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जानिए वास्तु अनुसार कहाँ हो मकान में सीढियाँ

जानिए वास्तु अनुसार कहाँ हो मकान में सीढियाँ

यदि किसी भी भवन में वास्तुदोष हो तो मनुष्य को अपने भाग्य का आधा ही फल मिलता है. अवसाद और मानसिक तनाव बढ़ जाता है तथा आत्मविश्वास में कमी हो जाती है. वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि वास्तु के अनुसार मकान में सीढ़ी या सोपान पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए. यह अत्यंत शुभ होता है.

सीढ़ियों के लिए सर्वोत्तम दिशा दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम है. अगर सीढ़ियां सही स्थान पर बनी हों तो जीवन के बहुत से उतार-चढ़ाव व कठिनाइयों से बचा जा सकता है. पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि सीढ़ियां कई प्रकार की होती हैं- लकड़ी की, लोहे की, पत्थर की. आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में सीढ़ियों ने भी आधुनिक रूप ले लिया है. दिशा के साथ-साथ सीढ़ियों की साज-सज्जा पर भी ध्यान देना चाहिए. सीढ़ियों की साज-सज्जा इस प्रकार की हो कि व्यक्ति को पता ही न चले कि वह कब पहली सीढ़ी से चढ़कर ऊपर पहुंच गया.

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार अगर सीढ़ियाँ मकान के पार्श्व में दक्षिणी व पश्चिमी भाग की दाईं ओर हो, तो उत्तम हैं. अगर आप मकान में घुमावदार सीढ़ियाँ बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपके लिए यह जान लेना आवश्यक है कि सीढ़ियों का घुमाव सदैव पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व की ओर रखें. चढ़ते समय सीढ़ियाँ हमेशा बाएँ से दाईं ओर मुड़नी चाहिए.

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भवन का निर्माण वास्तु के अनुरूप होने पर मभनुष्य को कामयाबी मिलती है. वास्तु के अनुकूल भवन में ‘ची’ ऊर्जा प्रवाहित होकर वैभव और सुकून प्रदान करती है. भवन निर्माण में सीढ़ियों का विशेष महत्व है. भवन की सीढ़ियाँ ‘ची’ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सहायक होती हैं. अतः सीढ़ियों की दिशा, बनावट व संख्या को ध्यान में रखकर ‘ची’ ऊर्जा में वृद्धि की जा सकती है.

सीढ़ियों को अगर सही दिशा में न बनाया गया हो, तो यह एक गंभीर वास्तुदोष माना जाता है. इस दोष के कारण मनुष्य को अनावश्यक आर्थिक व निजी जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसका उचित उपाय तो सीढ़ियों का सही दिशा में स्थित होना ही है, किंतु यदि सीढ़ियां गलत दिशा में बनी हों और उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करना संभव न हो तो बिना तोड़-फोड़ के भी इस वास्तु दोष का निवारण किया जा सकता है.

वास्तुशास्त्री पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि किसी भी भवन/ मकान में सीढ़ी या सोपान पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए. यह अत्यंत शुभ होता है.

  • सीढ़ियाँ हमेशा उत्तर से दक्षिण की ओर ऊँचाई में जाने वाली होनी चाहिए.
  • यदि भवन में पूर्व से पश्चिम की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को लोकप्रियता और यश की प्राप्ति होती है.
  • सीढ़ियां हमेशा विषम संख्या (3,5,7,9,11,13) में हों.
  • सुविधाजनक, सुंदर व मजबूत सीढ़ियां अच्छे वास्तु की परिचायक हैं.
  • सीढ़ियों के टूटे किनारे वास्तु-दोष उत्पन्न करते हैं.अत: इनकी मरम्मत समय रहते करवा लेनी चाहिए.
  • घुमावदार सीढ़ियां अच्छी नहीं होती.
  • यदि भवन में उत्तर से दक्षिण की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को धन की प्राप्ति होती है.
  • दक्षिण दीवार के सहारे सीढ़ियाँ धनदायक होती हैं.
  • सीढ़ियाँ प्रकाशमान और चौड़ी होनी चाहिए.सीढ़ियों की विषम संख्या शुभ मानी जाती है. सामान्यतः एक मंजिल पर सत्रह सीढ़ियाँ शुभ मानी जाती हैं.
  • घुमावदार सीढ़ियाँ श्रेष्ठ मानी जाती हैं.सीढ़ियों का घुमाव क्लॉकवाइज होना चाहिए.
  • यदि सीढ़ियाँ सीधी हों तो दाहिनी ओर ऊपर जाना चाहिए.
  • भूलकर भी भवन के मध्य भाग में सीढ़ी न बनाएँ अन्यथा बड़ी हानि हो सकती है.
  • वास्तु के अनुसार मकान में सीढ़ी या सोपान पूर्व या दक्षिण दिशा में होना चाहिए.यह अत्यंत शुभ होता है.
  • अगर सीढ़ियाँ मकान के पार्श्व में दक्षिणी व पश्चिमी भाग की दाईं ओर हो, तो उत्तम हैं.अगर आप मकान में घुमावदार सीढ़ियाँ बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपके लिए यह जान लेना आवश्यक है कि सीढ़ियों का घुमाव सदैव पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व की ओर रखें.
  • चढ़ते समय सीढ़ियाँ हमेशा बाएँ से दाईं ओर मुड़नी चाहिए.
  • पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ हों, तो हृदय रोग बनाती हैं.
  • पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ हों, तो हृदय रोग बनाती हैं.
  • यदि सीढ़ियाँ चक्राकार सर्पिल हों, तो ‘ची’ ऊर्जा, ऊपर की ओर प्रवाहित नहीं हो पातीं, जिससेभवन मालिक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
  • ईशान कोण में बनी सीढ़ी पुत्र संतान के विकास में बाधक होती है.
  • मुख्य दरवाजे के सामने बनी सीढ़ी आर्थिक अवसरों को समाप्त कर देती है.
  • सीढ़ियों के नीचे किसी भी तरह का निर्माण जैसे पूजाघर, मूत्रालय आदि का निर्माण नहीं करना चाहिए.सीढ़ियों के नीचे रसोई घर, पूजा घर, स्नान घर आदि न बनवाएं. हां, वहां स्टोर रूम बनाया जा सकता है.
  • घर के केन्द्र में (ब्रह्मस्थान में) सीढ़ियां होने से घर के सदस्यों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है.
  • भवन बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को घर की सीढ़ियाँ दिखाई नहीं देना चाहिए.
  • ध्यान रखें, सीढ़ियों की ऊंचाई व चौड़ाई इस आकार में हो कि बच्चा व बूढ़ा आसानी से बिना थके चढ़ सके.सीढ़ियों की ऊंचाई सात इंच तथा चौड़ाई दस इंच से एक फुट तक हो सकती है.

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वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री जी

Post By Shweta