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क्या अहोई अष्टमी केवल माताओं के लिए होती है?

क्या अहोई अष्टमी केवल माताओं के लिए होती है?

अहोई अष्टमी हिंदू धर्म में मातृत्व और संतान की लंबी आयु से जुड़ा एक अत्यंत पवित्र पर्व है। आमतौर पर इस व्रत को माताएँ अपने बच्चों की सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए रखती हैं। परंतु क्या यह व्रत केवल माताओं के लिए ही होता है? इसका उत्तर थोड़ा गहरा है। परंपरा में यह व्रत भले ही माताओं से जुड़ा हो, लेकिन इसका आध्यात्मिक और पारिवारिक महत्व सभी के लिए समान रूप से माना गया है।

अहोई अष्टमी का धार्मिक महत्व

अहोई अष्टमी हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, जो दीपावली से लगभग एक सप्ताह पहले आती है। इस दिन महिलाएँ अहोई माता, सिंह, और सप्तपुत्रिका (सात पुत्रों का प्रतीक) की पूजा करती हैं।
व्रत का उद्देश्य होता है — बच्चों की रक्षा करना, उन्हें दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुख देना।

धार्मिक मान्यता है कि अहोई माता माता पार्वती का ही रूप हैं, जो सभी माताओं की संतानों की रक्षा करती हैं।

क्या केवल माताएँ रख सकती हैं यह व्रत?

परंपरागत रूप से अहोई अष्टमी व्रत माताएँ रखती हैं, लेकिन यह केवल माताओं तक सीमित नहीं है। आज के समय में कई ऐसे लोग हैं जो संतान की कामना रखते हैं या अपने परिवार की भलाई के लिए यह व्रत करते हैं — चाहे वे पिता हों, दादी हों, या कोई अन्य परिवार सदस्य।

इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान और परिवार के कल्याण की कामना है। इसलिए कोई भी व्यक्ति, जो सच्चे मन से अहोई माता की आराधना करता है, वह इस व्रत का पुण्य फल प्राप्त कर सकता है।

अहोई अष्टमी की कथा से सीख

अहोई अष्टमी की कथा एक साहूकारिन की है जिसने गलती से एक सिंहनी के बच्चे को मार दिया था। उसके पश्चाताप और भक्ति के कारण अहोई माता ने उसे संतान सुख का वरदान दिया।
इस कथा का अर्थ यह नहीं कि केवल माताएँ ही दोष या पुण्य की भागीदार हैं, बल्कि यह बताता है कि सच्चे पश्चाताप और श्रद्धा से किया गया व्रत सबका कल्याण करता है।

आधुनिक समय में इसका महत्व

आज के समय में अहोई अष्टमी केवल एक धार्मिक व्रत नहीं, बल्कि परिवार के प्रति प्रेम और एकता का प्रतीक बन चुकी है।
कई परिवार संयुक्त रूप से अहोई माता की पूजा करते हैं — जहाँ माँ, पिता और दादा-दादी सभी अपने बच्चों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं।

इससे यह सिद्ध होता है कि अहोई अष्टमी का उद्देश्य केवल माताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति तक है जो संतान के सुख और सुरक्षा की कामना करता है।

अहोई अष्टमी एक ऐसा पर्व है जो मातृत्व के साथ-साथ परिवार के प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक है। यह केवल माताओं का नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति का व्रत है जो अपने बच्चों और परिवार की खुशहाली के लिए समर्पित है।
इसलिए कहा जा सकता है कि —
अहोई अष्टमी केवल माताओं के लिए नहीं, बल्कि हर उस हृदय के लिए है जिसमें सच्चा स्नेह और संरक्षण का भाव हो।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

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