • भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वैंकया नायडू जी पधारे परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज
  • परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित कीवा फेस्टिवल और अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का अद्भुत आयोजन देखकर महामहिम हुये अभिभूत
  • उत्तरप्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री राम नाईक ने किया सहभाग

  • भारत के उपराष्ट्रपति श्री वैंकया नायडू जी ने कीवा फेस्टिवल में आये जनजातीय नेताओं और अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आये योग शिक्षकों को रूद्राक्ष की माला और अंगवस्त्र से सम्मानित
  • कीवा फेस्टिवल प्रयागराज पर बनी शार्ट फिल्म का प्रदर्शन
  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी एवं प्रशासन को अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की सफलता हेतु बधाई दी
  • परमार्थ निकेतन शिविर में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव (13 से 18 फरवरी) में आये योगाचार्यो को किया सम्मानित, 30 वर्ष पूर्व उत्तरप्रदेश सरकार ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की शुरूआत की थी तथा यह महोत्सव परमार्थ निकेतन के साथ मिलकर चलता रहा, संगम के तट पर भारत सरकार, उत्तरप्रदेश सरकार और परमार्थ निकेतन ने मिलकर किया अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव आयोजन
  • कार्यक्रम का शुभारम्भ और समापन राष्ट्रगान से हुआ
  •  शहीदों की शहादत को सलाम करते हुये श्रद्धांजलि अर्पित की
  • महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू जी एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने टाॅयलेट कैफेटेरिया का भ्रमण किया
  • पूरे विश्व को ’’समन्वय का संगम और सर्व समावेशी का संगम’’ की आवश्यकता – पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वतीजी

प्रयागराज/ऋषिकेश। 16 फरवरी। परमार्थ निकेतन शिविर अरैल क्षेत्र सेक्टर 18 में आयोजित ’’कीवा फेस्टिवल’’ (धरती का हृदय) का आज अद्भुत महोत्सव मनाया जा रहा है जिसमें मुख्य अतिथि भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू जी तथा उत्तरप्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी अन्य विशिष्ट अतिथियों और विश्व के 42 देशों से आये आदिवासी, जनजाति और आदिम जाति के लोगों ने सहभाग किया। सभी विशिष्ट अतिथियों ने श्रद्धांजलि, शान्ति और शक्ति हेतु किये जा रहे हवन में आहूतियाँ प्रदान की। परमार्थ निकेतन में किये जा रहे ’’शादी को ना और पढ़ाई को हाँ’’ कैम्पेन की दीवार पर महामहिम उपराष्ट्रपति जी ने हस्ताक्षर कर ’बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दिया।


भारत के उपराष्ट्रपति श्री वैंकया नायडू जी, उत्तरप्रदेश राज्यपाल श्री राम नाईक जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, कथाकार श्री मुरलीधर जी महाराज, डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी , जर्मनी एवं कोलम्बिया से आये श्री स्वामी परमाद्वैती जी, निदेशक ’रूट आॅफ द अर्थ’ श्री हेरीबेरतो जी, ने दीप प्रज्जवलित कर आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।


जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन एवं स्वागत करते हुये कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी प्रदान की। ’’देवभक्ति से पहले देशभक्ति’’ का संदेश देते हुये आज के इस आध्यात्मिक कार्यक्रम की शुरूआत राष्ट्रगान के साथ हुई तथा पुलवामा में शहीद हुये भारत के वीर जवानों को श्रद्धाजंलि अर्पित की।


स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा, ’’हम आज संगम के तट पर अदृभुत संगम देख रहे है; हम सभी संगम के तट पर एक हो रहे है, संगम में डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही यहां से सरलता, सात्विकता और शुद्धता का संदेश लेकर जायेंगे। आज पूरे विश्व को ’’समन्वय का संगम और सर्व समावेशी का संगम’’ की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि आज हम संगम के तट पर वास्तव में ’’वसुधैव कुटुम्बकम्’’ का संदेश साकार होते देख रहे हैं। संगम के तट पर एक अद्भुत संगम देख रहे है। विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के मिलन को देख रहे हैं। यही तो हमारी सनातन संस्कृति है जो हमें ’’विभिन्नता में एकता’’ का संदेश देती है। संगम का तट भी आज यही संदेश दे रहा है वास्तव में यह अद्भुत और अवर्णनीय दृश्य है।

महामहिम उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू जी ने कहा कि ’’विश्व में सात आश्चर्य है परन्तु आज मैं कुम्भ मेला के रूप में विश्व का आठँवा आश्चर्य देख रहा हूँ। ’’वीवा-कीवा’’ कुम्भ के अवसर कीवा फेस्टिवल का आयोजन अद्भुत है। कुम्भ का उद्भव भी नदियों के तटों पर हुआ है और आज संगम के तट पर होने वाला कीवा पर्व हमें नदियों और प्रकृति के संरक्षण का संदेश दे रहा है। आज पूरे विश्व को, आकाश को, पृथ्वी को शान्ति की जरूरत है। संगम के तट से विविधता में एकता का संदेश देते हुये कहा कि ’’विविध भाषा, विविध वेश फिर भी मेरा देश एक’’, विविधता में एकता भारत की विशेषता, ’’हम सब एक है’’। आप सभी यहां से ’’पूरी दुनिया एक है’’ की भावना लेकर जायें। यह अवसर प्रकृति से जुड़ना और नदियों से जुड़ने का है यही हमारी पौराणिक परम्परा भी है। उन्होने सतत, सुरक्षित और शान्तिपूर्ण विकास की बात की और कहा कि योग केवल एक आसनों का अभ्यास ही नहीं है बल्कि वह एक विज्ञान है। महामहिम जी ने कहा कि प्रकृति के विरूद्ध जाकर किसी भी स्वस्थ, समृद्ध और सहिष्णु संस्कृति का निर्माण नहीं हो सकता। प्रकृति के संरक्षण के लिये उसके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार की जरूरत होती है। प्रकृति के विरूद्ध जाकर हम व्यसन के साधन को बना सकते है परन्तु मानव के रूप में हमारा विकास विकृत होगा। मानव प्रकृति का ही अंग है अतः उसे प्रकृति के समीप ही रहना चाहिये।
उत्तरप्रदेश के महामहिम राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने ’’जीवन में चलते रहो-चलते रहो का संदेश देते हुये कहा कि जिस प्रकार हमारी नदियाँ और सूर्य निरन्तर चलते रहते है इस प्रकार कुम्भ से चलते रहने का संदेश लेकर जाये। कुम्भ की संस्कृतिक धारा भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी चलती रहे। उन्होने कहा कि कुम्भ मेला के अवसर यह कीवा कुम्भ और योगा कुम्भ का अद्भुत संयोग है। कुम्भ की विशेषताओं के बारे में बताते हुये कहा कि इस बार स्वच्छता और व्यवस्था का अद्भुत संगम है कुम्भ मेला में अब तक 17 करोड़ श्रद्धालुओं ने सहभाग किया और मुझे लगता है कुम्भ के अंत तक यह संख्या 25 करोड़ तक हो जायेगी सचमुच अद्भुत दृश्य है कुम्भ का।

रूट ऑफ अर्थ के निदेशक श्री हेरिबेरतो जी ने कहा कि विश्व के आदिम जाति और आदिवासी समुदाय के लोगों ने प्रथम बार कुम्भ मेला में सहभाग किया वास्तव में यह अद्भुत अवसर है और हम इसके सहभागी है। कीवा पर्व के माध्यम से हम नदियों के संरक्षण का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित करते हैं।

डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, ’’हम प्रयागराज में पवित्र नदियों के संगम के तट पर विश्व की विभिन्न संस्कृतियों, रंगों, पंथों का अद्भुत संगम देख रहे है। यह प्रार्थना का एक दिव्य संगम है, लोग यहां पर मानवता, हमारे जलस्रोत्रों, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने हेतु एकत्र हुये है। उन्होने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत के पास पीने हेतु जितना पानी है उसका केवल आधा ही हिस्सा बचा होगा। अतः हमें प्रार्थना के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये एक साथ आना होगा तभी हम अपने कल और भविष्य को सुनिश्चित कर सकते है।
वास्तव के कुम्भ मेला के अवसर पर कीवा फेस्टिवल का आयोजन एक ऐतिहासिक कार्यक्रम है जिसके माध्यम से दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों का संगम हो रहा है। यह प्रयाग की धरती पर संस्कृतियों का अद्भुत संगम है जिसमें इजरायल में रहने वाले चेरोकी, पेरू से आने वाले कैकेटाइबो, इस्कोहनुया, मैसिगेन्का, बोलिविया से अयमर्स, आॅस्रोगोत्स, मरकाॅमनिक्स, फैंक्स वंडल्स, जर्मनी से नवाजो, चेरोकी अमेरिका से अट्रेबट्स, बेलगैस एवं यू. के. से कान्तरि असिस एवं नवाजो जनजातीय समुदाय के लोग तथा सुदूर उत्तर भारत में रहने वाले खासी और गारो जनजातीय समुदाय के लोग मिलकर अपनी संस्कृतियों के आदान-प्रदान के साथ नदियों, जलस्रोत और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।
विश्व के अनेक देशों से आयी विदेशी कन्यायें भारतीय वेशभूषा में साड़ी पहनकर विश्व की विभिन्न नदियों का प्रतिनिधित्व कर रही है और अपनी जीवनदायिनी नदियों को बचाने का संदेश दे रही है।

विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति, विश्व शान्ति एवं स्वच्छता के प्रति जागरूकता हेतु परमार्थ निकेतन में विश्वाभिषेक की अनुपम परम्परा की शुरूआत की है इसके अन्तर्गत विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।

कीवा फेस्टिवल में आये विश्व के 42 देशों से आये जनजाति लीडर्स को माननीय उपराष्ट्रपति जी द्वारा सम्मानित किया।

हेरिबेतरो विलेसेनर, ’’रूट्स ऑफ अर्थ’’ मैक्सिको, चिली, कोलंबिया, ऑस्ट्रिया, पेरू और हाॅलैंड के निदेशक है।

नूबिया रोड्रिगेज, रूट ऑफ अर्थ की संस्थापक,
अबुइला टोनाल्मिटल, मैक्सिकन आध्यात्मिक नेता,
टाटा गोरीला, एल्डर टोल्टेका जनजाति,
चेरिल एंजल, जल संरक्षण हेतु अद्भुत कार्य
मारिया हुइनिनुर, गायक,
मार्टिना मामानी, प्राचीन ऐडियन परम्परा
तैता जूलियो मुनोज़
माराकामे अल्फोंस गोंजालेज,
लोरेंजो सेउनी इजक्विएर्डो अर्रोयोे
शर्ली क्रेनेक, द क्रेनाक लोग, ब्राज़ील
ताइता उल्लपु, द ओल्ड विसिस नेशन
राउल कैसिलस गुटीरेज़
मारिया लुइसा,
इवान कोन्युकर
फिलिप केल्टिक
लियोनार्डो डुटर्टे
मिशेल वृन्दा देवी
जुआन कार्लोस

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आये विख्यात योगाचार्यो को सम्मानित किया।

भारत, अर्जेन्टीना, अफ़गानिस्तान, बोलीविया, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, कोलम्बिया, चेक गणराज्य, इक्वेडोर, इंग्लैंड, फ्रांस, जमर्नी, ग्रीस, हाॅलैंड, इजरायल, इरान, इटली, मैक्सिको, नीदरलैंड, नेपाल, नार्वे, पेरू, परागुआ, पोलैंड, पुर्तगाल, रूस, स्पेन, श्रीलंका, स्विट्जरलैण्ड, टर्की, अमेरिका, यूके, वेनेजुएला और विश्व के अन्य देशों से आये श्रद्धालुओं ने भी सहभाग किया।

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