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कोलकाता में ‘अध्यात्म द्वारा शांति और सद्भावना’ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

कोलकाता में ‘अध्यात्म द्वारा शांति और सद्भावना’ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

कोलकाता में मानवताशक्ति और अध्यात्म अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल महमहिम श्री केसरी नाथ त्रिपाठी किया और स्वागत मानवताशक्ति और अध्यात्म  अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चेयरमेन डा. एच.पी. कनोडिया ने किया। दो दिवसीय सम्मेलन को सांसद डा. फ़ारूख अब्दुल्लाहसांसद पद्म विभूषण डा. सोनल मानसिंहसांसद श्री आर.के.सिन्हा एवं विभिन्न धर्मों के गुरु भी संबोधित करेंगे। अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि ने इसे संबोधित किया। 

Acharya Lokesh Muni addressing World Confluence of Humanity, Power & Spirituality, 2018

विश्व शांति दूत आचार्य लोकेश मुनि ने  अध्यात्म शांति और सद्भावना विषय को संबोधित करते हुये कहा कि अध्यात्म विश्व शांति और सद्भावना का मार्ग प्रशस्त करता है। आध्यात्मिकता इंसान को प्रकृति से जोड़ती हैइंसान प्रकृति से आध्यात्मिक है एक व्यक्ति को अपने अंदर आध्यात्मिक पक्ष को जागृत करना पड़ता है। धर्म आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण पहलू हैहमें अपने भीतर के वास्तविक आध्यात्मिक मूल्यों तक पहुंचने के लिए खुद को धर्म से आगे ले जाना होगा।जब मनुष्य भीतर आध्यात्मिकता जागृत होती है तो एक मनुष्य दूसरे मानुषी के साथपूरे समाज और अन्य जीवित प्राणियों से जुड़ा होता है।

आचार्य लोकेश ने कहा कि धर्म आध्यात्मिक मान्यताओं के आधारित दर्शन है। धर्म का उद्देश्य व्यक्ति के आध्यात्मिक पक्ष जागृत करना है जिससे उसके जीवन में गतिशीलता बढ़े। धर्म में तीन आयाम प्रार्थना/पूजानैतिकता और आध्यात्मिकता। जब कोई व्यक्ति धर्म के तीनों आयामों का पालन करता है वो धर्म के  वास्तविक सार को हासिल करता है।सभी धर्मों में मानव जीवन के आचरण को नियंत्रित करने के लिए नैतिक शिक्षा प्रदान करता है। दुनिया के सभी धर्म करुणासहानुभूति और दयालुता के लिए महत्वपूर्ण महत्व देते है ये सभी मानवट  होने के सर्वोच्च गुण हैं।जो लोग दर्द में पीड़ित किसी को देखकर करुणा या सहानुभूति या दयालुता की भावना विकसित नहीं करते हैंउन्हें मनुष्यों के रूप में जानवर माना जाता है। अधिकांश धर्म आध्यात्मिकता को मानवता से जोड़ती हैमानुषी के पास आत्मा है जिसको जागृत करने से मानवता उत्पन्न होती है|

आध्यात्मिकता‘ एक जीवन शैली और प्रथाएं है जो मानव अस्तित्व की दृष्टि को दर्शाती हैं और कैसे मानव अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त कर सकता है।आध्यात्मिकता की अवधारणा धर्म से आगे है। यह विभिन्न तरीकों से व्यक्त आध्यात्मिक अनुभव और आध्यात्मिक प्रथाओं का व्यापक रूप है।आध्यात्मिक अभ्यास आध्यात्मिक विकास से संबंधित नियमितअनुशासित गतिविधियां हैं। वे लोगों को मानव जीवन का एक ऐसा तरीका बताता है जिससे वो अंतिम लक्ष्य के एवं प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो। उनमें स्पष्ट रूप से आत्म-बलिदान भी शामिल है अर्थात सामी और ऊर्जा को सही दिशा मे लगाना। 

BK Usha Bahen, Sr Rajayoga Meditation Teacher, Management Trainer & Motivational Teacher, Mount Abu explains the relationship between Spirituality, Innovation & Humanity in simple languages during 11th World Confluence

 

Haji Syed Salman Chisty, Chairman – Chisty Foundation – Ajmer is honouring Dr. H.P. Kanoria, Chairman, World Confluence of Humanity, Power & Spirituality during 1st Day of the World Confluence at Kolkata, India

 

Imam Umer Ahmed Ilyasi Saheb, Chief Imam, All India Imam Organizations,New Delhi explains the importance of Spiritual Humanity to bring peace in the whole world during 2nd day of 11th World Confluence of Humanity, Power & Spirituality,2018

World Confluence of Humanity, Power & Spirituality का आयोजन कोलकाता के होटल वेेस्टिन में किया गया। इसे SREI और KANORIA Foundation ने आयोजित किया था।

Post By Religion World