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ईद पर खास : अरबी मदरसे से बोले योग गुरु

अरबी मदरसे से बोले योग गुरु

दीनी तालीम बेहद ज़रूरी लेकिन दीन के साथ दुनिया को भी जानना ज़रूरी है, बच्चों को साइंस टेक्नोलॉजी व् मेडिकल तालीम भी दें। हमारी नयी पीढ़ी जानें कि दीन वहीँ है जहाँ दया, दक्षता और देश प्रेम है। एक ही घर के सदस्य भी आपस में संवाद हीनता रख कर घर की रक्षा नहीं कर सकते। सिर्फ किसी पंथ में जन्म लेने से कोई उस पंथ का नहीं हो जाता, इस्लाम में जन्म लेकर भी इंसानियत की हिंसा करने वाले लोगों को इस्लाम से नकारना होगा और जयचन्दों को हिंदुत्व से। इस्लामिक शिक्षाकेंद्रों की खिड़की दरवाज़े खोल कर रखें खुली हवा आने दें, अन्य आस्थाओं के साथ संवाद होने दें। मदरसों के देशभक्ति भरे फतवों की बाबत जान कर ख़ुशी हुई और नजदीकी बढ़ी, मुझे यहाँ आने की दावत न देते तो मै कैसे जानता। मुस्लिम बच्चों को वेद उपनिषद पढ़ने दो और हिंदुओं को कुरआन। उन्हें धर्म का मर्म जानने के अवसर दो। मै हवन के बाद राम कृष्ण रैदास कबीर नानक बुद्ध महावीर व् भगत सिंह के साथ हमीद व् अशफ़ाक़ की जय के नारे लगा कर गौरव अनुभव करता हूँ क्योंकि जानता हूँ कि वो सब हमारे पूर्वज व् दुनिया को हिंदुस्तान की देन हैं। सैंकड़ों निर्दोषों की हत्या कर देने वाले आतंकियों को कोई याद नहीं रखता लेकिन अशफ़ाक़, भगत सिंह और वीर हमीद को पीढियां भी भुला नहीं पाएंगी । हिंदुस्तानी मुसलमान के पुरखे मेरे रिश्ते में हैं अरब या मक्का के रिश्ते में नहीं। ये आज़ादी और खुली जहनियत ही हिंदुस्तान की संस्कृति है! हम सब पहले हिंदुस्तानी के रूप में अपनी पहचान जताने में फख्र महसूस करें, और हिन्दू मुसलमान या ईसाई वगैरह बाद में। योग गुरु स्वामी भारत भूषण जी ने जातिगत आधार पर मिलने वाली स्कालरशिप आदि को भी नकारने का आग्रह किया और कहा कि जब तक सरकारी दस्तावेजों में जातियों के कालम रहेंगे तबतक धर्मनिरपेक्षता की बात कोरी कल्पना बनी रहेगी। यहाँ बड़े इस्लामिक तालीमी इदारे से दिए गए देशभक्ति के फतवों को समर्पित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में खुले दिल से अपने जज़्बात तालिबिलम व् तलबाओं के साथ साझा किये!

Post By Religion World