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टिहरी, उत्तराखण्ड की धरती पर संस्कृतियों का अद्भुत संगम

टिहरी, उत्तराखण्ड की धरती पर संस्कृतियों का अद्भुत संगम

  • टिहरी, उत्तराखण्ड में पहली बार विश्व की विभिन्न संस्कृतियों का मिलन
  • झील महोत्सव में प्रतिभाग कर रहे 24 राज्यों के प्रतिनिधि

ऋषिकेश, 25 फरवरी। परमार्थ निकेतन से विशेष रूप से टिहरी झील महोत्सव में पधारे  विश्व के अनेक देशों से आये आदिम जाति-आदिवासी, जनजाति के लोगों ने पर्यावरण संरक्षण विशेष साधना प्रोग्राम प्रस्तुत किया। भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल,  मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका, कोलम्बिया, बोलबियेनो, नीदरलैण्ड, पेरू, अर्जेन्टीना, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इटली, चिले, जर्मनी, तिब्बत, भूटान, रूस, इजरायल में रहने वाले चेरोकी, पेरू से आने वाले कैकेटाइबो, इस्कोहनुया, मैसिगेन्का है। बोलिविया से अयमर्स लोग है, आस्रोगोत्स, मरकाॅमनिक्स, फैंक्स वंडल्स, जर्मनी से नवाजो, चेरोकी अमेरिका से अट्रेबट्स, बेलगैस एवं यूके से कान्तरि असिस एवं नवाजो जनजातीय समुदाय के लोगों ने मिलकर नदियों, जलस्रोतों और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

विभिन्न देशों से आये आदिवासी और जनजाति के लोग अपनी-अपनी पूजा पद्धति, ध्यान और ईश्वर आराधना जो कि वे पृथ्वी के गर्भ (भूगर्भ) में माँ की गोद में बैठकर जल, अग्नि, वायु चारों तत्वों और चारों दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के विशेष प्रभावो पर आधारित करते हैं।

टिहरी की विशाल झील के तट पर विविध परम्पराओं, संस्कृतियों और भाषाओं का आदान-प्रदान हुआ। विभिन्न संस्कृतियों का संगम; विभिन्न परम्पराओं के दर्शन हो रहे हैं। आज यहां हम विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के एकत्व को देख रहे हैं, वास्तव में यही तो वसुधैव कुटुम्बकम् है।

उत्तराखण्ड के कर्मयोगी मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ने कहा कि टिहरी में आवागमन को सुगम बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक मुश्त रूपये 88 करोड़ डोबरा-चांठी पुल निर्माण के लिए अवमुक्त किये हैं। आलवेदर रोड़ पर भी कार्य चल रहा है। आलवेदर रोड़ बनने के बाद ऋषिकेश से नई टिहरी पहुंचने में मात्र डेढ घण्टे का समय लगेगा। टिहरी झील में सी प्लेन उतारने के लिए भारत सरकार द्वारा सर्वेक्षण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शीघ्र ही टिहरी झील में सी प्लेन उतारा जायेगा। अगले आने वाले 10-15 वर्षो में टिहरी का एक नया स्वरूप सामने आयेगा जो निश्चित रूप से देश व दुनिया को अपने ओर आकर्षित करने में मददगार रहेगा।

गंगा नदी की स्वच्छता एवं निर्मलता बनाये रखने का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने ‘‘यह कल-कल बहती गंगा की धारा क्या कहती….. ‘‘ पंक्तियों के माध्यम से पवित्रगंगा का स्मरण किया। उन्हाेने कहा कि गंगा नदी हमें त्याग व समर्पण सीखाती है निर्मलता का संदेश देती है। हम सभी को गंगा की निर्मलता एवं स्वच्छता को बनाये रखने में योगदान देना होगा। उन्होंने टिहरी की जनता से अतिथि सत्कार की भावना विकसित करने की भी अपील की ताकि अधिक से अधिक पर्यटक टिहरी भ्रमण पर आने के लिए पे्ररित हों।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने नई टिहरी साहसिक खेल अकादमी का नाम एवरेस्ट विजेता स्व0 दिनेश सिंह रावत के नाम पर रखे जाने की घोषणा की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी को गले लगाने और सभी संस्कृतियों को आत्मसात करने की संस्कृति है। यही तो है यथार्थ में विभिन्नता में एकता की संस्कृति। उन्होने कहा सब यहां से गंगा जी की पवित्रता, दिव्यता तथा हिमालय की सुन्दरता, सात्विकता और शुद्धता का संदेश लेकर जाये। आज यहां विभिन्न संस्कृतियों के मिलन को देख रहे है यही सनातन संस्कृति है जो हमें एकता का संदेश देती है। वास्तव में यह दृश्य अद्भुत और अवर्णनीय है।

भारत, एक अद्भुत संस्कृति का देश है, भारतीय संस्कृति, पर्व, त्योहार, उत्सव, उमंग, उत्साह और मेलमिलाप की संस्कृति है। आदिम जाति-आदिवासी, जनजाति के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और अनुभवों को साझा कर रहे हैं तथा अपने तरीके से मनाये जाने वाले त्यौहार के विषय में आपस में विचार साझा कर रहे हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी को गले लगाने की संस्कृति है तथा विभिन्नता में एकता की संस्कृति है।

आज यहां पहली बार अनेक देशों के आदिवासियों के प्रमुख आये हंै। यहां पर सभी आदिवासी नेतृत्वकर्ता अपनी-अपनी संस्कृति, गीत-संगीत, रहन-सहन, सभ्यता, वेश-भूषा, पर्व और परम्परा इन सभी का आपस में सम्मिश्रण होगा। वे सभी अपनी संस्कृृतियों और अपनी सभ्यताओं के विषय में विश्व के विभिन्न देशों एवं उत्तराखण्ड के आदिवासियों के साथ विचार साझा करेंगे। वे उत्तराखण्ड में आकर संगम, हिमालय और भारतीय संस्कृति को जानंेगे तथा भारतीय विविधता में एकता के सूत्र को समझने और सीखने का प्रयास करेंगे।

साथ ही परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा नवोदित, स्वच्छता से सम्बंधित और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जा रहा है। प्रतिदिन परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और अन्य पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में दिव्य एवं भव्य गंगा आरती और प्रतिदिन राष्ट्रगान होगा तथा प्रतिदिन स्वच्छता संकल्प कराया जायेगा।

इस अवसर पर जनपद के प्रभारी मंत्री श्री धन सिंह रावत ने कहा कि टिहरी झील क्षेत्र के विकास के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गत वर्षो से अभिनव प्रयास किये जा रहें है।

पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावलकर ने अपने सम्बोधन में कहा कि शासन की सोची समझी रणनीति के तहत ही टिहरी लेक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। सरकार का मकसद टिहरी झील क्षेत्र की सूरत बदलना है। इस महोत्सव के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों का ध्यान टिहरी क्षेत्र की ओर आकर्षित करना हैं। जिसके लिए शासन और प्रशासन कार्य कर रहा हैं।

टिहरी झील महोत्सव में सांयकाल गंगा आरती का भव्य आयोजन हुआ। जिसमें अनेक देशों के लोगों ने हिस्सा लिया। हिमालय की दिव्यता, भव्यता और यहां की शुद्ध जलवायु को देखकर सभी अभिभूत हैं। सबने कहां यहां बार-बार आने जैसा है। अगले वर्ष अनेकों लोगों ने आने की इच्छा प्रकट की।

टिहरी झील महोत्सव में टिहरी सांसद मालाराज लक्ष्मी शाह एवं क्षेत्रीय विधायक श्री धन सिंह नेगी ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर विधायक श्री विजय सिंह पंवार व श्री शक्तिलाल शाह, गढवाल मण्डल विकास निगम के अध्यक्ष श्री महाबीर सिंह रांगड, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री सोना सजवाण,  जिलाधिकारी सोनिका, पुलिस अधीक्षक डाॅ योगेन्द्र सिंह रावत, मुख्य विकास अधिकारी श्री आशीष भटगांई आदि ने सहभाग किया।

Post By Religion World