दुर्गा अष्टमी पर क्यों जरूरी है कन्या पूजन? जानें महत्व और तरीका
हिंदू धर्म में नवरात्रि का आठवाँ दिन, जिसे महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी कहा जाता है, अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन माँ दुर्गा की विशेष पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन (कन्या भोज) का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि नव दुर्गाओं का स्वरूप कुमारी कन्याओं में निहित होता है। इसलिए अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को माता के रूप में पूजकर उन्हें भोजन कराया जाता है।
कन्या पूजन का महत्व
कन्या पूजन को कुमारिका पूजा भी कहा जाता है। देवी भागवत और दुर्गा सप्तशती जैसे ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि छोटी-छोटी कन्याएँ दुर्गा माँ की शक्ति का जीवंत रूप हैं। उन्हें प्रसन्न करना माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के समान माना गया है।
कन्याओं के चरण पखारना, तिलक करना और भोजन कराना भक्त की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
यह पूजा जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर करने और घर में सुख-समृद्धि लाने वाली होती है।
कन्याओं को भोजन कराना दान और सेवा का सर्वोत्तम रूप है।
कन्या पूजन की सही विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर घर को शुद्ध करें और माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजन सामग्री में फूल, अक्षत, रोली, नारियल, मिठाई, चुनरी और दक्षिणा रखें।
2 साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्याओं और एक लड़के (लंगूर) को आमंत्रित करें।
उनके चरण धोकर, माथे पर तिलक लगाएँ और उन्हें आसन पर बैठाएँ।
कन्याओं को माँ दुर्गा का रूप मानकर पूजन करें और चुनरी अर्पित करें।
उन्हें भोजन में पूड़ी, चने और हलवे का प्रसाद परोसें।
भोजन के बाद कन्याओं को उपहार, फल और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
धार्मिक मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि जब महिषासुर का वध करने के लिए माँ दुर्गा ने अवतार लिया था, तब सभी देवताओं ने उन्हें अपनी-अपनी शक्तियाँ अर्पित की थीं। वही शक्ति आज बालिकाओं में विद्यमान मानी जाती है। इसलिए कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है।
दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि नारी शक्ति और मातृशक्ति का सम्मान है। यह हमें याद दिलाता है कि समाज में स्त्रियों का स्थान सर्वोपरि है। माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए।
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो