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“वॉकिंग गॉड” की उपाधि पाने वाले धर्मगुरु शिवकुमार स्वामीजी का 111 साल की उम्र में निधन

“वॉकिंग गॉड” की उपाधि पाने वाले धर्मगुरु शिवकुमार स्वामीजी का 111 साल की उम्र में निधन

बंगलुरु, 21 जनवरी; लिंगायत समुदाय के जाने माने धर्मगुरु और सिद्धगंगा मठ के महंत शिवकुमार स्वामी का 111 साल की उम्र में निधन हो गया. बीमारी के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. उनके निधन से कर्नाटक में शोक की लहर है. राज्य में तीन दिन के राजकीय शोक का एलान किया गया है. उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि स्वामी जी का 11.44 मिनट पर निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को शाम साढ़े चार बजे के बाद किया जाएगा.

कौन थे श्री श्री श्री  शिवकुमार स्वामी ?

श्री श्री श्री  शिवकुमार स्वामी कर्नाटक में “वॉकिंग गॉड” या “चलता-फिरता भगवान” के नाम से जाने जाते थे. वे पिछले आठ से भी ज़्यादा दशक से सिद्धगंगा मठ के प्रमुख थे, जो बेंगलुरू से 70 किलोमीटर दूर टुमकूर में लिंगायत समुदाय की सबसे शक्तिशाली धार्मिक संस्थाओं में गिना जाता है.

कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त चीफ़ सेक्रेटरी डॉक्टर एसएम जामदार ने कहा, “लिंगायत स्वामियों में, या कहें कि भारत के आध्यात्मिक गुरूओं में, उनकी शख़्सियत दुर्लभों में भी दुर्लभतम थी. वे कई स्वामियों के आदर्श थे.”

अन्य धार्मिक गुरूओं से अलग

महंत शिवकुमार स्वामी जी ने पिछले 88 सालों से हर जाति और हर समुदाय के अनाथों और बच्चों की सेवा की. कोई भी उनके आवासीय स्कूलों में जा सकता था, पढ़ सकता था. वो जो करते थे, वो बड़ा सीधा था – कि लोगों की सेवा करना भगवान की सेवा करने जैसा है.”

उनके मन में कभी भी जाति को लेकर कोई दुर्भावना नहीं रही. उन्होंने सबके लिए खाने का इंतज़ाम किया, ख़ास तौर से बच्चों के लिए, और उन्हें ज्ञान अर्जित करने और समाज को लेकर जागरुक होने के लिए प्रोत्साहित किया.” केवल अलग जातियों से ही नहीं, अलग धर्मों से भी, जैसे मुसलमानों के बच्चों ने भी उनके आवासीय स्कूलों में पढ़ाई की.”

बासव विचारधारा ने सभी जाति और नस्ल की व्यवस्था को नकार दिया. वो वैदिक व्यवस्था के ठीक उलट है जो जाति व्यवस्था को मानती है. बासव समानतावादी थे. और स्वामीजी ने बासव की सोच वाले समाज को बनाने के लिए काम किया.”

आठ दशकों तक उन्होंने बच्चों को मुफ़्त भोजन और मुफ़्त शिक्षा दी. उनके संस्थानों में तीन हज़ार छात्र पढ़ा करते थे. आज वहाँ आठ से नौ हज़ार छात्र पढ़ते हैं. उनके छात्र पूरी दुनिया में फैले हैं. एक अनुमान है कि उनके संस्थान से लगभग 10 लाख छात्रों ने पढ़ाई की है. “उन्होंने सैकड़ों शिक्षण संस्थान बनवाए. उन्होंने इतनी लंबी उम्र अपने खान-पान और जीवन शैली में अनुशासन की वजह से पाई. ”

एक तटस्थ स्वामी

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कई मठ राजनितिक दल या राजनेता से जुड़ जाता है लेकिन स्वामीजी ने कभी किसी राजनीतिक दल से क़रीबी नहीं दिखाई. उन्होंने कभी अपने अनुयायियों से किसी एक समर्थन करने के लिए नहीं कहा। इस वजह से भी वो कई स्वामियों के लिए आदर्श रहे हैं”

राजनेताओं ने निधन पर शोक जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी तक ‘वाकिंग गॉड’ के निधन पर शोक जाहिर कर रहे हैं. कर्नाटक में भी सभी दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, “ श्री श्री श्री शिवकुमारा स्वामी लोगों के लिए जिए. ख़ासकर ग़रीबों और वंचितों के लिए. उन्होंने ख़ुद को ग़रीबी, भूख और सामाजिक अन्याय जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया. दुनिया भर में फैले उनके असंख्य अनुयायियों के साथ मेरी प्रार्थनाएं हैं. उनके प्रति एकजुटता प्रकट करता हूं.”

राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा, “सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमारा स्वामी जी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. हर धर्म और समुदाय के लाखों भारतीय स्वामी जी का आदर और सम्मान करते थे. उनके चले जाने से बड़ा आध्यात्मिक खालीपन आ गया है. उनके सभी अनुयायियों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं.”

सोनिया गांधी ने एक बयान जारी कर कहा है, “स्वामी जी ने समाज और देश की सेवा करते हुए लंबा जीवन जिया और 111 वर्षों तक उनके कांतिमय उपस्थिति हमारे लिए आशीर्वाद की तरह रही. भारत के महानतम आध्यात्मिक अगुवाओं में से एक की विदाई के वक्त मैं लिंगायत समुदाय के शोक में शामिल हूं. हम हमेशा उन्हें सम्मान के साथ याद करेंगे.”

Post By Religion World