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सोमवती अमावस्या पर 231 साल के बाद बना हैं सर्वार्थ सिद्धि महायोग

सोमवती अमावस्या पर 231 साल के बाद बना हैं सर्वार्थ सिद्धि महायोग

इस दिसंबर माह की 18  तारीख को अमावस्या ऐसा अवसर होगा जब श्रद्धालु सम्पूर्ण भारत में पवित्र नदियों गंगा ,यमुना,कावेरी,सरयू और मोक्षदायिनी शिप्रा (उज्जैन) में स्नान, दान आदि करेंगे. कड़ाके की सर्दी के बावजूद श्रद्धालु शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान करेंगे और पुण्य कमाऐंगे. यह अवसर होगा 18 दिसंबर 2017 को. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जिसके कारण इस दिन का महत्व बढ़ गया है. इस दिन पितृ दोष की शांति के लिए यह दुर्लभ योग है.सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस सोमवती अमावस्या पर सवार्थ सिद्धि योग होगा. जिसके कारण पर्व और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा. मान्यता है कि इस दिन नदी में स्नानए दान कर मंदिरों में पूजन करने से पुण्यफल मिलता है.

 

231 साल के बाद बना हैं सर्वार्थ सिद्धि महायोग

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ऐसे योग कम दी देखने को मिलते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि अमावस्या के दिन अमा नाम की किरण की प्रधानता रहती है. सूर्य और चंद्र की युति सोमवार के दिन होने से सोमवती अमावस्या का योग घटित होता है. इस बार यह योग 18 दिसंबर को बन रहा है. इसी दिन सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7.25 बजे तक रहेगा.

व्रतों में शीर्ष मणि है सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या के दिन अनेक श्रद्धालु और साधक व्रत और उपवास रखते हैं. इस व्रत को भीष्म पितामह ने ‘व्रत शिरोमणि’ यानी व्रतों में शीर्ष मणि कहा है. यह अमावस्या एक वर्ष में एक या दो बार ही होती है. लेकिन इस दिन का विशेष महत्व है. धर्मग्रंथों में सोमवती अमावस्या को कलियुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक माना गया है.

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सोमांश रखता है मन को ऊर्जावान और नीरोग–

शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानी सोम का अंश अर्थात सोमांश यानी अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को सोमांश (चंद्रमा का अमृतांश) पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पड़ता है, जिसका कण-कण मानव मन को ऊर्जावान और नीरोग रखता है.

और भी हैं पौराणिक कारण—

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्यकारी मानने के पीछे और भी पौराणिक कारण हैं. अमावस्या, अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है. शिव महापुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाया है. वे कहते हैं, सोम को अमृत भी कहते हैं, अमा का अर्थ है एकत्र करना और वस्या वास को कहा गया है. यानी जिसमें सब एक साथ वास करते हों, वह अमावस्या अति पवित्र सोमवती अमावस्या ही है. इस दिन भक्तों को अमृत की प्राप्ति होती है.

मौन रहकर पुण्य-स्नान-ध्यान की विशेष परंपरा

अमावस्या के दिन वैसे भी स्नान-दान की विशेष परंपरा है. लेकिन कहते हैं कि सोमवती अमावस्या को मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्र-गोदान का पुण्यफल प्राप्त होता है. विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत और पीपल पूजा का विशेष विधान है.

जानिए कैसे करें पूजन: —

शास्त्रों में वर्णित है कि नदी, सरोवर के जल में स्नान कर सूर्य को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए लेकिन जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए. सोमवती अमावस्या या मौनी अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें. सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी. इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना और दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है.

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अश्वत्थ परिक्रमा और सेवा को माना गया है खास

भारतवर्ष के अनेक भूभागों में इस दिन अश्वत्थ यानि पीपल के पेड़ की पूजा को खास माना जाता है. इसलिए सोमवती अमावस्या को ‘अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत’ भी कहा गया है. मान्यता है कि इस दिन पीपल की छाया से, पीपल के पेड़ को छूने से और उसकी प्रदक्षिणा (दाहिनी तरफ से घूमना) करने से समस्त पापों का नाश होता है. अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और भाग्य में अभिवृद्धि होती है.

अक्षय-पुण्य, धनलाभ और स्थायी सौभाग्य की प्राप्ति

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कहते हैं, पीपल के निचले हिस्से यानी मूल भाग में जगतपालक भगवान श्री हरि विष्णु, तने में देवाधिदेव शिव और ऊपरी भाग में सर्जक ब्रह्मा का निवास है. इसलिए ऋषि-मुनियों ने बतताया है कि अगर सोमवार को अमावस्या हो तो इस दिन पीपल-पूजन से अक्षय-पुण्य, धनलाभ और स्थायी सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पीपल-पूजन में दूध, दही, मीठा,फल,फूल, जल,जनेऊ जोड़ा चढ़ाने और दीप दिखाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पितृदोष-निवारण का विशेष दिन यह—-

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्रीके अनुसार शास्त्रों में सोमवती अमावस्‍या को पितृदोष दूर करने के लिए उपाय हेतु विशेष दिन कहा गया है. मान्यता है कि पितृ दोष को शांत करने के लिए सोमवती अमावस्‍या से इतर प्रत्‍येक शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. साथ ही, सोमवती अमावस्‍या के दिन एक ब्राह्मण को दक्षिणा और भोजन करवाना भी एक प्रभावी उपाय है.

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Post By Shweta