मंदिर से मंच तक: क्या कथा वाचन का स्वरूप बदल गया है?
मंदिर से मंच तक: क्या कथा वाचन का स्वरूप बदल गया है? भारतीय संस्कृति में कथा वाचन केवल शब्दों का प्रवाह नहीं, बल्कि आस्था, अनुभूति और आत्मिक संवाद का माध्यम रहा है। कभी कथा मंदिर के प्रांगण में, पीपल की छाँव में या गाँव की चौपाल पर सुनी जाती थी। वहाँ शोर नहीं, सजावट नहीं, बल्कि शांति और श्रद्धा होती थी। आज जब कथा बड़े मंचों, चमकदार रोशनी और कैमरों के बीच होती दिखाई देती… Continue reading मंदिर से मंच तक: क्या कथा वाचन का स्वरूप बदल गया है?





