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Banke Bihari Corridor: क्या बनेगा या रुक जाएगा? Full Video

Banke Bihari Corridor: क्या बनेगा या रुक जाएगा? Full Video

वृंदावन… एक ऐसा शहर जहाँ हर गली, हर कण में राधे-राधे की गूंज है। यहाँ सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, श्रद्धा की नींव पर टिकी हुई भावनाएं हैं। अब सवाल उठ रहा है — क्या वृंदावन में कॉरिडोर बनना चाहिए? क्या यह एक विकास की ओर कदम होगा या आस्था पर चोट?

विकास या विघटन?

सरकार की मंशा साफ है — तीर्थस्थलों का सौंदर्यीकरण और सुविधाएं। लेकिन वृंदावन कोई आम जगह नहीं है। यह ठाकुरजी का धाम है। यहाँ के संकीर्तन, परिक्रमा और गलियों की पवित्रता में जो आत्मिक शांति है, क्या वह मॉल जैसे कॉरिडोर में टिक पाएगी?

स्थानीय लोगों की चिंता

वृंदावन के साधु-संत, पुजारी और आमजन डरे हुए हैं। उनका कहना है कि कॉरिडोर बनते ही पुराने मंदिरों की आत्मा खो जाएगी। कई छोटे-बड़े मंदिरों को हटाने या स्थानांतरित करने की आशंका है। वृंदावन की जो ‘अहल्या’ सी गलियाँ हैं, क्या उन्हें ‘विकास’ का नाम देकर उजाड़ा जाएगा?

श्रद्धा बनाम संरचना

क्या श्रद्धा को कंक्रीट के ढांचे में ढाल सकते हैं? क्या ठाकुरजी की लीला-भूमि को आधुनिक कॉरिडोर से जोड़ना सही होगा? लोग कहते हैं — “यहाँ विकास नहीं, संरक्षण चाहिए। हमें रोड नहीं, रास चाहिए। हमें प्रकाश नहीं, प्रभु का प्रकाश चाहिए।”

सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए?

यह सही समय है जब सरकार को संवाद करना चाहिए — सिर्फ ठेकेदारों से नहीं, संतों से भी। वृंदावन विकास की जगह ‘वृंदावन संरक्षण योजना’ बने, ताकि जो आने वाली पीढ़ियों को भी वही दिव्यता मिले, जो मीराबाई, रसखान और हमारे दादियों-नानियों को मिली।

बांके बिहारी कॉरिडोर बनेगा या नहीं, यह सिर्फ प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जिम्मेदारी भी है।
जहाँ भक्तों की आंखों में प्रेम हो, वहाँ मशीनों के नक्शे नहीं चलने चाहिए।
यह विकास का नहीं, “धरोहर बचाने का यज्ञ” है।

~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो

Post By Religion World