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जानिए अकबरी चर्च का इतिहास, यहां मनाया गया था शहर का पहला क्रिसमस

जानिए अकबरी चर्च का इतिहास, यहां मनाया गया था शहर का पहला क्रिसमस

25 दिसंबर को क्रिसमस का त्यौहार पूरे विश्व में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भारी संख्या में श्रद्धालु गिरजाघर पहुंचते हैं और इस त्यौहार को मनाते है लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तर भारत के सबसे पुराने चर्च के बारे में. इस चर्च को अकबरी चर्च के नाम से जाना जाता है जो की आगरा में स्थित है.

आगरा ऐतिहासिक स्मारकों का शहर है और यहां मुगलकालीन एक से एक धरोहर देखने को मिल जाती है. अगर शहर में चर्च की बात की जाए तो वैसे तो ताज नगरी आगरा में कई चर्च हैं लेकिन इनमें एक खास चर्च है जो की अकबर शासन काल में बना था. तकरीबन 415 साल पहले यह पहला क्रिसमस अकबरी चर्च बनवाया गया था. ये चर्च आगरा के संजय पैलेस के वजीरपुरा स्थित सेंट पीटर्स कॉलेज में है.

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क्या है चर्च का इतिहास

अगर इस चर्च के इतिहास पर नजर डाली जाए तो कहा जाता है कि मुगल शासक ने दीन-ए-इलाही धर्म के दौरान इस चर्च की नींव रख दी थी. 1562 में ताज नगरी में ईसाईयों का आगमन शुरू हुआ था. सम्राट अकबर द्वारा धन और जमीन देने पर 1599 में जुसुइट फादर ने इस चर्च का निर्माण करवाया था और आगरा में पहली बार क्रिसमस का पर्व यहीं पर मनाया गया था.

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कई बार तोड़ा गया यह चर्च

इस अकबरी चर्च के बारे में यह भी बताया जाता है कि 1615 में मुगल और पुर्तगालियों में मतभेद हो गया. जिसके बाद जहांगीर ने इस चर्च को तुड़वा दिया था. जिसके बाद फिर से इसका निर्माण हुआ. 1632 में शाहजहां ने पुर्तगालियों के स्थल हुगली पर चढ़ाई कर दी चर्च के फादर जेसुइट को गिरफ्तार कर लिया गया और 1634 में शाहजहां ने फादर जेसुइट और अन्य को चर्च तुड़वाने की शर्त पर छोड़ा. 1636 में एक बार फिर शाहजहां ने इस चर्च को बनवाया. 1748 में पर्सियन आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली ने मुग़ल सल्तनत को तहस नहस कर दिया. साथ ही इस चर्च को भी निशाना बनाया. जिसके बाद चर्च की मरम्मत समाज के लोगों ने कराई और इस चर्च को मदर मरियम के नाम समर्पित कर दिया.

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चर्च में है मुगलकालीन कलाकारी

अकबरी चर्च 1851 तक आगरा का प्रमुख चर्च रहा. प्रथम बार क्रिसमस भी इसी चर्च में मनाया गया. चर्च के मध्य भाग की दीवार लाल पत्रों से निर्मित है जिसमें नक्काशी भी की गयी है. यह नक्काशी मुगलकालीन स्थापत्य कला से मेल खाती है. इतना ही अगर चर्च का पूरा स्वरुप देखें तो वह भी मुग़लकालीन कला से मेल खाता है. 

 लाखों की संख्या में आते है श्रद्धालु

अकबरी चर्च में हर बार क्रिसमस के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है. इस चर्च में क्रिसमस वाले दिन लगभग 3 लाख के आसपास श्रद्धालु आते हैं. जिनमें सभी धर्मों के लोग सम्मिलित होते हैं. यहां पर प्रभु यीशु से मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं.

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VIDEO COURTESY – Travel Culture info

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Post By Shweta