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मां कूष्मांडा कौन हैं? जानें नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा विधि

मां कूष्मांडा कौन हैं? जानें नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा विधि

नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की आराधना के लिए समर्पित है। मां कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है। मान्यता है कि जब ब्रह्मांड का अस्तित्व शून्य था, तब इन्हीं की मृदु मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। इसीलिए इन्हें ब्रह्मांड की जननी कहा जाता है।

मां कूष्मांडा का स्वरूप

मां कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। वे आठ भुजाओं वाली देवी हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। उनके हाथों में कमल, धनुष-बाण, अमृतकलश, चक्र और गदा जैसे शस्त्र होते हैं। मां सिंह पर सवार रहती हैं, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है। उनके एक हाथ में अमृत से भरा कलश होता है, जो स्वास्थ्य और आयु का द्योतक माना जाता है।

मां कूष्मांडा की विशेषता

मां कूष्मांडा को जीवन, स्वास्थ्य और ऊर्जा की देवी माना गया है। इनकी पूजा करने से साधक को दीर्घायु, स्वास्थ्य, शक्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक की मानसिक शांति और एकाग्रता भी बढ़ती है। माना जाता है कि मां कूष्मांडा के आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि और उन्नति का वास होता है।

पूजा की विधि

  1. चौथे दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  3. कलश स्थापना करें और आम के पत्ते, नारियल आदि से उसे सजाएं।

  4. मां को गंगाजल, सिंदूर, रोली, चंदन और अक्षत अर्पित करें।

  5. मां को माला में लगे गेंदा, गुलाब या कमल के फूल चढ़ाएं।

  6. भोग के रूप में मालपुए, हलवा या दूध से बने पकवान अर्पित करें।

  7. मंत्र “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” का जप करें और आरती करें।

मां कूष्मांडा की पूजा से मिलने वाले लाभ

  • भक्त को उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।

  • घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

  • साधक की मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है।

  • भक्ति से आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। उनकी आराधना से भक्त के जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य, समृद्धि और ऐश्वर्य का आगमन होता है। मां कूष्मांडा को सृष्टि की जननी और ऊर्जा का स्रोत माना गया है, इसलिए उनकी पूजा करने से भक्त को असीम आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

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