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’बच्चों का संरक्षण’ : यूनिसेफ और दक्षिण एशियाई नेताओं का सम्मेलन

  • नेपाल में बच्चों के संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित क्षेत्रीय दक्षिण एशियाई नेताओं के सम्मेलन
  • भारत से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सहभाग
  • सम्मेलन का उद्देश्य ’बच्चों का संरक्षण’
  • स्वच्छता को केवल नियम ही नहीं बल्कि आदत बनाना नितांत आवश्यक- स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 6 सितम्बर। काठमांडू नेपाल के द्वारिका होटल में क्षेत्रीय दक्षिण एशियाई नेताओं का दो दिवसीय सम्मेलन यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से आयोजित किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने शिरकत किया।
इस सम्मेलन का उद्देश्य ’बच्चों का संरक्षण’। प्रत्येक बच्चे को संरक्षण उपलब्ध कराने के लिये यूनिसेफ ने सार्क (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका) राष्ट्र संगठन के नेताओं को एक साथ लाकर नेपाल में इस शिखर सम्मेलन का आयोजन किया।
आज पूरे विश्व में स्वच्छता एवं शुद्ध जल के अभाव के कारण बच्चे जन्मजात अनेक रोगों से ग्रस्त पैदा हो रहे है और  कुछ तो अपने जीवन के पांच वर्ष भी नहीं देख पाते। इस सम्मेलन के माध्यम से स्वच्छता एवं स्वच्छ जल के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर दक्षिण एशिया के लिये संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनिसेफ की क्षेत्रीय निदेशक जीन गोग, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, सचिव, राष्ट्रिय आध्यात्मिक विधानसभा बिहार एवं नेपाल कार्यकारी बोर्ड, रिलिजन ऑफ पीस, श्री नरेन्द्र पाण्डे जी एवं अनेक गणमान्य अतिथियों ने सहभाग किया। इस अवसर पर नेपाली बौद्ध संगीतज्ञ, एनी चोइंग डोल्मा जी ने मंत्रमुग्ध कर देने वाला संगीत प्रस्तुत किया।
जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने बताया कि  यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के द्वारा ऋषिकेश उत्तराखण्ड, बंगाल, लद्दाख, बिहार एवं असम में भव्य स्तर पर आयोजित ’सर्वधर्म स्वच्छता महासंकल्प’ जिसमें पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन में विश्व स्तर के विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं ने भाग लिया था। इन सम्मेलनों के माध्यम से स्वच्छता की एक नई इबारत लिखी गयी। उन्होने परमार्थ निकेतन में आयोजित ’स्वच्छता शक्ति-आप हैं समाधान’ ’प्रशिक्षक का प्रशिक्षण’ इस 10 दिवसीय कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि सर्वधर्म स्वच्छता महासंकल्प के आयोजन के पश्चात बिहार की महिला शक्ति स्वच्छता के लिये आगे आयी आज  बिहार राज्य के विभिन्न जिलों से 50 महिलाओं का एक समुह  परमार्थ निकेतन में स्वच्छता प्रशिक्षक एवं शौचालय निर्माण का प्रशिक्षण ले रहा है। यह स्वच्छता को अंगीकार करने का ही परिणाम है।
साध्वी जी ने परमार्थ वाटर स्कूल एवं विश्व शौचालय कॉलेज के विषय में भी चर्चा की। उन्होने बताया कि वाटर स्कूल के माध्यम से छात्र छात्राओं को स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण एवं वृक्षारोपण के लिये प्रेरित किया जाता है।


साध्वी भगवती सरस्वती जी ने ’स्वच्छता हमारा धर्म’ पुस्तक के विषय में भी अवगत कराया। उन्होेने कहा कि जीवा, यूनिसेफ से तकनीकी सहयोग से समाज के कल्याण के लिये हर क्षेत्र में कार्य कर रहा है। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’स्वच्छता को अंगीकार करना आवश्यक ही नहीं बल्कि हमारा कतर्व्य और धर्म भी है। उन्होने बताया की स्वच्छता के अभाव में बच्चों का पूर्ण विकास नहीं हो पाता; उनकी मानसिक क्षमता और ग्रहण करने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है। अतः अब स्वच्छता को केवल नियम ही नहीं आदत बनाना नितंात आवश्यक है। इस शिखर सम्मेलन में पधारे यूनिसेफ के अधिकारी एवं विश्व से आये स्वच्छता विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।

Post By Religion World