Post Image

पितृपक्ष : श्राद्ध में मातृ नवमी का विशेष महत्व, जानिये उपाय

मातृ नवमी का पितृ पक्ष में विशेष महत्व है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष यानी श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि पर पितरों की प्रसन्नता के लिए नवमी का श्राद्ध किया जाता है। यह तिथि माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इसलिए इसे मातृ नवमी भी कहते हैं। इस बार ये तिथि 11 सितंबर, शुक्रवार को है।



मातृ नवमी का महत्व

नवमी तिथि पर श्राद्ध करने से धन, संपत्ति, ऐश्वर्य व मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस दिन विधि-विधान से श्राद्ध करने के बाद कुछ खास उपाय किए जाने चाहिए।  ऐसा करने से परिवार की जितनी भी महिलाओं की मृत्यु सुहागिन अवस्था में हुई है, उनका आशीर्वाद मिलता है।इस दिन माता, दादी, नानी आदि का श्राद्ध किया जाता है, जिससे वे तृप्त होकर आशीष देती हैं और श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकानाएं पूरी होती हैं। परिवार में धन-धान्य, ऐश्वर्य बना रहता है और परिजनों को जीवन में तरक्की मिलती है।

यह भी पढ़ें-कोरोना के दौरान मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर ध्यान देना आवश्यक

श्राद्ध पक्ष की नवमी पर विशेष उपाय

नवमी तिथि पर इस विधि से करें श्राद्ध और इन उपायों को अपनाएं-

श्राद्ध की नवमी तिथि पर घर के बाहर रांगोली बनाएं और शुद्धतापूर्वक भोजन बनाएं।

खाने में खीर जरूर बनाएं क्योंकि ऐसे भोजन की पितृ इच्छा रखते हैं।

गाय के कंडे को सुलगा कर उस पर घी और गुड़ मिलाकर धूप दें।

इसके बाद श्राद्ध के लिए भोजन का कुछ अंश भी कंडे पर डालें। धूप देते समय ऊं पितृदेवताभ्यो नम: बोलते रहें।

इसके बाद हथेली में पानी लेकर अंगूठे के माध्यम से जमीन पर छोड़ें। ऐसा तीन बार करें। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।

किसी विवाहित ब्राह्मण महिला को भोजन के लिए बुलाएं। भोजन के बाद उन्हें सुहाग की सामग्री भेंट करें जैसे- साड़ी, लाल चूड़ियां, कुंकुम आदि।



ब्राह्मण महिला के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें ससम्मान घर के दरवाजे तक छोड़ कर आएं।

नवमी तिथि पर इस विधि से श्राद्ध किया जाए तो पितरों की कृपा से जीवन का हर सुख मिल सकता है।

You can send your stories/happenings here:info@religionworld.in
[video_ads]
[video_ads2]

Post By Shweta