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आसिफा को इंसाफ दो….

आसिफा को इंसाफ दो….

ये अपील देश की आवाज बनकर आई चीख रही है। सारे देश में बच्चियों के बलात्कार और उसके पीछे की हैवानियत के मगरूर इरादों से सबका मन छलनी हो गया है। एक ओर हम देश की रक्षा के लिए दुश्मनों को मरने मारने के लिए तैयार है, वहीं दूसरी ओर हमारे घर के आसपास घूम रहे वहशी दरिंदों को न देख पाने की हमारी कमजोरी हमें हर दिन हरा रही है। कठुआ में जो हुआ वो कठोरता और निर्दयता की सारी हदें पार करने वाली शर्मनाक घटना बना। उधर धर्म की आड़ में वहशियों को बचाने की बात बेशर्म जुबानों से हुई। हम किसी को न्याय दिलाने में सक्षम भले न हो, पर समाज को धर्म के नाम पर कमजोर करके गुनहगार जरूर बन जाते है। इस पोस्टर ने भी कई दिन की वहशियत पर धिक्कार किया है। रानी पद्मावती की आन बान और शान के लिए लड़ने वालों और समाज में दरिंदगी करने वालों को खोज-खोज कर सजा दिलाने की बात कही है। हालांकि दोनों बातों को जोड़े की उतनी जरूरत नहीं थी, पर मामला नारियों, अबोध बालिकाओं की जिंदगी और अस्मिता का है।

हर बात को हिंदु और मुसलमान के चश्में से देखने वालों के लिए आज मुल्क एक दंगल सा बन गया है। हर मुद्दे को अराजकता में बदलकर बस ये समझाना कि अगले ने किया है ये सब। हजारों सालों में ऐेसा नहीं हुआ, हुआ तो इतना गहरे से नहीं हुआ। देश में बच्चियां सही सलामत न हो, अबोध के लिए खुले में खेलने का मैदान न हो, गंदी नजरों का साया न हो, ऐसे माहौल के लिए काम करने के बजाय, किसने मारा, उसका धर्म क्या था और कैसे मुद्दे का साप्रंदायिक बनाया जाए, इसपर एक अंधी फौज लगी हुई है। वे अंधे और बहरे इसलिए हैं कि वो खुद नहीं जानते कि उनके प्रदर्शन को कैसे उनसे करवाया जा रहा है। वे धर्मांध है। 

देश के धार्मिक गुरुओं ने भी इस दर्द को समझा है। वे मांग कर रहे है कि आसिफा को इंसाफ दो….

समाज भी चीख-चीख कर कह रहा है, गुनाह करने वाले को जिंदा रहने का हक नहीं है…

और इस एक कार्टून ने वो कहा जो सोचने पर मजबूर करता है…

Courtesy : Twitter
Post By Religion World