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क्या आप जानते हैं, छोटी दिवाली पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध क्यों किया?

क्या आप जानते हैं, छोटी दिवाली पर भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध क्यों किया?

दीपावली के एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके धरती को भय और अन्याय से मुक्त कराया था। इस वजह से इस दिन को अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।

नरकासुर का अत्याचार

पुराणों के अनुसार, नरकासुर नाम का राक्षस भूदेवी (पृथ्वी माता) और वराह अवतार (भगवान विष्णु) का पुत्र था। प्रारंभ में वह धार्मिक और ज्ञानवान था, लेकिन शक्ति और अहंकार के बढ़ने के साथ वह अत्याचारी बन गया। उसने देवताओं, ऋषियों और मनुष्यों को सताना शुरू कर दिया और 16,000 देवकन्याओं को बंदी बना लिया। नरकासुर ने स्वर्गलोक पर भी अधिकार करने की कोशिश की और इंद्रदेव का छत्र तक छीन लिया।

भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण और युद्ध

देवताओं ने जब यह अत्याचार देखा तो वे भगवान श्रीकृष्ण के पास सहायता के लिए पहुँचे। भगवान ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ रथ पर सवार होकर नरकासुर के राज्य प्रागज्योतिषपुर (वर्तमान असम) की ओर प्रस्थान किया।
कहा जाता है कि नरकासुर को उसकी माता भूदेवी से वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु उसकी माता के हाथों ही होगी। युद्ध के दौरान जब कृष्ण पर बाणों की वर्षा होने लगी, तो सत्यभामा ने धनुष उठाकर नरकासुर पर बाण चलाए और उसी क्षण कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया। इस तरह भूदेवी के अवतार के रूप में सत्यभामा के हाथों नरकासुर का अंत हुआ।

नरकासुर के वध के बाद क्या हुआ?

नरकासुर के मरने के बाद, भगवान श्रीकृष्ण ने 16,000 कन्याओं को मुक्त किया और उन्हें सम्मानपूर्वक अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने स्वर्गलोक से छीने गए कवच और इंद्र का छत्र वापस कर दिया।
उस दिन पूरे ब्रह्मांड में आनंद और प्रकाश फैल गया। तभी से इस दिन को “नरक चतुर्दशी” या “छोटी दिवाली” के रूप में मनाया जाने लगा।

छोटी दिवाली का आध्यात्मिक अर्थ

छोटी दिवाली केवल एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि अंधकार (अज्ञान, अहंकार, बुराई) पर प्रकाश (ज्ञान, विनम्रता, सदाचार) की विजय का प्रतीक है।
जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर रूपी राक्षस का अंत किया, वैसे ही हमें अपने भीतर के अहंकार, क्रोध और लोभ रूपी नरकासुर को भी समाप्त करना चाहिए।
इस दिन घर के द्वार पर दीपक जलाने का अर्थ है — “अंधकार मिटाओ, आत्मा को प्रकाशित करो।”

छोटी दिवाली का संदेश यही है कि जब भी अधर्म बढ़ेगा, भगवान धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेंगे। हमें भगवान श्रीकृष्ण की तरह प्रकृति और धर्म का सम्मान करना चाहिए और अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर प्रकाश और प्रेम का दीप जलाना चाहिए।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

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