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जन्मदिन विशेष: सत्य और अहिंसा की बुनियाद ही सच्ची साधना – स्वामी चिदानंद सरस्वती

जन्मदिन विशेष: सत्य और अहिंसा की बुनियाद ही सच्ची साधना – स्वामी चिदानंद सरस्वती

ऋषिकेश के मुनि के रेती में स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती एक आध्यात्मिक गुरू एवं सन्त हैं. स्वामी चिदानंद सरस्वती जी आध्यात्मिक गुरु ही नहीं बल्कि एक समाज सेवी भी हैं. नदियों और पर्यावरण के संरक्षण हेतु उन्होंने कई कदम उठाये हैं. इसके साथ ही चिदानंद जी महाराज भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश तथा पिट्सबर्ग के हिन्दू-जैन मन्दिर के भी संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं. 1987 में शुरू होने वाले हिंदू धर्म के 11-खंड विश्वकोष के लिए आधार तैयार करने का श्रेय स्वामी चिदानंद सरस्वती जी को ही जाता है.

स्वामी जी का जीवन परिचय

स्वामी जी का जन्म 3 जून, 1952 को हुआ था. पूज्य स्वामीजी ने संस्कृत और दर्शनशास्त्र में मास्टर डिग्री और साथ ही साथ कई भाषाओं को धाराप्रवाह बोलना सीखा है. वह ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस (जीआईडब्लूए) के सह-संस्थापक है,  यह दुनिया की पहली अंतर्राष्ट्रीय इंटरफेथ पहल है, जो विश्व के सभी धर्मों को एकजुट करती है, क्योंकि दुनिया भर में हर बच्चे को सुरक्षित, जीवन-रक्षक जल, और स्वच्छता की सुविधा प्राप्त होनी चाहिए.

उनकी जीवनी “गॉड्स ग्रेस: द लाइफ एंड टीचिंग्स ऑफ पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती” को 2012 में मंडला पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित की गयी थी.​

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परमार्थ निकेतन की स्थापना

चिदानंद सरस्वती जी कई मानवतावादी और पर्यावरण संगठनों के संस्थापक अथवा सह-संस्थापक हैं जो गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों को संरक्षित करने के लिए ‘गंगा एक्शन परिवार’, ‘इंडिया हेरिटेज रिसर्च फाउंडेशन (आईएचआरएफ)‘, जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, युवा कल्याण और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है,  ‘दिव्य शक्ति फाउंडेशन’, जो विधवा और गरीब महिलाओं और बच्चों को शिक्षा और सहायता प्रदान करता है, साथ ही साथ गायों और कुत्तों जैसे सड़क के जानवरों को सुरक्षा प्रदान करता है, ‘ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस (जीआईडब्ल्यूए)’ सुरक्षित पेयजल, बेहतर स्वच्छता और उचित स्वच्छता के लिए और ‘प्रोजेक्ट होप’, एक छात्र संगठन जो आपदा राहत और दीर्घकालिक पुनर्वास दोनों प्रदान करने के लिए आपदा के समय विभिन्न मानवतावादी और पर्यावरण संगठनों को एक साथ लाता है. इसके साथ ही स्वामी जी इंटरफेथ वार्ता में भी रूचि रखते हैं और वर्तमान में एलिजाह  इंटरफेथ संस्थान के लिए विश्व धार्मिक नेता के बोर्ड मेंबर हैं.
इंटरफेथ मानवतावादी नेटवर्क / प्रोजेक्ट होप, एक आपदा राहत के लिए समर्पित संगठन, जो दोनों ही अल्पकालिक, तत्काल राहत के साथ-साथ 2004 के एशियाई सुनामी, 2013 उत्तराखंड में और 2015 में भूकंप के शिकार लोगों को दीर्घकालिक स्थायी राहत प्रदान करने में सक्रिय रहा है. परमार्थ निकेतन (ऋषिकेश) में नेपाल अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन 19 मार्च से प्रतिवर्ष होता है. ​

कई पुरस्कारों से सम्मानित  

पूज्य स्वामीजी का धर्म एकता है, और वह संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच और धर्म की संसद के साथ-साथ शांति के लिए धर्म सहित कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और संसदों में हिस्सा ले चुके हैं.  केआईसीआईआईडीआईड, जेरुसलम में हिंदू-यहूदी शिखर सम्मेलन, वेटिकन और अन्य कई लोगों द्वारा हिंदू-ईसाई संवाद आदि में भी वह उपस्थित रहे. वह दुनिया भर में लगातार विश्व शांति तीर्थयात्रा के गुरु भी रहे. पुज्य स्वामीजी को विश्व शांति के राजदूत पुरस्कार, महात्मा गांधी मानवतावादी पुरस्कार, हिंदू का वर्ष पुरस्कार, प्रमुख व्यक्तित्व आकाश सहित अनगिनत पुरस्कार दिए गए हैँ. कनाडा के टोरंटो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन (पार्लियामेंट ऑफ रिलिजन) में स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज को अहिंसा पुरस्कार भी दिया गया.

स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज के अनुसार सत्य और अहिंसा की व्यावहारिक बुनियाद रखना ही सच्ची साधना है. अहिंसा का तात्पर्य हिंसा की अनुपस्थिति नहीं बल्कि शांति की पूर्णता के साथ सभी को गले लगाना और मानवता के लिए एकजुट होकर कार्य करना है. जिसका स्वामी जी महाराज बखूबी निर्वहन कर रहे हैं.

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