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माँ गंगा को स्वच्छ रखने के संकल्प के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुुभारम्भ

माँ गंगा को स्वच्छ रखने के संकल्प के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुुभारम्भ

  • परमार्थ गंगातट पर कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीमद्भागवत कथा का शुुभारम्भ
  • स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने माँ गंगा को स्वच्छ रखने का कराया संकल्प 
  • तालाबों को पुनर्जीवित किए बिना नदियों को पुनर्जीवन नहीं मिल सकता – स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज
    ईश्वर की प्राप्ति के लिए भक्त प्रहलाद का अनुकरण करते हुये माता-पिता की करें सेवा – 
    श्री शंकरजी महाराज
ऋषिकेश, 27 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर समाज में सुख शांति एवं सभी प्राणिमात्र के कल्याण की कामना के साथ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आज विधिवत शुभारम्भ परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, कथा व्यास श्री शंकर जी महाराज एवं महाराष्ट्र राज्य से आये यजमान परिवार के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित कर किया।
श्रीमद्भागवत कथा परमार्थ गंगा तट पर 3 मई तक चलेगी। कथा के शुभारम्भ के अवसर पर परमार्थ निकेतन के मुख्य द्वार एवं गंगातट पर शोभायात्रा का आयोजन जागृति आश्रम, खामगांव, माहाराष्ट्र के तत्वाधान में किया गया जिसमें सैकडों श्रद्धालुओं, भक्तों, नारी शक्तियों ने दिव्य कलश यात्रा निकाली इसमें परमार्थ गुरूकुल के आचार्यों एवं ऋषिकुमारों ने भी उत्साहपूवर्क भाग लिया।

इस अवसर पर श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’सात दिनों तक इस दिव्य क्षेत्र में रहकर यहां पर व्याप्त दैविय सत्ता को आत्मसात करें, दिव्य कथा का श्रवण, गंगा स्नान और ध्यान करे साथ ही समापन अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा की याद में अपने-अपने घर जाकर एक-एक पौधे का रोपण अवश्य करे;  हमारे राष्ट्र को खुले में शौचमुक्त बनाने में सहयोग प्रदान करे; क्योकि ’’शौचालय है जहां स्वस्थ परिवार है वहां’’ माँ गंगा में पूजन सामाग्री, प्लास्टिक व अन्य वस्तुओं का विर्सजन न करें उन्होने कहा कि सभी साधक माँ गंगा के तट से नदियों के संरक्षण का संकल्प लें।

पूज्य स्वामी जी दहेज प्रथा के उन्मूलन और गौ माता के संर्वधन पर जोर दिया। उन्होंने सभी को जल संरक्षण के लिये प्रेरित करते हुये कहा कि पहले जो तालाब जलमग्न हुआ करते थे आज वे ही तालाब कचरे-कूडे़ से भरे हुये दिखायी देते है, उन्हें पुनर्जीवित किए बिना नदियों को पुर्नजीवन नहीं मिल सकता। इसके लिए हमें ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है। भावी पीढ़ी को अगर हम कोई बेहतरीन तोहफा देना चाहते हैं तो हमें वृक्षों का रोपण और जल संरक्षण प्रतिबद्धता के साथ करना होगा।’’

परमार्थ गंगा तट पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा, ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास श्री शंकरजी महाराज ने कहा कि ’’गोविंद से मिलने की लगन जिसे लग जाए, उसे संसार में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। परमात्मा से मिलने की तड़प का नाम ही भक्ति है। सुख तो केवल गोविंद के नाम में है। उन्होने कहा कि भगवान अपने भक्त की रक्षा के लिए अवश्य आते हैं।’’

श्री शंकर जी ने भक्त प्रहलाद के जीवन चरित्र की व्याख्या करते हुए भक्तों को उस मार्ग पर चलने के साथ-साथ माता-पिता की सेवा करने की बात कही और बताया कि भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान नृसिंह अवतार लेकर आये थे। उन्होने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से  ईश्वर की प्राप्ति संभव है।

पूज्य स्वामी जी ने कथा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि कथा की याद में कम से कम एक फलदार पौधे का रोपण अवश्य करें। तत्पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया। वे परमार्थ तक की गंगा देखकर गद्गद् हो उठे। श्रद्धालुओं ने कहा कि स्वर्गाश्रम वास्तव में स्वर्ग की अनुभुति कराता है यहां पर बार बार आने को मन करता है।

Post By Religion World