Jagannath Rath Yatra: रथ की रस्सी का अनोखा रहस्य जानते हैं?
जगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और अद्भुत परंपराओं का संगम है। हर साल लाखों श्रद्धालु पुरी (ओडिशा) में इस यात्रा का हिस्सा बनने आते हैं। रथ यात्रा में रथ खींचने की रस्म सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रथ की रस्सी से जुड़ी एक अनोखी मान्यता है, जो इस यात्रा को और भी रहस्यमय और चमत्कारी बना देती है?
रथ की रस्सी को क्यों कहते हैं ‘मोक्ष दायिनी’?
रथ खींचने के लिए जो मोटी-मोटी रस्सियाँ बनाई जाती हैं, उन्हें मोक्ष दायिनी रस्सी कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त इस रस्सी को पकड़कर रथ खींचता है, उसके पाप कट जाते हैं और उसे भगवान जगन्नाथ की विशेष कृपा मिलती है। यह रस्सी केवल एक साधारण रस्सी नहीं मानी जाती, बल्कि इसे भगवान से सीधा जुड़ने का माध्यम माना जाता है।
चमत्कारी अनुभव: रस्सी खींचती है खुद भगवान की शक्ति से
कई बार रथ यात्रा के दौरान लोगों ने अनुभव किया है कि रथ की रस्सी अपने आप खिंचती महसूस होती है। जब हजारों भक्त एकसाथ ‘जय जगन्नाथ’ का जयकार करते हैं, तो वातावरण में ऐसी ऊर्जा बनती है कि लोग कहते हैं – जैसे खुद भगवान रथ खिंचवा रहे हों। यही कारण है कि भक्त इस रस्सी को छूना भी अपना सौभाग्य मानते हैं।
क्यों नहीं रथ को हाथी या मशीन से खिंचवाया जाता?
इतिहास में कई बार कोशिश की गई कि रथ को हाथी या किसी यंत्र की मदद से खिंचवाया जाए, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। ऐसा कहा जाता है कि रथ तभी खिंचता है जब भक्त अपने हाथों से रस्सी थामते हैं और सच्चे मन से खींचते हैं। यह अपने आप में भगवान जगन्नाथ की लीला मानी जाती है।
भक्तों की श्रद्धा की डोर
रथ की रस्सी सिर्फ रथ खींचने का साधन नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच की एक अदृश्य डोर है। यह हमें सिखाती है कि जब हम मिलकर प्रयास करते हैं और आस्था रखते हैं, तो भगवान स्वयं मार्ग दिखाते हैं।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो