पहला प्रकाश 2025: श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश क्या है?
सिख धर्म में “पहला प्रकाश” उस ऐतिहासिक दिन को कहा जाता है जब आदि ग्रंथ, जो बाद में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के रूप में प्रतिष्ठित हुए, पहली बार हरमंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर में स्थापित किए गए थे। इस दिन को सिख इतिहास और परंपरा में बहुत ऊँचा स्थान दिया गया है, क्योंकि इसी दिन से “बाणी” को मानवता का जीवित गुरु माना गया।
2025 में पहला प्रकाश कब है?
साल 2025 में पहला प्रकाश उत्सव रविवार, 24 अगस्त को मनाया जाएगा। सिख कैलेंडर (नानकशाही) के अनुसार यह दिन भादों महीने की 9 तारीख को पड़ता है। इस दिन सभी गुरुद्वारों में खास प्रबंध किए जाते हैं और संगत श्रद्धा के साथ गुरु साहिब के प्रकाश पर्व में शामिल होती है।
ऐतिहासिक प्रसंग
सन 1604 ईस्वी में गुरु अर्जन देव जी ने गुरु साहिबानों की बाणी और अन्य संतों की रचनाओं का संकलन कर आदि ग्रंथ का रूप दिया। फिर इसका विधिवत प्रकाश हरमंदर साहिब में हुआ। इस अवसर पर बाबा बुद्धा जी को पहले “ग्रंथी” के रूप में सेवा का सौभाग्य मिला। यह वही क्षण था जब गुरु साहिब की बाणी को दुनिया के सामने गुरु रूप में स्थापित किया गया।
उत्सव कैसे मनाया जाता है?
पहला प्रकाश का उत्सव सभी गुरुद्वारों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है।
इससे एक दिन पहले अखंड पाठ आरंभ होता है और उत्सव वाले दिन उसका भोग डाला जाता है।
सुबह से ही गुरुद्वारों में आसा-दी-वार, कीर्तन और कथा का कार्यक्रम चलता है।
हुकमनामा साहिब लिया जाता है और संगत को गुरु की वाणी से जीवन-मार्गदर्शन दिया जाता है।
दिन भर संगत के लिए लंगर की व्यवस्था रहती है।
कुछ शहरों में विशेष नगर कीर्तन भी निकाले जाते हैं।
संदेश
पहले प्रकाश का मुख्य संदेश यही है कि अब गुरु की ज्योति शब्द में बसती है। गुरु ग्रंथ साहिब जी को सिख धर्म में शाश्वत गुरु माना जाता है। हर निर्णय, हर कार्य और हर आरंभ बाणी और हुकमनामे से किया जाता है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि सिख धर्म में गुरु की परंपरा अब “ग्रंथ” के रूप में सदा के लिए जीवित है।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो