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धनतेरस : 5 नवम्बर 2018 : धनवन्तरी और कुबेर की पूजा का दिन

धनतेरस : 5 नवम्बर 2018 : धनवन्तरी और कुबेर की पूजा का दिन

उत्तर भारत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है। देव धनवन्तरी के अलावा इस दिन, देवी लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर के पूजन की परम्परा है। इस दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान किया जाता है। इस दिन यमदेव की पूजा करने के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृ्त्यु का भय नहीं रहता है धन त्रयोदशी के दिन यमदेव की पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक पूरी रात्रि जलाना चाहिए। इस दीपक में कुछ पैसा व कौडी भी डाली जाती है।

धनतेरस का महत्व

इस दिन नये उपहार, सिक्का, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त समय में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है। सात धान्य गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. सात धान्यों के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है। इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्ध के रुप में श्वेत मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है. साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है।

धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था। धनवंतरी देव, देवताओं के चिकित्सकों के देव है. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडीबडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदना शुभ रहता है।

धन तेरस 2018 हेतु शुभ पूजा मुहूर्त

 प्रदोष काल के मुहूर्त :- सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 की अवधि को प्रदोषकाल के नाम से जाना जाता है। प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है।

दिल्ली में 5 नवम्बर सूर्यास्त समय सायं 17:30 तक रहेगा। इस समय अवधि में स्थिर लग्न 18:10 से लेकर 20:09 तक वृषभ लग्न रहेगा। मुहुर्त समय में होने के कारण घरपरिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पर ये हैं शुभ चौघाडिया मुहूर्त :- 5 नवम्बर 2018, अमृ्त काल मुहूर्त 16:30 से 18:00 तक, चर 18:56 से लेकर 19:30 तक 

उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृ्द्धि करता है। शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है. सबसे अधिक शुभ अमृ्त काल में पूजा करने का होता है

धनतेरस पर सांय काल में शुभ पूजन महूर्त

प्रदोष काल का समय 17:31 से 20:04 तक रहेगा

स्थिर लग्न 18:10 से 20:09 तक रहेगा

धनतेरस की पूजा के लिए उपयुक्त समय 18:10 से 20:04 के मध्य तक रहेगा

धनतेरस में क्या खरीदें

लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घरकार्यालय,. व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है।

इस दिन भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये इस दिन खास तौर से बर्तनों की खरीदारी की जाती है। इस दिन बर्तन, चांदी खरीदने से इनमें 13 गुणा वृ्द्धि होने की संभावना होती है। इसके साथ ही इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि करता है। दीपावली के दिन इन बीजों को बाग/ खेतों में लागाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृ्द्धि के प्रतीक होते है।

धनतेरस पर पूजन 

धन तेरस की पूजा शुभ मुहुर्त में करनी चाहिए. सबसे पहले तेरह दीपक जला कर तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए. देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को फूल चढाएं और ध्यान करें, और कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूँ। इसके बाद धूप, दीप, नैवैद्ध से पूजन करें. और निम्न मंत्र का जाप करें।

यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्य अधिपतये 

धनधान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा

धनतेरस : 5 नवम्बर 2018 : धनवन्तरी और कुबेर की पूजा का दिन

एक किवदन्ती के अनुसार एक राज्य में एक राजा था, कई वर्षों तक प्रतिक्षा करने के बाद, उसके यहां पुत्र संतान कि प्राप्ति हुई. राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा कि, बालक का विवाह जिस दिन भी होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृ्त्यु हो जायेगी।

ज्योतिषी की यह बात सुनकर राजा को बेहद दु:ख हुआ, ओर ऎसी घटना से बचने के लिये उसने राजकुमार को ऎसी जगह पर भेज दिया, जहां आसपास कोई स्त्री न रहती हो, एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी, राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा, दोनों एक दूसरे को देख कर मोहित हो गये, और उन्होने आपस में विवाह कर लिया।

ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचें. यमदूत को देख कर राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी. यह देख यमदूत ने यमराज से विनती की और कहा की इसके प्राण बचाने का कोई उपाय बताईयें. इस पर यमराज ने कहा की जो प्राणी कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात में जो प्राणी मेरा पूजन करके दीप माला से दक्षिण दिशा की ओर मुंह वाला दीपक जलायेगा, उसे कभी अकाल मृ्त्यु का भय नहीं रहेगा. तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाये जाते है।

  • ज्योतिषाचार्य दयानंद शास्त्री
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