वैष्णव परंपरा, राष्ट्र और समाज को जोड़ने वाला आचार्य नेतृत्व: श्री पुंडरीक गोस्वामी महाराज
वृंदावन की पावन भूमि से निकले, राधा-कृष्ण भक्ति परंपरा के प्रख्यात स्तंभ श्री पुंडरीक गोस्वामी महाराज आज भारत ही नहीं, विश्व स्तर पर वैष्णव धर्म, संस्कार और आध्यात्मिक चेतना के प्रभावशाली प्रतिनिधि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। भागवत कथा, रामकथा और गोपीगीत के मधुर एवं शास्त्रसम्मत वक्ता के रूप में उनकी पहचान स्थापित है, वहीं वे राधारमण मंदिर के 38वें आचार्य के रूप में चैतन्य महाप्रभु की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं
श्री चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों में एक द्वारा स्थापित ऐतिहासिक राधारमण मंदिर की आचार्य परंपरा का निर्वहन करते हुए, वैष्णवाचार्य पुंडरीक गोस्वामी महाराज ने अनेक ऐसे ऐतिहासिक कार्य किए हैं, जिन्होंने सनातन धर्म की पताका को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा किया है। वे वैष्णव धर्म के ऐसे आचार्य हैं, जिन्हें अपने संप्रदाय और विभिन्न मंचों पर जगद्गुरु एवं मध्वाचार्य के समकक्ष सम्मान प्राप्त है
धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय उस समय जुड़ा, जब वे पहले ऐसे व्यास बने जिन्होंने उपराष्ट्रपति भवन में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। उपराष्ट्रपति पद पर आसीन रहते हुए, उनके सरकारी आवास पर यह आयोजन संपन्न हुआ, जिसे वैष्णव परंपरा की राष्ट्रीय स्वीकार्यता के रूप में देखा गया
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के प्रांगण में पहली भागवत कथा करने वाले वैष्णवाचार्य के रूप में उनका नाम दर्ज है। इसी प्रकार, हरिद्वार की पावन हर की पैड़ी पर तीन दिवसीय गीता सत्संग का आयोजन कर वे पहले वैष्णवाचार्य बने, जिन्होंने गंगा, गीता और देवभूमि की महिमा को राष्ट्रव्यापी आध्यात्मिक विमर्श का विषय बनाया
अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उन्होंने प्रमुख गुरु के रूप में प्रथम पंक्ति में बैठकर वैष्णव धर्म का प्रतिनिधित्व किया, जो उनके आध्यात्मिक नेतृत्व और राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित करता है
देश के अनेक शीर्ष संतों और धर्मगुरुओं—मोरारी बापू, रमेश भाई ओझा, गुरु शरणानंद महाराज, अवधेशानंद महाराज, ज्ञानानंद महाराज, साध्वी ऋतंभरा, स्वामी रामदेव, श्रीश्री रविशंकर और स्वामी चिदानंद सरस्वती—ने उनकी कथा श्रवण की है। मोरारी बापू द्वारा प्रदान किया गया ‘तुलसी अवॉर्ड’ उनके आध्यात्मिक योगदान की विशिष्ट मान्यता है
मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रांगण में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा उन्होंने बिना किसी पारिश्रमिक के आयोजित की, जिसमें समस्त व्यवस्थाएँ स्वयं वहन की गईं। कोलकाता में बिरला परिवार के निवास पर आयोजित विशेष भागवत कथा में राजश्री बिड़ला और आदित्य मंगलम बिड़ला की उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त, जी समूह के संस्थापक सुभाष चंद्रा जी के भ्राता लक्ष्मी गोयल के आवास पर भी उन्होंने भागवत कथा का आयोजन किया
धार्मिक प्रवचन के साथ-साथ सामाजिक शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है। उनके द्वारा प्रारंभ की गई ‘निमाई पाठशाला’ से दो लाख से अधिक विद्यार्थी निःशुल्क जुड़े हैं। इस पहल की प्रशंसा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में की गई, जहाँ उनकी पत्नी श्रीमती रेणुका गोस्वामी ने इस प्रयास के प्रभाव और वैश्विक विस्तार की जानकारी प्रस्तुत की। यह पहल जाति-पाति से ऊपर उठकर सभी आयु वर्ग के लोगों को जोड़ने का उदाहरण बनी है
शैक्षणिक दृष्टि से भी श्री पुंडरीक गोस्वामी महाराज का व्यक्तित्व अत्यंत समृद्ध है। उन्होंने ऑक्सफोर्ड से अध्ययन किया है, धर्मशास्त्र पर गहन शोध किया है और उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। वे हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत—तीनों भाषाओं में विश्वभर में भ्रमण कर कथा और धर्म का सतत प्रचार करते हैं
हाल के वर्षों में पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के बागेश्वर धाम में दो वर्षों बाद पहली बार हनुमान कथा का आयोजन, तथा बागेश्वर सरकार की ब्रज यात्रा के दौरान वृंदावन में स्वागत कर श्री बांकेबिहारी जी के दर्शन करवाना—यह उनके समन्वयकारी और मार्गदर्शक व्यक्तित्व को दर्शाता है। इसी प्रकार, प्रेमानंद महाराज द्वारा आचार्य स्वरूप में उनका सत्कार किया जाना और वर्षों पूर्व उनके परिवार द्वारा मिले सम्मान को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना, उनके दीर्घकालिक संस्कार और सेवा भावना का प्रमाण है
उत्तर और दक्षिण भारत के संप्रदायों को जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित मध्वाचार्य और वैष्णवाचार्य के ऐतिहासिक आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में उनकी उपस्थिति—इस प्रकार का पहला आयोजन—भारतीय वैष्णव परंपरा में एक नए संवाद की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो








