आचार्य बालकृष्ण को भीष्म पुरस्कार
पुणे स्थित संत श्री ज्ञानेशवर गुरुकुल में इतिहासाचार्त स्वर्गीय डॉ. श्रीपाद दत्तात्रेय कुलकर्णी की स्मृति में भीष्म पुरस्कार प्रदान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में परम पूज्य स्वामी श्री गोविंद देव गिरि जी महाराज की पावन उपस्थिति के साथ-साथ अन्य महान विभूतियों की उपस्थिति ने ज्ञानवर्धन की दृष्टि से इस कार्यक्रम को बहुत ही अविस्मरणीय बना दिया। ये पुरस्कार आचार्य बालकृष्ण को उनकी धर्म, आध्यात्म और आयुर्वेद में विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किया गया।




आचार्य बालकृष्ण ने पुरस्कार पाने के बाद अपनी भावनाएं प्रकट की। उन्होनें कहा कि, “आप लोगों की भावनाओं और प्रेरणाओं से ही हम कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित होते हैं। कितना भी जटिल कार्य हो, कितना भी कठिन कार्य हो या असंभव सा दिखने वाला कार्य हो – यदि कार्य सही है तो परिणाम तो आपको सुख और आनंद देगा। लेकिन कार्य करते समय आपके मन में हताशा और निराशा के भाव कभी नहीं आने चाहिए”।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि, “और मुझे ऐसा लगता है कि हम कुछ ऐसा कार्य करें कि भगवान के पास हम जब भी जाएं तो हम उससे यह कह सकें कि जितनी भी शक्ति आपने दी थी हमनें उससे ज्यादा ही कार्य करके दिखाया है। आज इस पावन अवसर पर आदरणीय डॉ. कुलकर्णी जी को याद करते हुए और सभी उपस्थित विभूतियों के आशीर्वाद को मैं हृदय में धारण करता हूं और उनकी भावनाओं के अनुरूप अपने जीवन में कुछ कर सकूं इसके लिए प्रयासरत हूँ”।
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