गुरु ग्रंथ साहिब क्या है? आइए जानते हैं क्यों है खास!
सिख धर्म एक ऐसा धर्म है जो समानता, सेवा, और प्रेम की शिक्षा देता है। इस धर्म का मूल आधार है — गुरु ग्रंथ साहिब, जिसे सिख धर्म में ‘आदि गुरु’ और ‘जीवित गुरु’ माना जाता है। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सिखों की आध्यात्मिक मार्गदर्शिका और जीवन का आधार है।
गुरु ग्रंथ साहिब का परिचय
गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है जिसमें सिख गुरुओं के उपदेश, भजन, और बाणी (शबद) संकलित हैं। इसमें कुल 1,430 पृष्ठ (अंग) हैं।
इसका संकलन पांचवें सिख गुरु — गुरु अर्जन देव जी ने किया था। उन्होंने पहले चार गुरुओं की बाणियों के साथ-साथ कई हिन्दू और मुस्लिम संतों (जैसे कबीर, नामदेव, रवीदास, शेख फरीद) की रचनाएँ भी शामिल कीं।
बाद में दसवें गुरु — गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसे अंतिम रूप से सिखों का “सदा के लिए गुरु” घोषित कर दिया। उनके बाद किसी मनुष्य को गुरु नहीं बनाया गया।
गुरु ग्रंथ साहिब का महत्व
सिख धर्म में इसे जीवित गुरु माना जाता है।
गुरुद्वारों में इसे उच्चासन (पलकी) पर रखा जाता है और श्रद्धा से नतमस्तक होकर प्रणाम किया जाता है।
हर दिन इसकी बाणी का पाठ और कीर्तन होता है जिसे गुरबाणी कहा जाता है।
सिख अपने जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों (जैसे जन्म, विवाह, मृत्यु) पर भी गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष अरदास करते हैं।
क्यों है खास?
गुरु ग्रंथ साहिब की विशेषता है कि इसमें धार्मिक भेदभाव नहीं है। इसमें केवल सिख गुरुओं की ही नहीं, बल्कि विभिन्न धर्मों और जातियों के संतों की वाणी भी है। यह संदेश देता है कि सभी मनुष्य एक हैं और ईश्वर एक है (इक ओंकार)।
यह हर इंसान को समानता, सेवा, प्रेम और मानवता की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म की आत्मा है। यह केवल एक धार्मिक पुस्तक नहीं, बल्कि मानवता, भाईचारे और सत्य की शिक्षाओं का खजाना है। यही कारण है कि सिख इसे अपना सदा का गुरु मानते हैं और इसके प्रति अत्यंत श्रद्धा रखते हैं।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो