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राम नवमी विशेष: जानिये रामायण के विविध रूप

देश भर में 14 अप्रैल तक लगाए गए लॉकडाउन  के बीच मोदी सरकार ने शनिवार से दूरदर्शन पर ‘रामायण’  का फिर से प्रसारण शुरू किया है. उन दिनों ‘रामायण’ को देखने के लिए आस-पड़ोस के लोगों का घर पर मजमा सा लगता था.



कह सकते हैं कि तब ‘रामायण’ ने सामाजिक संपर्क बढ़ाने का काम किया. यह अलग बात है कि लगभग तीन दशक के बाद आज इसे फिर से शुरू करने का उद्देश्य सामाजिकता को कम करना है. सरल शब्दों में घर में बंद लोग इन्हें देख अपना समय काट सकते हैं.

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अलग-अलग गिनने पर रामायण तीन सौ से लेकर एक हजार तक की संख्या में विविध रूपों में मिलती हैं. इनमें से संस्कृत में रचित वाल्मीकि रामायण (आर्ष रामायण) सबसे प्राचीन मानी जाती है.

मूल स्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण

राम नवमी विशेष: जानिये रामायण के विविध रूप
साहित्यिक शोध के क्षेत्र में भगवान राम के बारे में आधिकारिक रूप से जानने का मूल स्रोत महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण है. इस गौरव ग्रंथ के कारण वाल्मीकि दुनिया के आदि कवि माने जाते हैं.

श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकी रामायण तक सीमित नहीं रही, बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी ‘रामोपाख्यान’ के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित है. इसके अलावा ‘द्रोण पर्व’ तथा ‘शांतिपर्व’ में भी रामकथा के संदर्भ उपलब्ध हैं.

बौद्ध परंपरा में श्रीराम से संबंधित दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएं मिलती हैं. रामायण से थोड़ा अलग होते हुए भी ये ग्रंथ इतिहास के स्वर्णिम अध्याय को सामने लाते हैं.

जैन साहित्य में राम कथा संबंधी कई ग्रंथ लिखे गए, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत ‘पउमचरियं’ (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत ‘पद्मपुराण’ (संस्कृत), स्वयंभू कृत ‘पउमचरिउ’ (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत). जैन परंपरा के अनुसार राम का मूल नाम ‘पद्म’ था.

हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में रची

अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी राम कथा लिखी गई. हिंदी में कम से कम 11, मराठी में 8, बांग्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं.

हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस का उत्तर भारत में विशेष स्थान है.

राम नवमी विशेष: जानिये रामायण के विविध रूपइसके अतिरिक्त भी संस्कृत, गुजराती, मलयालम, कन्नड़, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में भी राम कथा लिखी गई. महाकवि कालिदास, भास, भट्ट, प्रवरसेन, क्षेमेन्द्र, भवभूति, राजशेखर, कुमारदास, विश्वनाथ, सोमदेव, गुणादत्त, नारद, लोमेश, मैथिलीशरण गुप्त, केशवदास, गुरु गोविंद सिंह, समर्थ रामदास, संत तुकडोजी महाराज आदि चार सौ से अधिक कवियों तथा संतों ने अलग-अलग भाषाओं में राम तथा रामायण के दूसरे पात्रों के बारे में काव्यों/कविताओं की रचना की है.

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धर्मसम्राट स्वामी करपात्री ने ‘रामायण मीमांसा’ की रचना करके उसमें रामगाथा को एक वैज्ञानिक आयामाधारित विवेचन दिया.

वर्तमान में प्रचलित बहुत से राम-कथानकों में आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, कृत्तिवास रामायण, बिलंका रामायण, मैथिल रामायण, सर्वार्थ रामायण, तत्वार्थ रामायण, प्रेम रामायण, संजीवनी रामायण, उत्तर रामचरितम्, रघुवंशम्, प्रतिमानाटकम्, कम्ब रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, राधेश्याम रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, मन्त्र रामायण, योगवाशिष्ठ रामायण, हनुमन्नाटकम्, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि मुख्य हैं.

विदेशों में भी रामायण के विविध रूप

राम नवमी विशेष: जानिये रामायण के विविध रूपविदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तान की खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती हैं.

इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि ग्रीस के कवि होमर का प्राचीन काव्य इलियड, रोम के कवि नोनस की कृति डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है. कह सकते हैं कि विश्व साहित्य में इतने विशाल एवं विस्तृत रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न कवियों/लेखकों द्वारा राम के अलावा किसी और चरित्र का इतनी श्रद्धा से वर्णन न किया गया.

भारत मे स्वातंत्र्योत्तर काल मे संस्कृत में रामकथा पर आधारित अनेक महाकाव्य लिखे गए हैं उनमे रामकीर्ति, रामश्वमेधीयम, श्रीमद्भार्गवराघवीयम, जानकीजीवनम, सीताचरितं, रघुकुलकथावल्ली, उर्मिलीयम, सीतास्वयम्बरम, रामरसायणं, सीतारामीयम, साकेतसौरभं आदि प्रमुख हैं. डॉ भास्कराचार्य त्रिपाठी रचित साकेतसौरभ महाकाव्य रचना शैली और कथानक के कारण विशिष्ट है. परमार भोज ने भी चंपु रामायण की रचना की थी.

वर्तमान समय में रामायण

संस्कृत
वाल्मीकि रामायण – वाल्मीकि, योगवासिष्ठ या ‘वशिष्ठ रामायण’ – वाल्मीकि, अध्यात्म रामायण – वेद व्यास, आनन्द रामायण – वाल्मीकि, अगस्त्य रामायण – वाल्मीकि, अद्भुत रामायण – वाल्मीकि और कालिदास रचित रघुवंश.

हिंदी
रामचरितमानस – (अवधी में भी), राधेश्याम रामायण, पउमचरिउ या पद्मचरित (जैनरामायण) – अपभ्रंश (विमलसूरि कृत) की चर्चा होती है.



गुजराती
रावण मंदोदरी संवाद – श्रीधर, रामप्रबंध – मीठा, रामायणपुराण – स्वयंभूदेव, राम बालचरित – भालण, रामविवाह – भालण, रामायण – नाकर, लवकुशाख्यान – भालण, रामायण – कहान, रामायण – उद्धव, रामायण – विष्णुदास, अंगदविष्टि – विष्णुदास, लवकुशाख्यान – विष्णुदास, रामविवाह – वैकुंठ, सीतानो सोहलो – तुलसी, परशुराम आख्यान – शिवदास, महीरावण आख्यान – राणासुत, सीतास्वयंवर- हरिराम, सीतानां संदेशा – वजियो, रणजंग – वजियो, सीतावेल – वजियो, सीतानो संदेशो – मंडण, रावण मंदोदरी संवाद – प्रभाशंकर, रामचरित्र – देवविजयगणि, रामरास – चन्द्रगणि, अंजनासुंदरीप्रबंध – गुणशील, सीताराम रास – बालकवि, अंगदविष्टि – कनकसुंदर, रामसीताप्रबंध – समयसुंदर, रामयशोरसायन – केशराज, सीताविरह – हरिदास, सीताहरण – जयसागर, सीताहरण – कर्मण, रामायण – प्रेमानंद, ऋषिश्रंग आख्यान – प्रेमानंद, रणयज्ञ – प्रेमानंद, गुजराती योगवासिष्ठ – रामभक्त, रावण मंदोदरी संवाद – शामलभट्ट, अंगदविष्टि – शामलभट्ट, सीतास्वयंवर – कालीदास, सीतामंगल – पुरीबाई, सीतानी कांचली – कृष्णाबाई, सीताविवाह – कृष्णाबाई, रामकथा – राजाराम, रामविवाह – वल्लभ, रामचरित्र – रणछोड, सीताना बारमास – रामैया, रामायण – गिरधर.

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Post By Shweta