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तीन सौ उच्च शिक्षा प्राप्त युवा कन्याओं ने लिया संन्यास, दुनिया को कुछ देने की चाह

आध्यात्मिकता की राह पर तीन सौ युवा बहनें, समर्पण समारोह में अभिभावक भी उपस्थित

हमारी बहनों ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि नारी चाहे तो विश्व को बदल सकती है। किसी भी कुरीति और बुराईयों को समाप्त कर सकती है। ये बहनें खुद का सकारात्मक बदलाव करते हुए समाज का बदलने में कामयाब होगी। – बीके निर्वेर, महासचिव, ब्रह्माकुमारीज

ब्रह्माकुमारीज
ब्रह्माकुमारीज ,आध्यात्मिकता

आबू रोड, 19 जुलाई। ब्रह्माकुमारीज संस्था के शांतिवन में जब देश के कोने कोने से आयी तीन सौ युवा बहनें अपने जीवन की डोर आध्यात्मिकता को सौंपकर संस्थान में समर्पित हो गयी। इस अवसर पर उनके माता पिता और रिश्तेदार भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में आये हजारों लोगों को सम्बोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कह कि यह जीवन कई जन्मों से उत्तम है। जिसके जीवन में स्वयं परमात्मा का वास हो जाता है वह हमेशा के लिए बुराईयों से मुक्त हो जाता है। परमात्मा की तन मन धन से सेवा करने के लिए आजीवन समर्पित होना महान पुण्य का कार्य है। कार्यक्रम में कार्यक्रम प्रबन्धिका बीके मुन्नी युवा बहनों से आह्वान किया कि वे जीवन में उच्च आदर्श मूल्यों को धारण कर महान बने और दूसरों के लिए प्रेरणादायी बनें।

 

इस अवसर पर संस्था के महासचिव बीके निर्वेर ने कहा कि हमारी बहनों ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि नारी चाहे तो विश्व को बदल सकती है। किसी भी कुरीति और बुराईयों को समाप्त कर सकती है। ये बहनें खुद का सकारात्मक बदलाव करते हुए समाज का बदलने में कामयाब होगी। संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन, शांतिवन प्रबन्धक बीके भूपाल, बीके अमीरचन्द समेत कई लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।

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क्या है समर्पण: ब्रह्माकुमारीज संस्था के सम्पर्क में आने के बाद कम से कम पांच साल तक प्रशिक्षु के तौर पर राजयोग मेडिटेशन के साथ संस्था की नियमों पर सम्पूर्ण रूप से चलने वाली बहनों का समर्पण होता है। जिसमें उनके माता पिता की भी सहमति होती है। इसके लिए पूरी तरह से शादी की अलौकिक रस्में निभायी जाती है। 

सेवा स्थानों पर होता है स्थानान्तरण: समर्पण के बाद पूरी संस्थान देशभर में फैले सेवा केन्द्रों पर चली जाती है। वहॉं रहकर जीवन की तरक्की करते हुए दूसरों की सेवा में तत्पर रहती है। उनकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी संस्थान की होती है। 

भव्य स्वागत: इस समारोह के दौरान बैंड बाजों तथा उन्हें पीली चुन्नियों मेें सजाकर उनका भव्य स्वागत किया गया। जिसमें उनके माता पिता तथा परिवार के लोग भी शरीक हुए।

शपथ समारोह: कार्यक्रम के बीच समर्पण के दौरान समर्पित होने वाली बहनों को अपने लक्ष्य और अपने श्रेष्ठ कर्म लिए उनसे प्रतिज्ञा करायी जाती है। जिससे की वे अपने लक्ष्य में कामयाब हो सके।

इनका कहना है:  ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरा करने के बाद मेरे लिए ईश्वरीय सेवा करना जीवन का लक्ष्य है। आज कितना सुन्दर दिन है स्वयं भगवान को सारी दुनिया खोज रही है लेकिन उस बागवान को परमपिता को हम पति के रूप मे अभी स्वीकार करके उनकी सारी जिमेदारीयॉ जो है वो हमारे अन्दर भर करके विश्व के सेवा करने के लिए भगवान ने बहुत अच्छे मौका दिया है मै कितना भाग्यशाली बागवान हूॅ। जैसे लौकिक रिति मे भक्तिमार्ग मे बोलते थे भगवान को ही पति परमेश्वर बोलते है सर्व सम्बन्ध जब भगवान के साथ जोड़ते है तब सुख शांति हमारे जीवन मे सहज रीति से ला सकते है लेकिन इस आध्यात्मिक मार्ग मे भगवान पति के रूप मे परमेश्वर के रूप मे हमने अपने जीवन ला करके हमारे जीवन को बहुत सुन्दर बना दिया है ये हमारे लिए एक अच्छा ईनाम है। – बीके सुश्री, विशाखापट्नम 

मैं यहॉ मधुवन शांतिवन मे गॉडलीवुड स्टूडियो मे अपनी सेवायें दे रही हॅू। आज मेरा परम सौभाग्य है कि मेरा परमपिता शिव के साथ विवाह हुआ है परमपिता परमात्मा के लिए अपना पुरा जीवन देने का मेरा सौभाग्य मिला है। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मेरा समर्पण समारोह है जिसको मनाने के लिए पूरे देशभर से कन्याएं आई हैं, और उनके माता पिता आये है और बहुत ही सुन्दर कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमे सभी कन्याओं ने अपना जीवन भगवान के लिए अर्पित किया है ये परम सौभाग्य कि बात है मै मास्टर ऑफ कम्प्युटर एप्लीकेसन पढ़ाई किया हुॅ। मैनें सॉप्टवेयर इंजिनियर के रूप मे जॉब भी किया है बैंगलौर में, हैदराबाद मे, यूएस मे मल्टीनेशनल कम्पनी आईबीएम में नौकरी करने के बाद ईश्वरीय सेवा में समर्पित हो गयी।- बीके सुप्रिया

मै बनारस से आयी हूं। मेरा ये जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर रही हूॅ इसलिए ये जीवन बना हुआ है इस संस्था मे सत् परमात्मा आकर के सत्य् गीता ज्ञान दे रहे है मै सच्ची से सेवा के लिए समाज सेवा के लिए अपना ये जिवन समर्पित कर रही हॅू । – बीके आशा, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मै बचपन से ही ईश्वरीय ज्ञान मे हूॅ मैनें लौकिक मे एमबीए किया है, मैं फरीदाबाद से हॅू। अभी मै मधुबन एकांउट ऑफिस मे पिछले छ: साल से सेवाए दे रही हूं। बचपन से ही मुझे सादगी जीवन त्यागी तपस्वी जीवन मुझे बहुत पंसद है। ब्रह्म जीवन के अन्दर सबसे अच्छी मुझे पवित्रता लगती है। तो मेरा यही लक्ष्य है कि अपनी पवित्रता एवं तपस्वी जीवन से हम विश्व का परिवर्तन करें। मै सभी युवाओं को यही संदेश देना चाहेगे वो दिव्य गुणों को अपनी जीवन मे अपनायें और खुद ही देखे हमारे जीवन मे दिव्य गुणों को धारण करने से क्या परिवर्तन आया है। – बीके रुचीका, फरीदाबाद, हरियाणा

मै झांसा कुरूक्षेत्र सेवा केन्द्र से हूॅ। मुझे बहुत-बहुत खुशी हो रही है कि मै शिव परमात्मा की सच्ची-सच्ची सजनी बनकर उनके उपर अर्पण हुई हूॅ। मैनें लौकिक पढ़ाई एम कॉम पीजी डीसी किया है। लौकिक पढाई करके हम जॉब करते हैं तो एक परिवार कि पालना होती है लेकिन इस अलौकिक पढाई से तो पुरे विश्व की पालना हो रही है, बेहद की पालना जो स्वयं भगवान हमारे द्वारा कर रहे है। हर आत्मा इस ज्ञान को सुने और अपने जीवन में धारण करे विशेष करके नारी इस ज्ञान को सुनती है और अपनी जीवन मे धारण करती है तो वही नारी एक दुर्गा का स्वरूप बन जाती है। – बीके कंचन, कुरूक्षेत्र

बहुत ही खुशी का अनुभव हो रहा मुझे आज पतियों के पती शिव साजन के रूप में मिला है। आज हमारी मानों जन्मों की तपस्या पूरी हो गई। मुझे आज ऐसा पती  मिला जो कभी किसी को दु:ख नहीं देता, सदा ही अविनाशी खुशी का अनुभव कराता है। – बी.के  शिवकन्या, उडिशा

मैंनें आज अपना जीवन परी तरह से ईश्वर को समर्पित कर दिया । मैं अपने जीवन को प्रेरणादायक बनाना चहती हूँ। लोकिम मैं जब कोई शादी करता है तो एक घर को ही रोशन करता है, पर मुझे तो परमात्मा से शादी करके अनेक घरों को रोशन करने का मोका मिला है। अपने आप को बहुत ही खुशनसीब महसूस कर  रही हूँ। – बी.के आरनिका, दिल्ली

जब से बाबा का ज्ञान मिला तब से ही उसको अपना पति मान लिया था। टीवी में जब भी शिव पार्वती का विवहा देखती तो मन ही मन में सोचती थी कभी मैं भी ऐसे ही शिव को वरूगीं। आज यह सपना पूरा हो गया, मैं शिव की पार्वती बन गयी हूँ जिसका शास्त्रों में ज्ञान है – बी.के कृत्ति, कोलहपुर, महाराष्ट्र

मैं यह सोचती थी की सब लोग तो भगवान से मदद् माँगते हैं पर जब पता चला की भगवान  मुझसे विश्व परिवर्तन के  कार्य में मदद माँग रहें हैं, तो उसी क्षण मैने अपना पूरा जीवन प्रभु को समर्पण कर दिया था। बस तभी से ही इस दिन का इंतजार था, आज  वो इंतजार खत्म हुआ तो ऐसा लग रहा है मानो आज मुझे सारे जहान की खुशी मिल गई। – बी.के नीलम, जयपुर, राजस्थान 

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