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देश की विधवाओं का हाल क्या है?

देश की विधवाओं का हाल क्या है?

देश की विधवाओं का हाल क्या है? क्या वे एक सम्मानजनक जीवन जी रही है? समाज के कोलाहल से थोड़ी दूर किसी धार्मिक नगर के किसी विधवा आश्रम-सदन तक जाकर आपको बहुत कुछ समझ आ जाएगा। समय के साथ बहुत कुछ बदल रहा है, वृंदावन और काशी की विधवा महिलाएं रंग और उल्लास की तस्वीरों में शामिल होती दिखती है। पर क्या हकीकत इतनी भर ही है। रिलीजन वर्ल्ड आपके सामने देश के कई शहरों से लेकर आने वाला है एक खास सीरीज – देश की विधवाओं पर – जो धार्मिक शहरों में रहती है, पर कई बार भगवान की कृपा से दूर है। वे समाज के भरोसे तो है, पर भीख के लिए। वे मंदिरों में गाती तो है, पर भोजन के लिए। उन्हें अपने घर से यहां इसलिए लाया गया कि वो अब खुशी और उमंग की हकदार नहीं रह गई हैं।

आंकड़े भयावह है। भारत ने चीन को विधवाओं की संख्या में पीछे छोड़ दिया है। देश में इस वक्त 4.5 करोड़ विधवा सूनेपन और समाज के बीच है। ऐसा नहीं है कि सबके साथ एक जैसे बर्ताव हो रहा है। पर इनमें से जो गरीब परिवारों से हैं वे ज्यादा जटिल जीवन जी रही है।

बीते सालों में बहुत ही संस्थाएं और प्रयास से आस जगी है। जैसे 2013 में हुडको और NCW के बीच विधवाओं की स्थिति में सुधार के लिए एक करार हुआ।

इस सीरीज की शुरुआत इसी सकारात्मक खबर से करते है। आने वाले दिनों में सही रिपोर्टिंग के जरिए जो पेश करेंगे उससे उम्मी्द है कि समाज में चेतना और भावना का विकास होगा, जिससे हर मजबूर को मदद मिलेगी।

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विधवा आश्रमों-सदनों की देखरेख को आगे आया HUDCO

2013 में हाउसिंग एंड अर्बन डेवलेपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड यानि हुडको और राष्ट्रीय महिला आयोग ने देश में विधवाओं और अनाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए साथ काम करने का फैसला किया। हुडको इसके तहत देश के विधवा आश्रमों में रहन सहन के हालात को सुधारने के लिए मदद करेगा। ये मदद हुडको अपनी CSR गतिविधि के तहत करेगा। हुडको महिलाओं के हॉस्टल, रिमांड गृह और अनाथ और परित्यक्त महिलाओं के लिए स्थान बनाकर या बनें हुए स्थानों में सुधार करके उनकी जीवन स्थिति में सुधार करेगा।

वृंदावन और मथुरा के आसपास रहने वाली हजारों विधवाओं के लिए इस पहल से बड़ी मदद मिलेगी। आज देश के इन दो धार्मिक शहरों में कम से कम 5000 हजार विधवा महिलाएं रह रही है। इनमें से ज्यादातर पश्चिम बंगाल की है। इसके बाद उत्तर प्रदेश और कई राज्य आते हैं। बीते सालों में कई सुधार करने के बाद आद वृंदावन और मथुरा की विधवाओं की स्थिति थोड़ी सुधरने लगी है। लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उत्तर प्रदेश सरकार भी 31 अगस्त 2018 को 1000 बेड वाले एक आश्रय सदन का उद्धाटन कर रही है। इसमें विधवाओं और अनाथ महिलाओं को शरण मिलेगी।

HUDCO और NCW के बीच करार के तहत हुडको तकनीकी सहयोग, डिजाइन और निर्माण में मदद करेगा, जिससे किसी भी जगह पर रहने वाली विधवाओं को सही सहूलियतें और माहौल मिल सके। इसकी शुरूआत हुडको वृंदावन और मथुरा से ही करेगा।

इस करार के तहत हुडको मौजूदा स्थानों, हॉस्टलों, सदनों, भवनों की भी मरम्मत करेगा,  जिससे कमरे, किचन, टॉयलेट आदि की सही व्यवस्था हो सकेगी और वे साफ सुथरे होंगे।

Post By Religion World