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मंगला गौरी व्रत: जानिए सावन के पहले मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि एवं महत्व

आज सावन का पहला मंगला गौरी व्रत है। आज के दिन मां मंगला गौरी यानी माता पार्वती की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है।



आज के दिन विशेषकर महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं। इस बार सावन माह में चार मंगला गौरी व्रत और पांच सावन हैं। आइए जानते हैं मां मंगला गौरी व्रत, पूजा विधि एवं महत्व के बारे में।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

इस व्रत के करने से वैवाहिक जीवन के क्लेश भी दूर होते हैं, आपको सोमवार व्रत के साथ मंगला गौरी का भी व्रत रखना होगा।

मंगला गौरी व्रत एवं पूजा विधि

प्रात:काल दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर आप स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद मंगला गौरी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें।

फिर पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें। इसके पश्चात मां मंगला गौरी की तस्वीर या मूर्ति को लाल वस्त्र बिछाकर एक चौकी पर स्थापित कर दें।

अब माता रानी का पुष्प, अक्षत्, गंध, धूप, दीप आदि से षोडशोपचार पूजन करें। यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए किया जा रहा है, तो माता को 16 श्रृंगार के सामान अर्पित करें।

अब देवों के देव महादेव को भी पुष्प, अक्षत्, भांग, धतूरा, बेलपत्र आदि अर्पित कर पूजन करें। अब मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ करें।

अंत में सुहागन महिलाओं को घर में विवाहित स्त्रियों को प्रसाद देना चाहिए और पूजा में अर्पित वस्तुओं को दान कर देना चाहिए।

मंगला गौरी व्रत करने वाली महिलाओं को हर मंगलवार को ऐसा ही करना चाहिए। चौथे मंगलवार को व्रत एवं पूजा के अगले दिन मां पार्वती की मूर्ति को विधि पूर्वक विसर्जित कर देना चाहिए।



पांच वर्ष तक मंगला गौरी व्रत करने के बाद इसका उद्यापन करना चाहिए।

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Post By Shweta