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गणेश चतुर्थी : जानिये मोदक काअर्थ , क्यूँ कहलाता है ज्ञान का प्रतीक

गणेशोत्सव आरम्भ हो चुका है और इस दौरान गणपति के प्रिय मोदक का भोग उन्हें लगाया जाता है. आइये जानते हैं मोदक क्या है उसका अर्थ क्या है वो मान का प्रतीक क्यूँ माना जाता है.



मोद’ यानी आनंद व ‘क’ का अर्थ है छोटा-सा भाग। अतः मोदक यानी आनंद का छोटा-सा भाग। मोदक का आकार नारियल समान, यानी ‘ख’ नामक ब्रह्मरंध्र के खोल जैसा होता है। कुंडलिनी के ‘ख’ तक पहुंचने पर आनंद की अनुभूति होती है।

मोदक एक मिठाई

मोदक एक तरह की भारतीय मिठाई है, जिसे गणेश चतुर्थी पर सबसे ज़्यादा बनाई जाती है। हिन्दू धर्म में यह धारणा है की, मोदक भगवान गणेश को सबसे ज्यादा प्रिय है। महाराष्ट्र में, गणेश पूजा के अवसर पर मोदक घर घर में बनाया जाता है। दरअसल इसे चावल के आटे, खोये तथा चीनी से बनाया जाता है। खास बात यह की मोदक बनाने में घी तो लगता ही नहीं इसलिये आप इसे जितना चाहें उतना खा सकते हैं। मीठे आटे में नारियल, जायफल और केसर को भरकर ये मोदक तैयार किए जाते हैं बाद में इन्हें भाप में पकाया जाता है। मोदक दो तरह से बनाए जाते हैं एक मावा (खोया) और दूसरा मेवे का।

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मान का प्रतीक

हाथ में रखे मोदक का अर्थ है कि उस हाथ में आनंद प्रदान करने की शक्ति है। सनद रहे की ‘मोदक मान का प्रतीक है, इसलिए उसे ज्ञानमोदक भी कहते हैं।



आरंभ में लगता है कि ज्ञान थोड़ा-सा ही है (मोदक का ऊपरी भाग इसका प्रतीक है।), परंतु अभ्यास आरंभ करने पर समझ आता है कि ज्ञान अथाह है। (मोदक का निचला भाग इसका प्रतीक है।) जैसे मोदक मीठा होता। वैसे ही ज्ञान से प्राप्त आनंद भी।’

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Post By Shweta