क्या सच में इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं?
हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि और पर्व का विशेष महत्व होता है। उनमें से कोजागरा पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह पूर्णिमा भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है। कहते हैं कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। लेकिन क्या यह केवल धार्मिक विश्वास है या इसके पीछे कोई आध्यात्मिक कारण भी है?
कोजागरा पूर्णिमा का महत्व
“कोजागरा” शब्द संस्कृत के ‘Ko Jagarti’ से आया है, जिसका अर्थ है – ‘कौन जाग रहा है’। इस दिन रातभर जागरण का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि जिन भक्तों ने इस रात जागरण किया और ध्यान, भजन या कथा में समय बिताया, उन्हें मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह तिथि विशेष रूप से धन, सुख और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है।
इस रात को लोग घर में दीपक जलाकर, मां लक्ष्मी के मंत्रों का जप करके और कथा-पाठ करके जागते हैं। इसका उद्देश्य केवल भौतिक धन प्राप्त करना नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म से शुद्धता प्राप्त करना भी है।
क्या मां लक्ष्मी सच में पृथ्वी पर आती हैं?
धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो यह विश्वास श्रद्धा और भक्ति पर आधारित है। मां लक्ष्मी का आगमन प्रतीकात्मक है – वह उन भक्तों के हृदय में आती हैं, जो अपने मन को पवित्र रखते हैं और समर्पण भाव से पूजा करते हैं।
अध्यात्मिक रूप से कहा जाए, तो इस दिन जागरण करना और भजन कीर्तन करना मन और चेतना को शुद्ध करता है, और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख का मार्ग खोलता है। इसलिए, “मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं” का अर्थ यह है कि उनकी दिव्य शक्ति जागरूक और सच्चे भक्तों के जीवन में प्रवेश करती है।
कोजागरा पूर्णिमा की परंपरा
इस दिन भक्त रातभर जागरण करते हैं और लक्ष्मी जी के भजन, स्तोत्र और कथा पढ़ते हैं।
दीपक जलाना और घर को स्वच्छ रखना अनिवार्य माना जाता है।
तिल, गुड़ और दूध का दान करना भी इस दिन की परंपरा में शामिल है।
कई स्थानों पर इस रात को भजन‑कीर्तन और साधु प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
ये सभी परंपराएँ इस विश्वास को पुष्ट करती हैं कि जो भक्त जागते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं, उनके जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा अवश्य आती है।
कोजागरा पूर्णिमा केवल एक धार्मिक दिन नहीं है, बल्कि यह भक्ति, जागरूकता और शुद्धता का पर्व है। मां लक्ष्मी का आगमन प्रतीकात्मक रूप से हमें यह सिखाता है कि धन और समृद्धि केवल बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि हमारे हृदय और कर्म में भी होती है।
इसलिए, चाहे आप इसे धार्मिक दृष्टि से मानते हों या आध्यात्मिक, रातभर जागरण, भजन और सेवा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति अवश्य आती है।
“जिसने अपने हृदय को शुद्ध किया, उसकी सारी रात लक्ष्मी जी के प्रकाश में जगमगाती है।”
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो