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KUMBH 2021: जानिये हरिद्वार में होने वाला कुंभ क्यों है खास

कुंभ सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं. इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है.



इस बार कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में हो रहा है. यह मेला मकर संक्रांति से प्रारंभ होता है. जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और बृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को “कुम्भ स्नान-योग” कहते हैं.

इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है.

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हरिद्वार कुम्भ क्यों है ख़ास

हरिद्वार यानि हरि का द्वार. इस जगह पर कुंभ महापर्व में शामिल होने वाले लोगों को भगवान की विशेष कृपा मिलती है. साथ ही यहां मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों में छीनाझपटी होने लगी तो अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार स्थानों पर गिरी थीं.

इनमें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन शामिल हैं. जिन स्थानों पर अमृत की बूंदे गिरी थी, उन चारों स्थानों पर प्रत्येक 12 साल के बाद विशिष्ट ग्रह योग में कुंभ पर्व मनाया जाता है. इनमे हरिद्वार कुंभ को सबसे खास माना जाता है.



धार्मिक मान्यता है कि हरिद्वार में जब अमृत की बूंदे गिरी थी, तब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में विद्यमान थे. यह  कुंभ सबसे प्राचीन कुंभ है. क्योंकि, जब कुंभ राशि में बृहस्पति और मेष राशि में सूर्य विद्यमान थे, तब हरिद्वार ब्रह्मकुंड में अमृत की बूंद गिरी थी.

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Post By Shweta