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11 आत्महत्याओं वाले बुराड़ी स्थित घर में है वास्तुदोष

11 आत्महत्याओं वाले बुराड़ी स्थित घर में है वास्तुदोष

  • कुलदीप सालूजा


बुराड़ी के संतनगर स्थित प्लायवूडदूध और किराने के कारोबारी ललित भाटिया और भुप्पी भाटिया के परिवार के 11 सदस्यों ने अंधविश्वास के चलते फांसी लगाकर मौत को गले लगा लिया। इनके शव पहली मंजिल पर बरामदे की छत पर लगी लोहे की ग्रिल से लटके मिले थे। जैसा कि घर में मिले रजिस्टर से ज्ञात हुआ है किललित के शरीर में उसके पिता की आत्मा प्रवेश करती थी तब उसकी आवाज और शरीर कांपने लगता था। यह देखकर घर के लोग न केवल डर जातेबल्कि उसकी सारी बातें भी मानते थे और इस दौरान वह अपनी हर इच्छा मनवाता था।

रजिस्टर से मिली जानकारी के अनुसार ललित ने पिता की आत्मा द्वारा दिए गए संदेश के अनुसार अच्छे व्यवसाय और मकान निर्माण बिना रूकावट के शीघ्र पूरा हो सके उसके लिए विशेष पूजा अनुष्ठान करने की बात लिखी है और इसके लिए पूरे परिवार को राजी भी किया गया।

ललित घर में परिवार के सदस्यों के साथ हिटलर की तरह पेश आता था। अगर घर का कोई सदस्य उसकी कही बात का उल्लंघन करता थातो वह उसे कड़ी से कड़ी सजा देता था। इतना ही नहींअगर ललित खुद गलती करता तो वह स्वयं को भी सजा देता था। इस व्यवहार से स्पष्ट है कि ललित एक मनोरोगी था। रजिस्टर में लिखी बातों के अनुसार यह परिवार बहुत धार्मिक था परिवार के कई सदस्य रोजाना मंदिर जाते थे। घर में रोजाना तीन बार सुबहदोपहर और रात्रि को पूरा परिवार पूजा करता था। रात की पूजा में सबको शामिल होना अनिवार्य था।

रजिस्टर में 28 जून के दिन की जो एंट्री है। उसे पढ़कर ऐसा लगता है किपरिवार का मरने का कोई इरादा नहीं था क्योंकिइसमें अगले महीने तक की प्लानिंग लिखी है। परिवार को विश्वास था कि मृत पिता की आत्मा उन्हें बचा लेगी। इसलिए किसी ने इस सबका विरोध नहीं किया और गले में फंदे डाल लिए परन्तु अफसोस किवह सभी अकाल मृत्यु के ग्रास बन गए। आइऐ इस मकान का वास्तु विश्लेषण करते हैं –

संतनगर बुराड़ी स्थित भाटिया परिवार का घर उत्तरमुखी है। घर पर उत्तर दिशा  के मध्य में मार्ग प्रहार है।

घर के ग्राउण्ड फ्लोर पर किराने और प्लायवूड की दो दुकानें है। किराने की दुकान ईशान कोण(NE) में है और प्लायवूड की दुकान वायव्य कोण (NW) में है। ग्राउण्ड फ्लोर में अन्दर जाने का रास्ता दोनों दुकानों के मध्य में है जिसके फर्श का लेवल दोनों दुकानों से ऊँचा है। प्लाय की दुकान के पास वायव्य कोण में फर्स्ट फ्लोर पर जाने की सीढ़ियाँ भी बनी हुई है। घर के सामने मध्य भाग में एक बिजली का खम्बा है जिसमें बहुत सारी तारें लटकी हुई है इसके कारण फर्स्ट फ्लोर की बॉलकनी के मध्य भाग में लगभग 3 फीट दीवार अभी भी अधूरी है। जैसा कि फोटो में दिखाई दे रहा है।

फर्स्ट फ्लोर के दरवाजों के ऊपर वेंटिलेशन बने हुए है जिन पर काँच नहीं लगें है। वायव्य कोण(NW) स्थित एक कमरे के दरवाजे के ऊपर बने वेंटिलेशन को प्लाय के टुकड़े लगाकर शायद प्रायवेसी के लिए बन्द कर दिया गया है।

लगभग 1000 स्के. फीट के प्लाट पर बने घर के रिनोवेशन का काम लगभग डेढ़ वर्ष से चल रहा था जो अभी भी अधूरा है। ठेकेदार के अनुसार उसके अभी भी लेबर के एक लाख रूपये लेना बाकी था। इससे ज्ञात होता है किइस परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। घर के खिड़की दरवाजों पर पल्ले भी नहीं लगे है इस कारण घर अधूरा और उजाड़ सा लगता है इसका कारण यह है किघर की पश्चिम दिशा पूर्व दिशा की तुलना में नीची हो रही है। यही वास्तुदोष धार्मिकता भी उत्पन्न करता है जो किभाटिया परिवार में अधिक थी भी। 

दूसरी मंजिल की छत पर वायव्य कोण (NW) की सीढ़ियों के लिए मोमटी बनी है। जिसे पानी से बचाव के लिए ट्रान्सपेरेंट प्लास्टिक की शीट से ढ़ाँका गया है। जैसा कि फोटो में दिखाई दे रहा है। वास्तुशास्त्र के अनुसार यह वायव्य कोण (NW)का ढ़क्कन है। इस दोष के कारण वहाँ रहने वालों की आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे खराब होती जाती है।

घर की पूर्व दिशा में बने मकान के कारण इस दिशा में कोई वेंटिलेशन नहीं है। दक्षिण दिशा में खाली प्लॉट है। दक्षिण दिशा में ग्राउण्ड और फर्स्ट फ्लोर पर कोई वेंटिलेशन नहीं है। फर्स्ट फ्लोर पर एक छोटा सा रोशनदान है जो हवा के लिए दीवार को तोड़कर बनाया गया है जिस पर प्लास्टर नहीं हुआ है और सेकेण्ड फ्लोर पर एक खिड़की है जिस पर नीले रंग का प्लास्टिक का एक शेड है। इसी के साथ एक छोटा रोशनदान है उस पर भी प्लाय का टुकड़ा लगा है दक्षिण दिशा की दीवार पर ग्राउण्ड फ्लोर वाले भाग को देखने से साफ है कि नमी और सीलन के कारण दीवार का रंग और सीमेंट की पपड़ियाँ उतरी हुई है।

घर की पश्चिम दिशा में भी खाली प्लॉट है जहाँ 11 पाइप लगाकर हवा और रोशनी का प्रबंध किया गया है। जिसमें से 7 पाइप के मुँह मुड़े हुए है और 4 सीधे है। 2 सीधे पाइप ग्राउण्ड फ्लोर पर पश्चिम नैऋत्य में है। इनसे भी कोई विशेष हवा या रोशनी नहीं आ सकती।

ढ़ाई मंजिला (उत्तर दिशा में दो मंजिल और दक्षिण दिशा में तीन मंजिल) इस घर को अन्दर से तो नहीं देख पाया परन्तु आसपास के लोगों से ज्ञात हुआ कि इस घर के अन्दर दक्षिण दिशा और नैऋत्य कोण (SW) में निचाई है जहाँ दुकान का सामान रखने का स्टोर है। नैऋत्य कोण(SW) की तुलना में ईशान कोण (NE) ऊँचा हो रहा है। घर के ग्राउण्ड फ्लोर पर दक्षिण दिशा एवं नैऋत्य कोण (SW) में हवा और रोशनी न होने से इस भाग में सीलन है। इससे घर के अन्दर और बाहर दीवारों का रंग निकला हुआ हैप्लास्टर की पपड़ियाँ भी उतर रही है।

इस प्रकार घर के ग्राउण्ड फ्लोर पर उत्तर दिशा को छोड़कर तीन दिशाओं में रोशनी और हवा की कोई व्यवस्था नहीं है। सेकेण्ड फ्लोर पर पाइप और एक छोटा रोशनदान है और मध्य में छोटा लोहे का जाल है जहाँ लटककर आत्महत्या की गई है। घर की इस दोषपूर्ण बनावट के कारण ग्राउण्ड फ्लोर पर बहुत ज्यादा मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा एकत्र थी।

वास्तुशास्त्र के अनुसार जब परिवार के किसी व्यक्ति को लगता है किघर में आत्मा एवं भूत-प्रेत का वास है जो उन्हें कभी-कभी नजर भी आता है या इसी प्रकार के किसी अन्य भय से वह और उनका परिवार डरा-सहमा रहता है तोयह केवल घर में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा के कारण इस प्रकार का छल होता है। इस प्रकार का भय घर के नैऋत्य कोण (SW) के दोषपूर्ण होने के कारण रहता है। ऐसे घर जिनका नैऋत्य कोण (SW) का फर्श घर के बाकी भाग के फर्श से नीचा होजहाँ नमी रहती होपानी जमा रहता होकाई जमी होदीवारों पर सीलन होरंग की पपडियाँ उतरी हुई हो। घर के इस भाग में हवा का प्रवाह निर्बाध रूप से न हो पाता हो। इस कारण घर के नैऋत्य कोण (SW) में बहुत अधिक मात्रा में नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है।

भूत-प्रेत आत्मा इत्यादि होते हैं या नहीं हम इस विवाद में नहीं पड़ते परन्तुयह तय बात है कि जो लोग मनोरोगीउन्मादीविक्षिप्त अथवा किसी भी प्रकार की मानसिक बीमारी से परेशान होते हैं। उनके घरों में नैऋत्य कोण (SW) के वास्तुदोषों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार हत्याआत्महत्या और अनहोनी में घर के वास्तुदोषों की अहम् भूमिका होती है। इन तीनों घटनाओं में निश्चित रूप से उस घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होते हैं परन्तुयह निश्चित है कि हत्या वाले घर का नैऋत्य कोण (SW) जरूर दोषपूर्ण होता है। जैसे नैऋत्य कोण (SW) में भूमिगत पानी की टंकीकुआंबोरवेल या किसी भी प्रकार से फर्श नीचा हो। यह तो हुआ एक वास्तुदोषहत्या वाले घर में दूसरा वास्तुदोष ईशान कोण (NE) में भी होता है। जैसे ईशान कोण (NE) कट जाएघट जाएगोल हो जाएया नैऋत्य कोण (SW) की तुलना में ऊंचा हो जाए। भाटिया परिवार के घर में जाने का रास्ता भी ऊँचा है और साथ ही ईशान कोण (NE) स्थित दुकान भी वायव्य कोण (NW) स्थित दुकान की तुलना में थोड़ी ऊँची है।

बुराड़ी स्थित भाटिया परिवार के घर को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है किइनके घर का नैऋत्य कोण (SW) नीचा और ईशान कोण (NE) ऊँचा है। यहाँ पर ललित ने आत्महत्या की है और परिवार के बाकी सदस्यों को पिता की आत्मा से मिले संदेशों से प्रभावित करके उन्हें आत्महत्या के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार देखा जाए तो ललित को छोड़कर परिवार के बाकी सदस्यों की हत्या हुई। हत्याआत्महत्या और अनहोनी में ईशान कोण (NE) और नैऋत्य कोण(SW) के वास्तुदोष ही होते है लेकिन इनमें मामूली सा अंतर घर की शेष बनावट में होता है। इस घर में हत्या वाले वास्तुदोष अधिक है। घर के नैऋत्य कोण (SW) में इतनी नकारात्मक ऊर्जा व्याप्त है जिसके कारण ललित मनोरोगी हो गया और उसे ऐसा महसूस होता था कि उसके शरीर में उसके पिता की आत्मा आती है और ललित की बातों पर परिवार वाले भी इसी नकारात्मक ऊर्जा के कारण विश्वास करने लगे थे। परिवार के सभी सदस्यों को भी यही लगता था कि उनके पिता की आत्मा उन्हें बचा लेगी परन्तुअफसोस ऐसा नहीं हुआ और न ही ऐसा हो सकता था। 

संदर्भ – सम्पूर्ण सांईटिफिक वास्तु -लेखक वास्तुगुरू कुलदीप सलूजा

1.         घरों के वास्तु के कारण बढ़ रही है धार्मिकता पेज नम्बर 372

2.         प्रेत-बाधा का सच और वास्तु पेज नम्बर 426

3.         भुतहा घर और वास्तु पेज नम्बर 423

4.         मकान भी होते है हत्यारे पेज नम्बर 391

5.         वास्तुदोषों के कारण होती है अनहोनी पेज नम्बर 393

6.         वास्तुदोषों के कारण भी लोग करते है आत्महत्या पेज नम्बर 396

7.         कोणों का ढँकना व उनके परिणाम पेज नम्बर 147

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लेखक – श्री कुलदीप सालूजा, वास्तुशास्त्री 

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