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क्रिसमस के पर्व पर क्या है क्रिसमस ट्री का महत्त्व

क्रिसमस के पर्व पर क्या है क्रिसमस ट्री का महत्त्व

क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है जिसे वह बड़ा दिन भी कहते हैं. प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में संपूर्ण विश्व में ईसाई समुदाय के लोग विभिन्न स्थानों पर अपनी-अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा के साथ मनाते हैं. क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री का विशेष महत्व है. सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है.

कब हुयी इस प्रथा की शुरुआत

अनुमानतः इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी. यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे. ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे. उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं.

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कब हुयी आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत


आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई. मध्यकाल में एक लोकप्रिय नाटक के मंचन के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए. इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक दिखाया गया था.
उसके बाद जर्मनी के लोगों ने 24 दिसंबर को फर के पेड़ से अपने घर की सजावट करनी शुरू कर दी. इस पर रंगीन पत्रियों, कागजों और लकड़ी के तिकोने तख्ते सजाए जाते थे. विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढ़िया किस्म के केकों को रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ पर बांधा जाता था.

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क्रिसमस ट्री से जुड़े अन्य तथ्य

  • वैसे तो क्रिसमस ट्री की कहानी प्रभु यीशु मसीह के जन्म से है.जब उनका जन्म हुआ तब उनके माता पिता मरियम एवं जोसेफ बधाई देने वालो ने , जिनमे स्वर्गदूत भी थे , एक सदाबहार फर को सितारों से रोशन किया था. तब से ही सदाबहार क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली.
  • क्रिसमस ट्री को लेकर कई मान्यताये भी है.प्राचीन रोम में एक मान्यता के अनुसार एक वृक्ष की एक छोटी शाखा को एक शिशु ने भोजन और आवास के बदले कुछ आदिवासियों को दी थी. ऐसा माना जाता है कि वह शिशु ओर कोई नही , स्वयं प्रभु यीशुमसीह थे. घरो में क्रिसमस ट्री लगाकर लोग क्रिसमस पर अच्छे फलों  की प्राप्ति की कामना करते है.
  • क्रिसमस ट्री को इंग्लैंड में लोग किसी  के जन्मदिन ,विवाह या किसी परिजन की मृत्यु हो जाने पर भी उसकी स्मृति में रोपते है.वे कामना करते है कि इससे पृथ्वी हमेशा हरी भरी रहे.
  • प्राचीन इतिहास ओर कुछ कथाओं से यह भी पता चला है कि क्रिसमस ट्री का वृक्ष आदम के बाग़ में भी लगा था.जब हव्वा ने उस वृक्ष के फल को तोडा , जिस परमेश्वर ने खाने ने मना किया था.तब इस वृक्ष की वृद्धि रुक गयी और पत्तिय सिकुड़ कर नुकीली बन गयी. कहते है इस पेड़ की वृद्धि उस समय तक नही हुयी , जब तक प्रभु यीशु का जन्म नही हुआ. उसके बाद यह वृक्ष बढने लगा.
  • क्रिसमस ट्री के बारे में एक और कथा है कि एक बुढिया अपने घर देवदार के वृक्ष की एक शाखा ले आयी और उसे घर में लगा दिया.लेकिन उस पर मकडी ने अपने जाले बना लिए. जब प्रभु यीशु का जन्म हुआ था तब वे जाले सोने के तार में बदल गये थे. इस तरह के संबध में अनेक मान्यताए , कहानिया और इतिहास है.
  • कहा जाता है कि युल नामक पर्व मनाया जाता है जो कि अब बड़ा दिन के उत्सव में घुल मिल गया है.इस त्यौहार में पेड़ो को खूब सजाया जाता था.सभवत: इसी से क्रिसमस ट्री की प्रथा चल पड़ी.
  • वैसे क्रिसमस ट्री की परम्परा के पीछे लम्बी कहानी है.कुछ इतिहासकारो का मानना है कि जगमगाते -चमकते क्रिसमस का संबध मार्टिन लूथर से था. मार्टिन लूथर ने छोटे हर भरे पौधों से जलती हुयी मोमबत्ती लगा दी ताकि लोगो को स्वर्ग की रोशनी की ओर प्रेरित कर सके. यह प्रतीक था स्वर्ग की रोशनी का , जो पहले क्रिसमस के अवसर पर बेथलहम में दिखाई दी थी.
  • यह परम्परा पहले जर्मनी में थी इसे बाद में ब्रिटेन में लाया गया , जो राजघराने में लोकप्रिय हो गया.जर्मनी में देवदार के पेड़ को गुलाब के फुल , सेब और रंगीन पेपर से सजाया जाता था.
  • वर्ष 1834 में प्रिंस अल्बर्ट ने पहली बार राजघराने में क्रिसमस ट्री सजाया , जिसे नोर्वे की महारानी ने प्रिंस को उपहारस्वरूप दिया था.कुछ लोगो का मानना है कि ईसा पूर्व से ही क्रिसमस की परम्परा कायम थी.
  • मिस्र के लोग शरद ऋतू में सबसे छोटे दिन का त्यौहार मनाते थे.इस दिन वे खजूर के पत्ते अपने घरो में लाते थे जो जीवन का मृत्यु पर विजय का प्रतीक था. रोम के निवासी शनि त्यौहार के दिन हरे पेड़ की शाखाओ को हाथ में लेकर उपर उठाते थे और त्यौहार में शामिल होते थे.
  • क्रिसमस ट्री लगाने की शुरुवात ब्रिटेन के संत बोनीफस ने सातवी शताब्दी में की.उन्होंने त्रियक , परमेश्वर पिता , पुत्र और पवित्र आत्मा के प्रतीकात्मकता दर्शाने के लिए त्रिकोणीय लकड़ी को लोगो के सामने रखा. यह लकड़ी फर वृक्ष की थी.सदाबहार फर वृक्ष को ईसा पूर्व भी पवित्र माना जाता था.
  • मॉडर्न क्रिसमस ट्री की उत्पति जर्मनी से 16वी शताब्दी में हुयी.उस समय आदम और हव्वा के नाटक पर फर का पेड़ लगाया जाता था. स्टेज पर पिरामिड भी रखा जाता था. इसके सबसे उपर एक सितारा लगाया जाता था. बाद में 16वी शताब्दी में फर का पेड़ और पिरामिड एक हो गये और इसका नाम हो गया क्रिसमस ट्री.
  • 18वी शताब्दी में क्रिसमस बेहद लोकप्रिय हुआ बाद में इंग्लैंड में लोकप्रिय हुआ.19वी सदी में क्रिसमस उत्तरी अमेरिका में आया.

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क्या आप जानते हैं?

  • सबसे सजा हुआ क्रिसमस का पेड़ 1510 ईस्वी में Latvia में रिगा शहर में देखा गया था.
  • क्रिसमस ट्री का पहला प्रिंटेड reference 1931 में जर्मनी में देखा गया था.
  • लगभग 1 लाख लोगो को फुल टाइम या पार्ट टाइम Christmas tree industry से रोजगार मिलता है
    अमेरिका में 15 हजार से ज्यादा क्रिसमस tree farms है जहा 3.5 करोड़ से ज्यादा Christmas trees पौधे है.

  • सबसे लोकप्रिय क्रिसमस ट्री Scotch pine, Douglas fir, noble fir, Fraser fir, balsam fir, Virginia pine and white pine है.
  • प्राचीन समय में हरे पेड़ो के अलावा चेरी और hawthorns जैसे वृक्षों को Christmas trees के रूप में प्रयोग किया जाता था.
  • अमेरिका में पहला Christmas tree retail lot 1851 में न्युयोर्क ने मार्क कार ने शुरू किया था.
  • सजीव क्रिसमस पेड़ अमेरिका में 1850 से व्यापारिक रूप से बेचे जा रहे है.
  • क्रिसमस ट्री पर छोटी छोटी मोमबत्तियाँ लगाने का प्रचलन 17वी शताव्दी से शुरू हो गया था.
  • 2012 में अमेरिका में लगभग 1 करोड़ कृत्रिम क्रिसमस ट्री खरीदे गये थे.
  • क्रिसमस ट्री पर इलेक्ट्रिक लाइट लगाने का विचार 1882 में थॉमस एडिसन के सहायक एडवर्ड जॉनसन के दिमाग माँ आया था.1890 में भारी संख्या में क्रिसमस ट्री लाइट्स खरीदे गये थे.
  • आजकल कृत्रिम क्रिसमस पेड़ PVC प्लास्टिक के बनते है. PVC ट्री अग्नि रोधी तो है लेकिन अग्नि प्रतिरोधी नही है.
  • 80 प्रतिशत से ज्यादा कृत्रिम artificial trees विश्व में सबसे ज्यादा चीन में बनाये जाते है.

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Post By Shweta