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भारत के इस शहर में नहीं मनाया जाता दशहरा, जानिए इसकी वजह

दशहरा 25 अक्टूबर 2020 को मनाया जाएगा. इस दिन रावण,मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले फूंके जाते हैं. लेकिन भारत के हिमाचल में एक शहर ऐसा भी है जहां पर जब भी दशहरा मनाने की कोशिश की जाती है तो वहां कुछ न कुछ अप्रिय घटना हो जाती है.  इसी कारण से यहां पर आज तक दशहरे का त्योहार नहीं मनाया गया तो आइए जानते हैं भारत का कौन सा है वो शहर जहां दशहरा नहीं मनाया जाता है.

हिमाचल के इस शहर में नहीं मनाते  दशहरा

भारत के इस शहर में नहीं मनाया जाता दशहरा, जानिए इसकी वजहदशहरे का त्योहार पूरे देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर रावण के पुतले को जलाते हैं. लेकिन हिमाचल प्रदेश का एक शहर ऐसा भी है। जहां रावण दहन नहीं किया जाता. यहां के लोगों मानते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं. यह शहर है कांगड़ा का वैजनाथ.

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रावण ने किया था शिवलिंग स्थापित

भारत के इस शहर में नहीं मनाया जाता दशहरा, जानिए इसकी वजहमान्यताओं के अनुसार रावण ने कई वर्ष पहले यहां घोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न कर शिवलिंग स्थापित किया था. इसी कारण से यह स्थान रावण की तपोभूमि माना जाता है. ऐसा नहीं है कि कभी यहां पर रावण का पुतला फूंकने की कोशिश नहीं की गई. कई साल पहले कुछ लोगों ने यहां पर रावण का पुतला जलाया था और बताया जाता है कि उनकी कुछ समय बाद ही मौत हो गई. इसी कारण से रावण को सम्मान देते हुए यहां पर दशहरा पर्व न मनाने का प्रचलन चल पड़ा.

नहीं है सुनार की दुकानें

इसी से जुड़ी एक ओर मान्यता भी यहां प्रचलित है. जिसके अनुसार यहां पर कोई भी सुनार की दुकान नहीं है.लोगों का मानना है कि भगवान शिव ने वरदान स्वरूप सोने की लंका रावण को दी थी. इसी वजह से यहां पर कोई भी सुनार की दुकान नहीं है.
लोगों के अनुसार जब किसी ने यहां सुनार की दुकान खोली भी है तो वह दुकान जल्द ही उजड़ जाती है. यही वजह है कि हिमाचल के वैजनाथ में न तो रावण दहन किया जाता है और न हीं सुनार की कोई दुकान खोली जाती है.

Post By Shweta