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जानिए, कौन है बगलामुखी मां, क्या है उनकी महाविद्या का रहस्य

जानिए, कौन है बगलामुखी मां, क्या है उनकी महाविद्या का रहस्य

मार्च में बीजेपी द्वारा आयोजित महायज्ञ में देवी ‘बगलामुखी’ का आह्वान किया जाएगा. माना जाता है कि यह देवी अपने भक्तों को वाक्युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद देती हैं. आइये जानते है मां बगलामुखी और उनकी साधना के बारे में.

कौन है मां बगलामुखी
मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं।माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए !देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है.बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया और नलखेडा(जिला-शाजापुर) और आसाम के कामाख्या में है।

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कैसे करें मां बगलामुखी की साधना

माँ बगलामुखी की साधना करने के  लिए सबसे पहले एकाक्षरी मंत्र ह्ल्रीं की दीक्षा अपने गुरुदेव के मुख से प्राप्त करें। एकाक्षरी मंत्र के एक लाख दस हजार जप करने के पश्चात क्रमशः चतुराक्षरी, अष्टाक्षरी , उन्नीसाक्षरी, छत्तीसाक्षरी (मूल मंत्र ) आदि मंत्रो की दीक्षा अपने गुरुदेव से प्राप्त करें एवं गुरु आदेशानुसार मंत्रो का जाप संपूर्ण करें।यदि एक बार आपने  यह साधना पूर्ण कर ली तो इस संसार में ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है जिसे आप प्राप्त नहीं कर सकते। यदि आप भोग विलास के  पीछे दौड़ेंगे तो आपकी यह दौड़ कभी भी समाप्त नहीं होगी। लेकिन यदि आपका लक्ष्य प्रभु प्राप्ति होगा तो भोग विलास स्वयं ही आपके दास बनकर आपकी सेवा करेंगे।  मानव जन्म बड़ी  मुश्किल से प्राप्त होता है। इसे व्यर्थ ना गँवाये। हम सभी जानते है कि हम इस संसार से कुछ भी साथ लेकर नहीं जायेगे। यदि आपने यहाँ करोड़ो रुपये भी जोड़ लिए तो भी वो व्यर्थ ही हैं जब तक आप उस परमपिता को प्राप्त नहीं कर लेते। उस परमात्मा कि शरण में जो सुख है वह सुख इस संसार के किसी भी भोग विलास में नहीं है

क्या है सामान्य बगलामुखी मंत्र —–
ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।
माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.
जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—–
ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —-
1. मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
2. मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
3. तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है।
4. हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।

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कैसे करें मां बगलामुखी पूजन…
माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें.इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.
इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें-
साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें-
  संकल्प——–
ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य……(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ……(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये।
यह हें माँ बगलामुखी मंत्र —-विनियोग –
श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।
इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए….
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।
अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार…..
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें-
गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया।
देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।।
धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता।
गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।।
इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें।
तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें-
नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्।
भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।।
आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें-
गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं।
पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं।
धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं।
दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं।
नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
अब इस प्रकार प्रार्थना करें-
जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्।
गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।।
अब क्षमा प्रार्थना करें-
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।
अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।

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